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12वीं के बाद छात्रों के लिए जरूरी है कि वे आगे का रास्ता बहुत सोच-विचार कर चुनें, क्योंकि यहां से करियर की बहुत सी राहें खुलती हैं। जिस विषय में आपकी दिलचस्पी है, उसी में भविष्य तलाशना अच्छा रहता है। यह डिजिटल दौर है और इंटरनेट पर सूचनाओं का अंबार है। अगर करियर चुनाव को लेकर कोई असमंजस है तो ऑनलाइन काउंसलिंग सेवा भी ले सकते हैं। यदि आपका रुझान अध्यात्म में है तो इसमें भी करियर बना सकते हैं। किसी की लेखनी अच्छी है या किसी को सोशल मीडिया की अच्छी जानकारी है या किसी को फोटोग्राफी का शौक है तो बेहतर है वह उसी दिशा में करियर बनाए। —प्रस्तुति नागार्जुन
अपना भविष्य खुद लिखें
जिन लोगों को अपनी लेखन शैली में महारत हासिल है और साथ ही आईटी क्षेत्र की भी बेहतर जानकारी है, उनके लिए तकनीकी लेखन अच्छा विकल्प हो सकता है। तकनीकी लेखक का काम टेक्नोलॉजी यानी तकनीक से संबंधित विषयों पर लिखना होता है। बायोटेक्नोलॉजी, आईटी, कंप्यूटर, टेलीकॉम, एयरोस्पेस और रोबोटिक्स आदि क्षेत्र की बहुराष्ट्रीय कंपनियों में इनकी अच्छी मांग है। अमेरिका सहित अन्य देशों से आउटसोर्स के जरिये तकनीकी लेखन का काम भारत आ रहा है। किसी-किसी कंपनी में टेक्निकल राइटर को इन्फॉर्मेशन डेवलपर, डॉक्यूमेंट स्पेशलिस्ट, डॉक्यूमेंट इंजीनियर या टेक्निकल कंटेट डेवलपर भी कहा जाता है। इसके काम का दायरा विभिन्न क्षेत्रों और नियोक्ताओं की मांग के अनुरूप तय होता है।
डिजिटल दौर में तकनीक हमेशा अपडेट होती रहती है। ऐसी स्थिति में तकनीक और नवोन्मेष क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को अपने उत्पादों और इनके संचालन की जानकारी उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में कठिनाई होती है, जिसे तकनीकी लेखक आसान बना देते हैं। उत्पाद की सरल व्याख्या के लिए फोटो, इलस्ट्रेशन और ग्राफिक्स का भी सहारा लिया जाता है। इसके अलावा, जर्नल, ग्राफिकल प्रेजेंटेशन, शोध पत्र, ऑनलाइन रिपोर्ट, प्रोजेक्ट तथा यूजर गाइड आदि भी यही तैयार करते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस क्षेत्र में भी कई विकल्प हैं, जैसे- साइंस राइटर, रिज्यूमे राइटिंग, वेब कंटेंट राइटर, होस्ट राइटर, कॉपी राइटिंग इत्यादि।
योग्यता: 12वीं के बाद पत्रकारिता एवं जनसंचार, विज्ञापन, आईटी एवं अंगे्रजी में डिग्री तथा सर्टिफिकेट या डिप्लोमा भी कर सकते हैं। डॉक्यूमेंटेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर, बेंगलुरु, टेक्नोराइटर्स एकेडमी, पुणे, डब्ल्यू.बी. इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल कम्युनिकेशन, बेंगलुरु आदि तकनीकी लेखन के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम चलाते हैं। क्रिएटिव राइटिंग या अनुवादक की पढ़ाई इग्नू से भी कर सकते हैं।
संभावनाएं: इस क्षेत्र में शुरुआत में करीब 20 हजार रुपये महीने की नौकरी मिल जाती है। बाद में अनुभव के साथ कमाई भी बढ़ती जाती है। तकनीकी लेखक के लिए आईटी, विज्ञापन एजेंसियों, सॉफ्टवेयर डेवलपर कंपनियों और मीडिया, अनुवादक के लिए रेलवे, बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अच्छी मांग रहती है।
फूड, फोटोग्राफी एंड स्टाइलिंग
कैमरे से दोस्ती
जायकेदार और मनभावन खाद्य पदार्थों की आकर्षक तस्वीर खींचने के शौकीन लोगों के लिए फूड फोटोग्राफी और स्टाइलिंग में रोजगार के अवसर तलाश सकते हैं। इसमें खाद्य पदार्थों की फोटोग्राफी के बारे में बताया जाता है। फूड स्टाइलिंग के तहत खाद्य पदार्थ को आकर्षक ढंग से परोसने से लेकर फोटो खींचने जैसी बारीकियां सिखाई जाती हैं। हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री में अंतरराष्ट्रीय रेस्तरां शृंखलाओं के साथ देसी रेस्तरां भी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसलिए फोटोग्राफर और स्टाइलिस्ट की भी मांग बढ़ रही है। यह पाठ्यक्रम कुछ दिनों का होता है और इसके लिए किसी शैक्षिक योग्यता की भी जरूरत नहीं है। पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद रेस्तरां, फूड ब्लॉगिंग, हॉस्पिटेलिटी कंसल्टेंट और फूड पत्रिका आदि में रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। इस क्षेत्र में शुरुआती वेतन 30 हजार और इससे अधिक भी हो सकता है।
सोशल मीडिया मैनेजर
बाजार का नया फार्मूला
हमारी जीवनशैली को बदलने के साथ-साथ उत्पाद और सेवाओं की ब्रांडिंग और विपणन के लिए भी सोशल मीडिया एक बड़े मंच के तौर पर उभरा है। लिहाजा, सोशल मीडिया मार्केटिंग के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। यहां तक कि राजनीतिक दल भी अपने प्रचार-प्रसार के लिए इसका खूब इस्तेमाल करने लगे हैं। सोशल मीडिया मैनेजर का काम इस मंच का इस्तेमाल कर व्यक्ति, उत्पाद और सेवाओं की छवि को चमकाना होता है। इसके लिए बाकायदा एक टीम काम करती है। इसके लिए फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि सोशल साइट्स का सहारा लिया जाता है। इन सोशल साइट्स पर मुहिम के रूप में ब्रांडिंग की जाती है। भारत में इंटरनेट का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।
ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस साल जून तक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का आंकड़ा 45 करोड़ से अधिक हो जाएगा। इसे देखते हुए सोशल मीडिया मार्केटिंग भी रोजगार के बेहतरीन विकल्प के रूप में उभर रहा है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया के बढ़ते दखल को कोई भी क्षेत्र खारिज नहीं कर सकता है। प्रतिस्पर्धा में बने रहने और ग्राहकों तक पहुंच बनाने के लिए कंपनियों को इस नए डिजिटल माध्यम का सहारा लेना ही पड़ेगा। सोशल मीडिया मार्केटिंग के तहत मुख्यत: दो काम होते हैं- प्रमोशन और मॉनिटरिंग। प्रमोशन के अंतर्गत सोशल मीडिया के जरिये ब्रांड की बिक्री बढ़ाना, इसके प्रति लोगों को जागरूक करना, नए उत्पादों की लांचिंग, री-लांचिंग जैसे कार्य आते हैं। वहीं, मॉनिटरिंग के तहत यह देखना होता है कि फिल्म, उत्पाद या छवि को लोग किस रूप में ले रहे हैं और उन्हें क्या प्रतिक्रिया मिल रही है। हालांकि यह काम चुनौती भरा है, क्योंकि इस पर लगातार निगाह बनाए रखनी पड़ती है। इसके अलावा, वेब डिजाइनर या वेब डेवलपर के तौर पर भी करियर चुन सकते हैं।
योग्यता- आईआईएम (इंदौर), आईआईएम (बेंगलुुरु), इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (इंदौर), दिल्ली स्कूल ऑफ इंटरनेट मार्केटिंग (नई दिल्ली), इंस्टीट्यूट फॉर इंटिग्रेटेड लर्निंग इन मैनेजमेंट (दिल्ली), एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च (मुंबई) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डिजिटल मार्केटिंग (नागपुर) आदि प्रमुख संस्थानों के अलावा कुछ संस्थान 3 से 6 माह वाले डिजिटल मीडिया के प्रमाणित पाठ्यक्रम भी संचालित करते हैं।
संभावनाएं- पढ़ाई पूरी करने के बाद शुरुआती वेतन 15 से 20 हजार रुपये तक होता है। अनुभव हासिल करने के बाद सालाना पैकेज 30-40 लाख रुपये भी हो सकता है। कंपनियों के लिए काम करने वाली डिजिटल मार्केटिंग एजेंसियों में काफी संभावनाएं हैं। डिजिटल मार्केटिंग के लिए ई-कॉमर्स, एफएमसीजी, मीडिया, फाइनेंस, बैंकिंग, ट्रेवल और आईटी आदि क्षेत्र की कंपनियों को विशेषज्ञों की जरूरत होती है। खासकर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई जैसे मेट्रो शहरों में इस क्षेत्र में रोजगार के अच्छे अवसर हैं।
जीवन का असली आनंद
आध्यात्मिक चिकित्सा
आजकल देश-दुनिया में आध्यात्मिक चिकित्सा वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में उभर रही है। जिन लोगों को अध्यात्म में रुचि है, वे आध्यात्मिक चिकित्सा के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। यह लीक से हटकर है और इसमें अच्छी कमाई भी होती है। रेकी, प्राणिक हीलिंग, चक्र हीलिंग, इमोशनल फ्रीडम टेक्नीक (ईएफटी), औरा क्लींजिंग, पास्ट लाइफ रिग्रेशन जैसी कई तकनीक हैं। इन तकनीकों के जरिये व्यक्ति के शरीर और मन ही नहीं, बल्कि उसकी आत्मा की भी हीलिंग की जाती है। तनाव और डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियों में तो यह काफी कारगर है। चिकित्सा की इस विधा को ट्रांसपर्सनल थेरेपी भी कहा जाता है, क्योंकि यह पूर्ण रूप से आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है। खास बात यह है कि ध्यान के जरिये हजारों मील दूर बैठे व्यक्ति की भी हीलिंग की जा सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बहुत से लोग अपने जीवन का मकसद जानना चाहते हैं, उनके लिए भी यह कारगर है। भारत में भी आध्यत्मिक चिकित्सक की मांग है। इसके लिए किसी डिग्री या डिप्लोमा की नहीं, बल्कि साधना की जरूरत होती है।
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