इस आजादी में हमारी जिम्मेदारी क्या है?
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

इस आजादी में हमारी जिम्मेदारी क्या है?

by
May 22, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 22 May 2017 11:54:48

हम बोलने की आजादी की बात तो करते हैं, लेकिन इस आजादी में हमारी क्या जिम्मेदारी है, इसकी बात नहीं करते। हमें मौलिक कर्तव्यों की कितनी जानकारी है? जिस मुद्दे पर बोलना चाहिए, लोग उस पर चुप्पी साध लेते हैं। उमर फयाज की शहादत पर क्या हम एक सही और संतुलित पक्ष भी नहीं रख सकते
इस आजादी में हमारी जिम्मेदारी क्या है?

मैं टीवी नहीं देखती। अखबार भी लगभग नहीं पढ़ती हूं। मोबाइल एप पर ही दो अंग्रेजी अखबारों की खबरें कभी-कभी पढ़ती हूं। इसके अलावा, जरूरत पड़ने पर गूगल से भी जानकारी लेती रहती हूं। अखबार इसलिए नहीं पढ़ती कि सुबह-सुबह पढ़ने को सकारात्मक कुछ भी नहीं होता है। एक खबर तक नहीं। वाकई, एक भी खबर नहीं। मैं सुबह-सुबह इतनी बुरी चीजों को संभाल नहीं पाती। मुझे आप पलायनवादी कह सकते हैं। होता यह है कि चीजें मुझे बहुत प्रभावित करती हैं। इस हद तक कि मैं सामान्य काम तक नहीं कर पाती। बहुत ज्यादा संवदेनशील होने के अपने नुकसान भी हैं। मैं लगभग हेडलाइंस ही देख लेती हूं बस।
ऐसा नहीं है कि मुझे इस बारे में कोई खबर नहीं कि देश कहां जा रहा है। इन दिनों देखती हूं कि जगह-जगह अपनी देशभक्ति साबित करने की जरूरत पड़ती है। हम युद्ध के दिनों में नहीं जी रहे हैं। अपनी देशभक्ति से ज्यादा हमें बेहतर इनसान होने की जरूरत है, जो अपने हिस्से का काम ठीक से करे। संविधान जब हमें अधिकार देता है तो साथ में मूल कर्तव्यों की बात भी करता है। हम बोलने की आजादी की बात तो करते हैं, लेकिन इस आजादी में हमारी क्या जिम्मेदारी है, इसकी बात नहीं करते। हमें जितना अपने मौलिक अधिकारों के बारे में पता है, क्या हमें हमारे मौलिक कर्तव्यों के बारे में मालूम है? क्यों नहीं है? जब हमारी अभिव्यक्ति की आजादी का हनन होता है तो इस पर बहुत बात होती है। बहुत से लेख लिखे जाते हैं, लेकिन जब हमें बोलने की जरूरत होती है और हम चुुप्पी साध लेते हैं तो कोई कुछ नहीं कहता। इस पर न शोर होता है, न कोई चर्चा कि हम चुप क्यों हैं। कुछ दिन पहले खबर पढ़ी- आतंकवादियों ने लेफ्टिनेंट उमर फयाज को अगवा कर उनकी हत्या कर दी। इस खबर की शुरुआत कर्नल गौतम राजऋषि के शेर से होती है-
मिट गया एक नौजवां, कल फिर वतन के वास्ते
चीख तक उठी नहीं, इक भी किसी अखबार से।
इस शहादत में हम कुछ नहीं कर सकते, लेकिन हम इस बारे में लिख सकते हैं। आज जब सारी लड़ाई फेसबुक और ट्विटर पर लड़ी जा रही है तो हम थोड़ा वक्त निकाल कर एक सही और संतुलित पोस्ट क्यों नहीं लिख सकते? हमारी सेना को समर्थन नहीं, एकजुटता की जरूरत है। वो हमारे लिए लड़ रहे हैं। जान दे रहे हैं। मुश्किल ड्यूटी निभा रहे हैं। ट्विटर पर खानापूरी मत कीजिए। पत्थरबाजों पर जब पैलेट गन चलती है तो मानवाधिकार की बात होती है, यहां मानवाधिकार की बात क्यों नहीं होती। छुट्टी पर गए निहत्थे जवान की हत्या होती है, जो ममेरी बहन की शादी में गया था। वह अपने साथ कुछ और लोगों के लिए मिसाल बनता कि जिंदगी सिर्फ आतंक नहीं है, इससे अलग भी है … अच्छी है …बेहतर है। देखो, देश के सारे लोग हमारे साथ हैं, हम पर फख्र करते हैं।
लेकिन नहीं।
देश के अंदर से खतरों का सफाया जरूरी है। अगर अपने देश का जवान ही सुरक्षित नहीं है तो आम नागरिकों की रक्षा कौन करेगा।
मैं सदमे में हूं। गुस्से में भी। …और चूंकि मुझे इसके सिवा और कुछ नहीं आता, इसलिए मैं लिख रही हूं। लेफ्टिनेंट उमर फयाज को सलाम। प्रणाम।                

 (पूजा उपाध्याय की फेसबुक वॉल से)

फयाज के लिए किसी ने आंसू नहीं बहाए  
रोहित वेमुला का जन्म 30 जनवरी, 1989 को हुआ था। उसने 17 जनवरी, 2017 को आत्महत्या कर ली। वह एक छात्र था और उसकी उम्र 27 साल थी। लेफ्टिनेंट उमर फयाज का जन्म 8 जून, 1994 को हुआ था। 10 मई, 2017     
को आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी। इस सैन्य अफसर की उम्र 23 साल थी।
रोहित की मौत पर नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों सहित कई संगठनों ने शोक मनाया। पुरस्कार लौटाए गए। कैंडिल मार्च निकाले गए और इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद तक में उठाया गया। विभिन्न नेता और मीडिया विशेषज्ञ उसकी शोक संतप्त मां से भी मिलने गए। लेकिन उमर फयाज की शहादत पर उनके भाइयों (सेना के जवान) और परिवार ने ही शोक मनाया। इतने दिन बीत गए, फिर भी कोई कैंडिल मार्च नहीं निकला… न कोई राजनीतिक बयानबाजी हुई और न ही किसी ने आंसू बहाए। किसी भी पार्टी का एक भी नेता उनके जनाजे में शामिल नहीं हुआ। वे क्यों जाते? अगर वे जोखिम से भरे उन इलाकों में जाते तो क्या उनका अनमोल जीवन खतरे में नहीं पड़ जाता? ऐसे नेताओं के लिए रोहित वेमुला एक नायक था, जबकि उमर फयाज केवल एक आंकड़ा भर है। अन्य असंख्य लोगों की तरह, जिन्होंने देश के लिए अपनी जिंदगी को कुर्बान कर दिया और देश ने इसकी परवाह नहीं की। लेकिन हम गर्व से जो वर्दी पहन रहे हैं या अतीत में पहनी, इसकी परवाह करते हैं। मेरे अनुज! हमें तुम पर गर्व है। इस बहादुर की आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करें।
जय हिन्द!              (गौरव झा की फेसबुक वॉल से)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

बच्चों में अस्थमा बढ़ा सकते हैं ऊनी कंबल, अध्ययन में खुलासा

हमले में मारी गई एक युवती के शव को लगभग नग्न करके गाड़ी में पीछे डालकर गाजा में जिस प्रकार प्रदर्शित किया जा रहा था और जिस प्रकार वहां के इस्लामवादी उस शव पर थूक रहे थे, उसने दुनिया को जिहादियों की पाशविकता की एक झलक मात्र दिखाई थी  (File Photo)

‘7 अक्तूबर को इस्राएली महिलाओं के शवों तक से बलात्कार किया इस्लामी हमासियों ने’, ‘द टाइम्स’ की हैरान करने वाली रिपोर्ट

राजस्थान में भारतीय वायुसेना का Jaguar फाइटर प्लेन क्रैश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies