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पर्यावरण जीवविज्ञानी यानी एन्वायरनमेंटल बायोलॉजिस्ट किसी विशेष वातावरण तथा उसमें रहने वाले लोगों की शारीरिक बनावट का अध्ययन करते हैं। ये पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा तथा इसके संतुलन पर पड़ने वाले दुष्परिणामों से भी लोगों को अवगत कराते हैं।
इसमें सफलतापूर्वक कोर्स करने के बाद छात्रों को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता। हर साल इकोलॉजिस्ट्स की मांग बढ़ती जा रही है। कई सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियां, एनजीओ, फर्म व विश्वविद्यालय-कॉलेज हैं, जहां इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को विभिन्न पदों पर काम मिलता है। मुख्य रूप से इन्हें शोध केन्द्रों जैसे सीएसआईआर, एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूूट, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट, एन्वायरनमेंटल अफेयर डिपार्टमेंट, फॉरेस्ट्री डिपार्टमेंट, नेशनल पार्क, म्यूजियम, एक्वेरियम सेंटर में काम मिलता है। इसके अलावा कई निजी संस्थान प्राकृतिक संरक्षण के क्षेत्र में आगे आए हैं और वे भी इकोलॉजिस्ट्स को अपने यहां प्रमुखता से नियुक्त कर रहे हैं।
आप रिसर्चर इकोलॉजी साइंटिस्ट, नेचर रिसोर्सेज मैनेजर, वाइल्ड लाइफ मैनेजर, एन्वायरनमेंटल कंसल्टेंट और रेस्टोरेशन इकोलॉजिस्ट बन सकते हैं। विषय क्षेत्र व्यापक होने के कारण आप उन्हीं क्षेत्रों की ओर अपना कदम बढ़ाएं, जिनमें अधिक रुचि हो तथा जिसमें आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें। आजकल इकोलॉजिस्ट्स के कामों का दायरा काफी बढ़ गया है। वे बड़े-बड़े भूखंडों के मालिकों, उद्योगपतियों तथा जल संसाधन कंपनियों से जुड़ कर उन्हें सलाह देने का काम कर रहे हैं।
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