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भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी/भुवनेश्वर
– मनोज वर्मा
चुनावी सफलताओं और बढ़ती सांगठनिक शक्ति ने आज भाजपा को शिखर पर पहुंचा दिया है। पार्टी अपने सर्वश्रेष्ठ दौर में है। देश के 17 राज्यों में भाजपा और राजग की सरकारें हैं। इसे देश की लगभग 60 फीसदी आबादी का समर्थन हासिल है और 70 फीसदी भू-भाग पर प्रभाव है। इसके अलावा, भाजपा विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भी बन गई है। लेकिन इन सफलताओं और उपलब्धियों का पार्टी को कोई गुमान नहीं है और जन-आकांक्षाओं को पूरा करना इसकी प्राथमिकता है।
भाजपा को 2012 की तुलना में इस साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जबरदस्त सफलता मिली। चुनाव में 41 फीसदी वोट हासिल कर भाजपा और इसके गठबंधन ने 325 सीटें जीतीं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के इतिहास में यह सबसे बड़ी जीत है। यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भाजपा के विधायकों में सभी वर्गों और सभी क्षेत्रों का व्यापक प्रतिनिधित्व समाहित है। अमीर-गरीब, शहरी-ग्रामीण, अगड़ा-पिछड़ा, युवा, महिला, किसान आदि सभी का प्रतिनिधित्व भाजपा की व्यापक पहुंच को प्रदर्शित करता है। उत्तराखंड में भी पार्टी को ऐतिहासिक सफलता मिली और 46़5 फीसदी वोट हासिल कर उसने 70 में से 57 सीटों पर जीत दर्ज की।
मणिपुर में भी भाजपा को सफलता मिली। पिछली बार मणिपुर विधानसभा चुनाव में पार्टी को 2़1 फीसदी वोट मिले थे और विधानसभा में उसका प्रतिनिधित्व शून्य था। लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव में उसने अभूतपूर्व ढंग से 36़3 फीसदी वोट हासिल कर 21 सीटों पर जीत दर्ज की। वर्तमान में मणिपुर में भाजपा गठबंधन की सरकार है। गोवा में भी पार्टी का वोट प्रतिशत सबसे ज्यादा है। वहीं, महाराष्ट्र की नौ महानगरपालिकाओं में से आठ में भाजपा को जीत मिली तथा मुंबई महानगर पालिका में भी अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए उसने 82 सीटों पर जीत दर्ज की। ओडिशा पंचायत चुनावों में भी पार्टी ने अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए प्रमुख विपक्षी दल के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है। भाजपा ने कालाहांडी की सभी 9 सीटों पर जीत दर्ज की है। राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, हिमाचल, असम विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत से भी पार्टी के विश्वास को और मजबूती मिली है। उपचुनाव में पश्चिम बंगाल में वोट प्रतिशत बढ़ना भी पार्टी के विस्तार के लिए सुखद है।
कांग्रेस का पिछड़ा वर्ग विरोधी आचरण
गत 15-16 अप्रैल को भुवनेश्वर में सम्पन्न भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पारित प्रस्ताव में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का मामला उठाते हुए राज्यसभा में कांग्रेस और विपक्ष के रुख की आलोचना की गई। प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा-नीत सरकार ने पिछड़े वर्ग के हितों को समर्पित कार्य किया है जो वर्षों से लंबित था। ऐसे में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का रुख बेहद निराशाजनक एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस तरह उन्होंने राज्यसभा में इसका विरोध किया, वह पिछड़े वर्ग को लेकर उनकी मूल मन:स्थिति को दर्शाता है। आजादी के बाद काका कालेलकर आयोग (1950) और मंडल आयोग (1979) की रिपोर्ट के बावजूद भी तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। इस अहम निर्णय को लागू करने के लिए ओबीसी संसदीय समिति की सिफारिश भी आई और सभी दलों के सांसदों ने व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री से मुलाकात कर इस संबंध में संविधान संशोधन का आग्रह किया था। सरकार ने ठोस कदम उठाते हुए इसे सर्वसम्मति से लोकसभा से पारित भी करा लिया। लेकिन पिछड़े तबके के लोगों को सशक्त बनाने और उन्हें न्यायिक रूप से मजबूत करने की दिशा में उठाए गए इस कदम को राज्यसभा में विरोध करके रोक दिया गया। कांग्रेस एवं विपक्षी दलों द्वारा राजनीति में सिर्फ इस बात के लिए इस निर्णय के विरोध को उचित नहीं कह सकते कि अमुक काम लंबे समय तक शासन में रहने के बावजूद वे नहीं कर पाए और भाजपा की सरकार ने कर दिया। एक ओर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया, वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में राजग में शामिल सभी दलों और मुख्यमंत्रियों ने इसे समर्थन देकर प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया। ल्ल
हमें ऐसा देश बनाना है जहां सामाजिक और आर्थिक समानता होगी। जहां ऊंचा-नीच का भेद नहीं होगा। न्यू इंडिया का कंसेप्ट भी यही है कि एक ऐसे भारत का निर्माण जहां परिश्रम और ईमानदारी की पूजा हो, योजनाओं में छोटे से छोटे व्यक्ति का हिस्सा हो और सबका साथ, सबका विकास हो। देश के हर नागरिक का सपना न्यू इंडिया होना चाहिए
—नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी का जोर सिर्फ जनधन पर ही नहीं, वनधन और जलधन पर भी है। जहां जनधन आर्थिक हालात से जुड़ा हुआ है, वहीं वनधन में हमारे वन में रहने वाले वनवासी लोगों के विकास और पर्यावरण को बचाए रखने पर जोर है।
— नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री
कांग्रेस ने 30 साल तक गरीबों पर ध्यान नहीं दिया। उसकी नीति रही है कि पिछड़ा वर्ग, मुसलमान, गरीब की बात एवं राजनीति करते रहो, पर उन्हें दो कुछ नहीं। मोदी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग आयोग की भांति संवैधानिक दर्जा देने का प्रयास किया।
— प्रकाश जावडेकर, केंद्रीय मंत्री
भीमा भोई एक समाज सुधारक और भाईचारे के प्रतीक भी थे और लोग, खासकर गरीब उनका सम्मान करते थे। संत कवि की विचारधारा का ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड में करोड़ों लोग अनुसरण करते हैं।
— धमेंर्द्र प्रधान, केंद्रीय मंत्री
भाजपा की शानदार जीत से देश में जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टीकरण की राजनीति का अंत हुआ है और 'पालिटिक्स आफ परफामेंस' के एक नए युग की शुरुआत हुई है।
—अमित शाह, अध्यक्ष, भाजपा
''भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी ने हमें काफी चिंतन बिंदु दिए है जिस पर सबको गौर करना चाहिए।
—संजय पासवान, सदस्य, भाजपा कार्यकारिणी
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