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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रकाशित 'कॉफी टेबल बुक' का विमोचन 21 नवम्बर को नागपुर के चिटणवीस सेंटर में संपन्न हुआ। पुस्तक का विमोचन रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश भैयाजी जोशी ने किया। पुणे के प्रसिद्ध उद्योगपति श्री अभय फिरोदिया कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि संघ की स्थापना के 92 वर्ष बाद इस तरह की पुस्तक प्रकाशित हो रही है। संघ पर समय-समय पर अनेक आरोप लगाये गए हैं। संघ इन आरोपों की अधिक चिंता न करते हुए शांतिपूर्ण ढंग से अपना कार्य कर रहा है। संघ को अगर ठीक से समझना है तो संघ कार्य में प्रत्यक्ष सम्मिलित होकर ही समझा जा सकता है। किन्तु जिन सज्जनों के लिए यह संभव नहीं है, उनको संघ कार्य से अवगत कराने हेतु इस पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। इस अवसर पर श्री अभय ने कहा कि वे संघ के स्वयंसेवक नहीं हैं, लेकिन संघ के कई स्वयंसेवकों से उनके आत्मीयतापूर्ण संबंध रहे हैं। संघ के स्वयंसेवक कभी स्वयं का प्रचार नहीं करते। राष्ट्र हित में स्वयंसेवकों द्वारा किये गए कायोंर् से ही समाज से संघ का परिचय होता है। अपने कार्य के प्रति स्वयंसेवकों की श्रद्धा और लगन देखते ही बनती है। समाज से संघ का सटीक परिचय करवाने के लिए ऐसी पुस्तक की आवश्यकता थी। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख श्री अरुण कुमार, महानगर संघचालक श्री राजेश लोया उपस्थित रहे।
-(विसंकें, नागपुर)
'औपनिवेशिक मानसिकता स्वीकार्य नहीं'
देवभूमि विचार मंच, उत्तराखण्ड एवं कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा अल्मोड़ा स्थित सोबन सिंह जीना परिसर में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 19 नवम्बर को किया गया। संगोष्ठी का शुभारम्भ प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय सह संयोजक श्रीकांत काटदरे, भारत नीति प्रतिष्ठान के मानद निदेशक प्रो़ राकेश सिन्हा, उत्तराखण्ड के वित्तमंत्री प्रकाश पंत ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्रो़ राकेश सिन्हा ने कहा कि अंग्रेजों द्वारा थोपी गई औपनिवेशिक मानसिकता स्वीकार्य नहीं होगी। उन्होंने आह्वान किया कि स्वामी विवेकानन्द की तरह आज ऐसे हजारों विवेकानन्दों की आवश्यकता है, जो विश्व के पटल पर अपनी गौरवमयी संस्कृति को पुनर्स्थापित करने का कार्य करें। प्रथम सत्र में 27
शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। तृतीय सत्र में प्रो़ डी़ आऱ पुरोहित द्वारा उत्तराखण्ड की संस्कृति पर लोक गीतों के माध्यम से व्याख्यान दिया गया।
-(विसंकें, देहरादून)
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