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पाञ्चजन्य वर्ष: 1४ अंक: 10 12 सितम्बर ,1960
श्रीनारायण शास्त्री
वर्मा, श्याम आदि देशों में भी इस्लामीकरण का आंदोलन चलाया तो गया, लेकिन उतना सफल संभवत: इसलिए नहीं हो पाया कि इन देशों का संबंध स्थल मार्ग से भारत के साथ बराबर बना रहा। पहले ही कहा जा चुका है कि समस्त पूर्र्वी एशिया में इस्लामीकरण का आंदोलन पासे से चलाया जा रहा था। 15वीं सदी में मलक्का के शासक के मुसलमान हो जाने पर उसमें और भी असाधारण तेजी आ गई। मलक्का के मुसलमान बनने की कहानी का सारांश पुर्तगाली गवर्नर अलबुर्क के उल्लेखों के आधार पर इस प्रकार हैं:—
‘‘उन दिनों सिंगापुर के आस-पास के प्रदेशों पर राजा परमेश्वर का राज्य था। यह राजा बड़ा नीच प्रकृति का था, स्वार्थ साधने तथा इन्द्रिय लोलुपता से आतुर होकर वह उन दिनों हर किसी की सहायता की इच्छा रखता था। श्याम से भयभीत होकर उसने चीन और मुसलमानों से भी सहायता की याचना की। मुसलमान किसी भी शक्तिशाली व्यक्ति को मुस्लिम बनाने के लिए क्या नहीं कर सकते थे? फलत: मुस्लिम व्यवसाय संघ की मंत्रणा पर पासे का सुलतान मदद देने को तैयार हो गया। अपनी अप्रतिम सुन्दरी कन्या का विवाह भी 72 वर्षीय परमेश्वर से कर देने को प्रस्तुत हो गया। शर्त यही थी कि राजा परमेश्वर मुस्लिम धर्म स्वीकार कर ले।
सिंगापुर का इस्लाम प्रचारक—अपने स्वभाव और परिस्थितियों से बाध्य होकर परमेश्वर सपरिवार मुसलमान बन गया, साथ ही उसके अनुयायियों तथा उसकी प्रजा के भी बहुत बड़े अंश को मुसलमान बनाया गया। इस विवाह के 1 वर्ष बाद ही परमेश्वर, जो कि अब ‘इस्कन्दर शाह’ बन गया था, मर भी गया, लेकिन इस्लाम के लिए यह 1 वर्ष ही वरदान सिद्ध हो गया। इस्कन्दर को इस क्षेत्र का ‘इस्लाम का प्रवर्तक’ तक कहा जाने लगा था। उसके मुसलमान बनने के बारे में अनेक चमत्कारिक कहानियों की सृष्टि मौलवी-मुल्लाओं ने की और उसे भोली-भाली जनता को गुमराह करने का एक हथियार बना डाला गया।
मुसलमान भी महाराज भी- इस्कन्दर शाह के पुत्र ने भी ‘सिकन्दर शाह’ के नाम में शासन किया। उसने मुख्यत: लोगों को मुसलमान बनाने में ही अपना अधिकांशं समय लगाया। जन्मना हिन्दू होने के कारण ही संभवत: उसने अपनी उपाधि ‘श्री महाराज’ ही रखी।
हमारे पड़ोसी
‘‘गौरीनाथ’’
छह वर्ष की सुदीर्घ कूटनीतिक वार्ता के परिणामस्वरूप विश्व बैंक के तत्वावधान में भारत से नहरी-पानी-विवाद पर समझौता होना अब एक निश्चित तथ्य बन गया है। अभी गत दिनांक 2 सितम्बर को विदेशी संबंधों के वाद-विवाद का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री श्री नेहरू ने लोकसभा में घोषणा की कि प्रस्तावित समझौता विश्व बैंक के 1954 के उस सुझाव पर आधारित है जिसके अनुसार सिंधु, झेलम तथा चिनाव नदियों का जल पाकिस्तान उपयोग करेगा एवं शेष तीन पूर्वी नदियों सतलज, रावी तथा व्यास का जल भारत इस्तेमाल करेगा। अंतरिम काल जो कि दो भागों में 1960 से 1966 तक एवं 1966 से 1970 तक है, गत वर्षों का है। भारत पाकिस्तान को पानी देता रहेगा किंतु प्रतिवर्ष पानी की मात्रा कम की जाती रहेगी।10 वर्षों की यह अवधि पाक सरकार की मांग पर 3 वर्ष बढ़ाई भी जा सकती है परन्तु ऐसा करने पर पाक नहरों के निर्माण के निमित्त भारत जो धन रशि देगा उसमें 1 वर्ष बढ़ने पर 5 प्रतिशत, और 3 वर्ष की अवधि पर 16 प्रतिशत की कमी कर सकेगा। समझौते के अंतर्गत उसको कार्यान्वित कराने के लिए एक स्थायी सिन्धु आयोग बनेगा जिसमें भारत और पाकिस्तानी राजदूत होंगे। यदि कोई विवाद खड़ा हुआ तो यह आयोग उसे दूर करने का प्रयास करेगा। इस समझौते के अनुसार उक्त आयोग में एक प्राविधिक विशेषज्ञ के रहने की भी व्यवस्था की गई है जिसका निर्णय प्राविधिक बातों पर उत्पन्न हुए मतभेदों पर मान्य होगा। हां, यदि कोई बड़ा मतभेद समझौते के संबंध में खड़ा हुआ तो पंच निर्णय की भी व्यवस्था की गई है। अब जबकि उपरोक्त समझौता एक निश्चित तथ्य बन चुका है और नेहरू दिनांक 19 को पाकिस्तान जाने वाले हैं—राष्ट्रपति अयूब से लेकर साधारण पत्रों तक ने विरोधी प्रचार प्रारंभ कर रखा है। अभी दिनांक 3 सितम्बर को भाषण देते हुए फील्ड मार्शल अयूब ने कहा कि गहरी पानी विवाद पर समझौता होना इस बात का परिचायक है कि पाकिस्तान का पक्ष न्याय है और इससे संसार कश्मीर पर पाकिस्तान की न्यायप्रियता को जान सकेगा।
दूसरी ओर पाक पत्र यात्रा के इस प्राक्काल में ‘कश्मीर’ कश्मीर चिल्ला रहे हैं और मिर्जा अफजल वेग एवं शेख अब्दुल्ला के वक्तव्यों को उछाल रहे हैं। इतना ही नहीं ‘बांगे हरम’ जैसे समाचार पत्र ने इस संदर्भ में यहां तक सूचना दी है कि हिन्दुस्थानी राजनीतिज्ञों ने मकबूजा (अधिकृत) कश्मीर में लूट-खसोट मचा रखी है। संभवत: पाक जनता को नेहरू जी के स्वागतार्थ प्रस्तुत करने के उद्देश्य से ही पाक पत्रों ने भारत की स्थिति की जो खोज की है वह इस प्रकार है-
‘‘भारत में गधे बसते हैं… फीरोजाबाद में एक मुस्लिम युवती का अपहरण और कई मस्जिदों को नापाक करने के बाद 8 मुसलमानों को गोली मार दी गई है। आदि-आदि। ऐसे देश में प्रधानमंत्री का स्वागत कैसे होगा। इसकी कल्पना पाठकगण सरलता से कर सकते हैं, किंतु भारतीय प्रधानमंत्री को उनकी इस यात्रा के अवसर पर हम पुन: सचेत करना चाहेंगे।
ध्रुव संकल्प करें
‘‘छत्रपति शिवाजी ने हिंदू राष्टÑ की आत्मा का साक्षात्कार किया और अपने जीवन काल में जब चारों ओर परकीयों के अत्याचार से देशवासी त्रस्त थे एक हिंदू साम्राज्य का निर्माण कर उन्होंने सारे देश की जनता के सम्मुख आदर्श उपस्थित किया और उसको हिंदू राष्टÑ के ऐतिहासिक सत्य का साक्षात्कार करवाया। बाद की घटनाओं के के कारण उनका स्वप्न अधूरा ही रह गया, किंतु हम उस भग्न संकल्प को पूर्ण करने का ध्रुव संकल्प करें। यही देश के सारे वर्तमान दु:खों एवं कष्टों को दूर करने का एकमेव कार्य है।’’
—पं. दीनदयाल उपाध्याय
(पं. दीनदयाल उपाध्याय : कर्तृत्व एवं विचार, पृ. 44)
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