पहाड़ पर फिर लाल चिंगारी
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पहाड़ पर फिर लाल चिंगारी

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Oct 2, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 Oct 2017 11:56:56

 
नेपाल सीमा पर बन रहे पंचेश्वर बांध पर माओवादी संगठन कर रहे हैं बड़े विरोध की तैयारी

दिनेश

नैनीताल पुलिस ने नेपाल सीमा से लगे ‘नंधौर वाइल्ड लाइफ फॉरेस्ट’ के पास चोगलिया इलाके से दस साल से फरार चल रहे माओवादी देवेन्द्र चम्याल को गिरफ्तार किया है। चम्याल पर पचास हजार रु. का इनाम घोषित था। इसके साथ ही एक महिला माओवादी भगवती भोज को भी हिरासत में लिया गया है।
डीआईजी पूरन सिंह रावत ने बताया कि देवेन्द्र चम्याल और उसके साथी पंचेश्वर बांध के विरोध में लोगों को भड़का रहे थे और  नेपाल के माओवादियों के भी संपर्क में थे! पुलिस अभी इन दोनों से पूछताछ कर रही है। देवेन्द्र चम्याल, 2004 में हंसपुर खत्ता में लगे माओवादी शिविर से फरार चल रहा था। नानकमत्ता थाने में दर्ज दो मुकदमों में उसकी तलाश थी। उल्लेखनीय है उत्तराखंड में 2004 से माओवाद ने पैर पसारना शुरू किया था। ‘नंधौर रिजर्व फॉरेस्ट’ में 100 फुटिया इलाके में माओवादियों के प्रशिक्षण का काम शुरू हुआ था। खुफिया जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने 100 फुटिया और हंसपुर खत्ता में माओवादियों के शिविर को नष्ट कर दिया। यहां से भारी मात्रा में देशी  हथियार बरामद हुए और कई माओवादी भी पकड़े गए जिनमें एरिया कमांडर प्रशांत राही, नीलू वल्लभ, अनिल चौड़ाकोटी, जीवन और गोपाल प्रमुख थे।
इसी धरपकड़ में देवेंद्र चम्याल फरार हो गया था, जो आखिरकार 23 सितंबर, 2017 को पुलिस के हाथ लगा। उत्तराखंड में माओवाद के फिर से पनपने की खबरें चिंताजनक हैं। चुनावों के दौरान भी माओवादी पोस्टरों के चिपकने, माओवादी नारे लिखे दिखने का क्रम लगातार चलता रहा था। उसके पीछे साजिशकर्ता चम्याल का हाथ बताया गया है। प्रशांत राही और उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाला और जेएनयू की राजनीति में सक्रिय हेम मिश्र इन दिनों महाराष्ट्र के जेल में बंद है। उस पर छत्तीसगढ़, झारखंड के नक्सलवादी संगठनों से संपर्क के आरोप रहे हैं! चम्याल भी उत्तराखंड से फरार होने के बाद से झारखंड में माओवादी संगठनों से संपर्क में रहा और उसने वहां प्रशिक्षण भी लिया। पुलिस ने यह भी बताया कि उत्तराखंड में लाल गुरिल्ला की योजना पर काम चल रहा था। नेपाल सीमा को विभाजित करने वाली शारदा नदी पर बनने वाली पंचेश्वर जल विद्युत परियोजना का ये माओवादी संगठन विरोध   कर रहे हंै।
खास बात यह कि नेपाल में भूमिगत हुए माओवादी संगठन भी इनके साथ संपर्क में हैं और दोनों देशों के बीच बांध प्रभावित लोगों के बीच विरोध की आवाजें बुलन्द कर रहे हैं। चीन सीमा से सटे हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ही दो ऐसे राज्य हैं जहां चीन की गतिविधियां नियत्रंण में रही थीं। पूरब के राज्यों में चीनी दखल बढ़ रहा है। उत्तराखंड में भी चीन सैनिकों ने सीमा का कई बार अतिक्रमण किया है, नेपाल के माओवादी भारत  के साथ खुली सीमा का दुरुपयोग करते रहे थे। स्मरण रहे कि भारत की तरह चीन-नेपाल सीमा भी खुली है। भारत के लिए नेपाल सीमा हमेशा से ही बड़ी संवेदनशील रही है।    

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