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विनायक लोहनी ने 2000 में आईआईटी खड़गपुर से बी.टेक. और 2003 में आईआईएम कलकत्ता से एमबीए तो किया लेकिन नई राह बनाते हुए कॉरपोरेट करियर की जगह गरीब बच्चों के लिए ‘परिवार’ नाम से आवासीय संस्थान शुरू किया
नाम : विनायक लोहनी (39 वर्ष)
कार्य : ‘परिवार’ के संस्थापक
प्रेरणा : स्वामी विवेकानंद के विचार
अविस्मरणीय क्षण : रामकृष्ण मिशन से दीक्षा व संन्यासियों संग व्यतीत समय
10 वर्ष में सबसे बड़ा संस्थान बनाने का लक्ष्य
नागार्जुन
विनायक लोहनी ने 2003 में कोलकाता में ठाकुरपुर के पास किराये के मकान में तीन बच्चों से ‘परिवार’ की शुरुआत की, जिसमें गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा के साथ सभी सुविधाएं दी जाती हैं। शुरू में उनके पास आर्थिक संसाधन भी नहीं थे, इसलिए वे प्रबंधन की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले बच्चों को पढ़ाते थे। छह महीने में ही बच्चों की संख्या 55 पहुंच गई। 2004 में जमीन खरीद कर परिवार आश्रम भी बना लिया। आज ‘परिवार आवासीय संस्थान’ एक मॉडल संस्थान के रूप में प्रसिद्ध है, जहां न केवल बच्चों की उचित देखभाल होती है, बल्कि उनका सर्वांगीण विकास भी होता है। पूरे पश्चिम बंगाल में निर्धन बच्चों के लिए यह सबसे बड़ा मुफ्त आवासीय संस्थान है।
‘परिवार’ के दो परिसर हैं, जिसमें 4 और 10 वर्ष के बच्चे रहते हैं। लड़कों वाले परिसर का नाम परिवार आश्रम है, जबकि थोड़ी ही दूरी पर परिवार शारदा तीर्थ नाम से लड़कियों का परिसर है। अगले 10 वर्षों में इसे देश में निर्धन बच्चों का सबसे बड़ा आवासीय संस्थान बनाने का लक्ष्य है। विनायक एवं उनकी संस्था द्वारा किए जा रहे जमीनी स्तर पर सामाजिक उद्यमिता और संगठन निर्माण पर देश के विभिन्न बिजनेस स्कूलों में चर्चा भी हो चुकी है। इसके अलावा, रश्मि बंसल की पुस्तक ‘आई हैव अ ड्रीम’ में तो विनायक और परिवार पर तो एक अध्याय ही है। विनायक कहते हैं, ‘‘परिवार का उद्देश्य सुरक्षित व प्रेमपूर्ण वातावारण देना है, जहां बेहद कमजोर बच्चे आगे बढ़ें और सफल हो सकें। यदि इन बच्चों को शिक्षा, कला से संपर्क, स्वस्थ शारीरिक गतिविधि और समुचित देखभाल की जाए तो ये बदलते भारत की भावी पीढ़ी के रूप में अपनी क्षमता को महसूस कर सकते हैं।’’ विनायक भारत सरकार की संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। वे मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित शीर्ष परामर्श मंच केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड, सामाजिक एवं आर्थिक कल्याण के लिए गठित राष्ट्रीय समिति, चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन के संचालन बोर्ड, भारत ग्रामीण आजीविका फाउंडेशन और 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के एक कार्यसमूह से जुड़े हुए हैं। साथ ही, कई गैर सरकारी संगठनों एवं न्यासों से भी जुड़े हुए हैं। इसके अलावा, विनायक देश के प्रमुख बिजनेस स्कूलों और विदेशों में व्याख्यान देने के साथ पत्र-पत्रिकाओं के लिए भी लिखते हैं। वे अपनी इन उपलब्धियों के लिए कई सम्मान भी हासिल कर चुके हैं। ल्ल
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