अपनी बात : समरस, समर्थ भारत का सपना
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

अपनी बात : समरस, समर्थ भारत का सपना

by
Mar 21, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 21 Mar 2016 10:49:21

जिस समय राजस्थान के नागौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक चल रही थी ठीक उसी समय देश में कुछ और टोलियां आगे की योजनाएं बना रही थीं।
नागौर के आंबेडकर मंडप में जब समाज हित पर मंत्रणाओं और सहमति के स्वर उठ रहे थे, उस समय केरल-मैसूर में वामपंथी हत्यारे, संघ कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के षड्यंत्र रच रहे थे।
समाज को शिक्षित, स्वस्थ और संगठित बनाने के विराट आह्वान जिस समय आकार ले रहे थे, उस समय दिल्ली में कुछ लोग चुप्पियों के घोषणापत्रों पर हस्ताक्षर कर रहे थे।
भारत में यह बदलाव का दौर है।
एक ऐसे समय जब देशहित के संकल्प ने स्वार्थी, घातक लामबंदियों को हाशिए पर धकेल दिया है— एक ओर नई शक्ति का अनुभव करता भारत खड़ा हो रहा है, दूसरी तरफ धराशायी विचारधाराएं और राजनैतिक दल भारी बौखलाहट से भरे बैठे हैं।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र द्वारा भारत के अभारतीय विचार को खारिज कर दिए जाने से पैदा हुई यह सिहरन इतनी तेज है जिसने धुर विरोधियों को भी चिपक कर बैठने को मजबूर कर दिया है।
हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या में सीधे आरोपी वामपंथियों के साथ प़ बंगाल में हाथ मिलाने वाली कांग्रेस दिल्ली में चुप है। 'बोल कि लब आजाद हैं तेरे' की तान छेड़ने वाले हांेठ इस 'मतलबी गठजोड़' पर केरल में सिले हुए हैं।
वामपंथी हत्यारों द्वारा मैसूर, कन्नूर में संघ-भाजपा कार्यकर्ताओं की लगातार हत्या और हमलों पर सबको जगाने का दावा करने वाले मीडिया से लेकर 'अतिसंवेदनशील' सेकुलर टोलियों तक, सब खामोश हैं। इस खामोशी के कई पहलू हैं। व्यक्तिगत या दलीय हितों का मारा जाना इनमें सबसे छोटी और आसानी से पकड़ में आने वाली बात है। बड़ी बात है अटूट, शक्तिशाली सबल भारत के सपने से उपजा डर। कुछ दल और विचारधाराओं की जड़ ही इस दौर में उखड़ गई है।
ये वे लोग हैं जो भारत को सिर्फ राजनैतिक गुणा-गणित  का मैदान समझते रहे और अब देश की सामाजिक समझ की गहराई बढ़ने से        बौखला गए हैं।
जाट आंदोलन के नाम पर अदृश्य नेतृत्व लाख फूंकें मारता रहा लेेकिन शुरुआती चोट से ही सतर्क हुए समाज ने समरसता यज्ञाहुतियों में षड्यंत्र को भस्म कर डाला। जेएनयू में वामपंथियों के देश विरोधी नारों के विरुद्घ पूरा देश ही उठ खड़ा हुआ।
कुछ लोगों के लिए यह सांसें उखाड़ने वाला दौर है।
इस दौर में सिर्फ सरकारें नहीं बदलीं, परिभाषाएं भी बदल रही हैं। समाज और संस्कृति की साधना में लगे संगठन तो नई गति से बढ़ ही रहे हैं, राजकाज का आधार भी परिवार से खिसककर समाज पर केंद्रित हो रहा है।
जनता देश को विकासपथ पर दौड़ाने की क्षमता रखने वाला इंजन है। इस विशाल राष्ट्रीय संसाधन की शिक्षा और स्वास्थ्य रक्षा से देश को अनूठी ताकत मिल सकती है। इस संकल्प में दोष वे ही लोग निकाल सकते हैं जिनके लिए या तो विकासमान भारत के कोई मायने नहीं है या फिर जिनके लिए जनता सिर्फ वोट बैंक है।
अपने आचरण से समाज का भेदभाव मिटाने का संकल्प लेेने वालों के प्रण पर वे लोग ही उंगली उठा सकते हैं जिनके लिए बाबासाहेब के सपने का कोई मतलब नहीं और जिनके लिए वंचित वर्ग सिर्फ सियासत की गोटी है। किसानों की आमदनी की सुरक्षा का खाका तैयार होने पर वे ही कुनमुना सकते हैं जिन्होंने लाखों किसानों की आत्महत्या के बावजूद करीब सात दशक के शासन में कभी इस तरह सोचा ही नहीं।
यह नई राजनीति का, संवेदनशील समाज नीति का, विश्व के सबसे युवा देश के लिए नई ऊर्जा का और भविष्य के भारत के सूत्रों के जुड़ने का दौर है।
लेकिन सावधान, हाशिए पर पड़ी हताश, गुमसुम टोलियां आखिरी हमले के लिए घात में हैं। समाज की टूटन और कमजोरी जिनके लिए अस्तित्व की जमीन रही, समाज ने उनसे यह जमीन छीन ली। यह जमीन चाहे बित्ताभर ही सही, अपने पांव जमाए रखने के लिए उन्हें किसी भी कीमत पर चाहिए। घड़ी परीक्षा की है और परीक्षा में सूत्र ही काम आते हैं। सूत्र हैं—
आपस में लड़े बिना बढ़ते रहो, जब तक कि विष और वैमनस्य का आखिरी बीज भी खत्म न हो जाए।
सबल, स्वस्थ, शिक्षित, समरस, समर्थ भारत का सपना आपकी, हमारी, हम सबकी आंखों में है। इस सपने को साकार करने के लिए 'आंखें खुली' रखनी होंगी।
    भारत माता की जय

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Bhagwan Narsingh Jayanti

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह(नरसिंह)

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

समाधान की राह दिखाती तथागत की विचार संजीवनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना पर टिप्पणी करना पड़ा भारी: चेन्नई की प्रोफेसर एस. लोरा सस्पेंड

British MP Adnan Hussain Blashphemy

यूके में मुस्लिम सांसद अदनान हुसैन को लेकर मचा है बवाल: बेअदबी के एकतरफा इस्तेमाल पर घिरे

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Bhagwan Narsingh Jayanti

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह(नरसिंह)

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

समाधान की राह दिखाती तथागत की विचार संजीवनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना पर टिप्पणी करना पड़ा भारी: चेन्नई की प्रोफेसर एस. लोरा सस्पेंड

British MP Adnan Hussain Blashphemy

यूके में मुस्लिम सांसद अदनान हुसैन को लेकर मचा है बवाल: बेअदबी के एकतरफा इस्तेमाल पर घिरे

पाकिस्तान के साथ युद्धविराम: भारत के लिए सैन्य और नैतिक जीत

Indian DRDO developing Brahmos NG

भारत का ब्रम्हास्त्र ‘Brahmos NG’ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल अब नए अवतार में, पांच गुणा अधिक मारक क्षमता

Peaceful Enviornment after ceasfire between India Pakistan

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद आज क्या हैं हालात, जानें ?

Virender Sehwag Pakistan ceasfire violation

‘कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है’, पाकिस्तान पर क्यों भड़के वीरेंद्र सहवाग?

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies