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20 स्मार्ट शहर सपनों के

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Feb 8, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 08 Feb 2016 14:00:27

 

स्मार्ट सिटी की इस महत्वाकांक्षी पहल में देश के शहरों का चेहरा बदलने तथा उन्हें आर्थिक गतिविधियों का प्रभावी केंद्र बनाने की क्षमता है

पाञ्चजन्य ब्यूरो

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 जून 2015 को बड़े पते की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि शहरीकरण को एक बड़े अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए और शहरी केन्द्रों को विकास के इंजन के रूप में।
इसके ठीक सात महीने बाद 28 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री की 100 स्मार्ट शहरों की महत्वाकांक्षी परियोजना ने आखिरकार आकार लेना शुरू कर दिया जब देशभर में 20 स्मार्ट शहरों के विकास की पहली सूची घोषित की गई।
जिन शीर्ष 20 शहरों ने प्रतियोगिता के आधार पर बनी पहली सूची में जगह बनाई उनमें पहले नंबर पर भुवनेश्वर है। ओडीशा की राजधानी के बाद क्रमवार सूची में शामिल हैं- पुणे, जयपुर, सूरत, कोच्चि, अमदाबाद, जबलपुर, विशाखापत्तनम, शोलापुर, दावानगेरे, इंदौर, नई दिल्ली नगरपालिका (एनडीएमसी), कोयंबतूर, काकीनाडा, बेलगावी (बेलगाव), उदयपुर, गुवाहाटी, चेन्नै, लुधियाना और भोपाल।
स्मार्ट सिटी की यह महत्वाकांक्षी पहल बड़े बदलाव का करक बन सकती है जो शहरों और कस्बों का आर्थिक गतिविधियों के प्रभावी केन्द्र के रूप में कायाकल्प करेगी और सामान्य लोगों के  जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में उपयोगी सिद्ध होगी। पहले से स्थापित इन शहरों को प्रौद्योगिकी जनित समाधानों और इन्फोर्मेशन एण्ड कम्युनिकेशन टेक्नालॉजी (आईसीटी) के जरिए नया रूप दिया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडु ने 28 जनवरी को नई दिल्ली में 'स्मार्ट सिटी: मिशन ट्रांसफॉर्मेशन' नामक पुस्तिका जारी करते हुए कहा,''इस मिशन के साथ ही शहरी विकास के लिए 'जैसा चलता है, वैसा ही चलेगा' वाली प्रवृत्ति के खात्मे की शुरूआत हो गई है। इसकी बजाए स्मार्ट सिटी मिशन की चुनौती यह है कि चुने गए शहर समन्वित योजनाएं और प्रस्ताव लेकर आएं, अधिकतम विश्लेषण के साथ योजनाओं में समन्वय बिठाएं और उनको पूरा करने में विलंब का समय घटाएं। इस मिशन में बड़े शहरों से छोटे शहरों की ओर विकास के स्थापित तरीके की बजाए 'नीचे से ऊपर' के तरीके की शुरुआत हो रही है। 'स्मार्ट सिटी चैलेंज' में भाग लेने के लिए विभिन्न शहरों ने अपने प्रस्ताव अपनी क्षमता, कमजोरी, अवसर और चुनौतियों के आधार पर विकास के लिए चुने गए शहर के विशिष्ट इलाके का विश्लेषण किया। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले इन शहरों ने अपेक्षित नतीजे देने की क्षमता वाले संभावित साझीदारों और गठबंधनों की पहचान कर विकास योजनाओं पर अमल की रणनीतियों को विस्तार से दर्ज किया। नायडु कहते हैं कि चयन की प्रक्रिया को कठिन बनाने का उद्देश्य यही था कि सर्वोत्तम को चुना जा सके। पूरी प्रक्रिया में केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय का न्यूनतम दखल था। स्थानीय निकायों और राज्य सरकारों ने अपनी सारी योजना तैयार की और उसे केंद्र को भेजा। नायडु कहते हैं, ''इसीलिए हम इसे 'नीचे से ऊपर की ओर' वाली प्रक्रिया कह रहे हैं।'' यह जानना दिलचस्प होगा कि भारतीय सलाहकार कंपनियां मिशन में शामिल शहरों को स्मार्ट सिटी योजना बनाने में सलाह देने के मामले में विदेशी कंपनियों तथा उनकी साझीदार देसी कंपनियों की स्पर्धा में डटकर खड़ी रहीं और सफल भी हुईं।
लेकिन पहले चरण के 20 स्मार्ट शहरों में उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तराखंड जैसे बड़े-छोटे राज्यों के शहर जगह नहीं बना सके। नायडु कहते हैं, ''पहले चरण में जगह बनाने में असफल रहे राज्यों को 15 अप्रैल तक का समय दिया गया है कि वे अपने प्रस्तावों को और उन्नत करते हुए जमा करें। हम उन्हें एक और अवसर देना चाहते हैं।''
इस प्रतियोगिता ने स्थानीय संस्थाओं-राज्य सरकार और केंद्र सरकार के त्रिस्तरीय संघीय ढांचे की अब तक नहीं पहचानी गई ताकत को सामने लाने में मदद की है। शहरी विकास मंत्रालय ने तो केवल स्मार्ट सिटी की अवधारणा के बारे में समय-समय पर मांगे गए स्पष्टीकरणों के निराकरण का ही काम किया।
नायडु स्मार्ट सिटी मिशन को बड़ी उपलब्धि मानते हैं। वे कहते हैं, ''इस मिशन में हमारे प्रधानमंत्री का देश का कायाकल्प करने वाला दृष्टिकोण झलकता है। इससे नए अवसर खुलेंगे और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।' इसी कारण योजना आयोग को भी नीति (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसफॉर्मेशनल ऑफ इंडिया) आयोग के रूप में नया आकार दिया गया।
स्मार्ट सिटी की योजनाएं अभी भले कागजों पर हों लेकिन इस पर अमल की पक्की रणनीति चूंकि स्थानीय संस्थाओं और संबंधित राज्य सरकारों ने तैयार कर ली है और केंद्र ने उनको स्वीकार भी कर लिया है इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि चुने गए शहरों की तस्वीर जल्द ही बदलने लगेगी।

28 जनवरी 2016 को केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडु ने देश में प्रस्तावित 20 स्मार्ट सिटी की सूची जारी की
भागीदारी
97 शहरों ने हिस्सा लिया
1.52 करोड़ नागरिकों ने विभिन्न स्तरों पर स्मार्ट सिटी योजना की तैयारी में भाग लिया जो इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले 97 स्मार्ट शहरों की कुल जनसंख्या का 12 प्रतिशत है। (सैम्पल साईज)
25 लाख नागरिकों और अन्य हितधारकों ने ट८ॠङ्म५.्रल्ल पर अपने विचार, वक्तव्य और सुझाव आदि दिए
स्मार्ट सिटी योजना के चयन का आधार 43 प्रश्नों का एक मानकीकृत सेट था जो शहर के आकार और प्रकार पर आधारित न होकर केवल योजना के मेरिट पर आधारित था
योजना विवरण
9 शहर: योजना बनाने में केवल भारतीय सलाहकार कंपनियां : काकीनाड़ा, कोच्चि, सूरत, कोयंबतूर, दावणगेरे, इंदौर, जबलपुर, शोलापुर और उदयपुर
5 शहर : केवल विदेशी कंसल्टेंस के माध्यम से नियोजन प्रक्रिया: विशाखापत्तनम, एनडीएमसी, पुणे, लुधियाना और जबलपुर
6 शहर : विदेशी साझेदारी वाली भारतीय सलाहकार कंपनियों ने योजना बनाई
18 शहर रेट्रोफिटिंग प्रस्ताव लेकर आए
अमदाबाद रेट्रोफिटिंग और पुनर्विकास
(75 एकड़) प्रस्ताव के साथ
भोपाल ने पुनर्विकास (350 एकड़) का प्रस्ताव दिया
रेट्रोफिटिंग से आशय ढांचागत और अन्य कमियों को दूर करना। पुनर्विकास से आशय पहले से निर्मित क्षेत्र को ध्वस्त कर नया बनाने से है
20 में से 5 शहर एनडीएमसी, भोपाल, चेन्नै, भुवनेश्वर और गुवाहाटी राजधानियां हैं
स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) प्रस्तावित किया गया है जिसके साथ स्थानीय निकायों और राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे
रू. 50,802 करोड़
इन शहरों और कस्बों के लिए पांच वर्षीय अवधि के लिए प्रस्तावित किए गए हैं। इसमें से 38,693 करोड़ रुपए क्षेत्र के विकास के लिए और 12,109 करोड़ कुल 56 शहरों की योजना के लिए है

26,735 एकड़
20 शहरों में विकसित करने के लिए कुल क्षेत्र है
15 दिसम्बर 2015 को शहरी विकास मंत्रालय ने आवेदन प्राप्त किए
ये मूल्यांकनकर्ताओं की तीन टीमों (दो सदस्य भारतीय और एक सदस्य विदेशी विशेषज्ञ) को दिए गए
मूल्यांकनकर्ताओं ने प्रत्येक शहर के प्रस्ताव को अंक प्रदान किए। तीनों टीमों द्वारा औसत अंकों के आधार पर पूरे 97 शहरों में से अंतिम सूची बनाई गई। अंतर कम करने के लिए औसत अंकों पर भी विचार किया गया
सर्वोच्च स्थान पर पहुंचने के लिए स्पर्धा को अमल का ढांचा, व्यवहार्यता, लागत की अनुकूलता पर तय किया गया जिसके 30 भारांक थे, जिसके 30% भारांक थे, परिणामपरक (20 %), नागरिक सहभागिता (16 %), प्रस्ताव की स्मार्टनेस (10 %), दृष्टि और लक्ष्य (5%), मुख्य परफॉर्मेंस इंडिकेटर (5 %), और प्रक्रिया (4 %)
दूसरा राउंड : 54 शहरों और कस्बों के लिए  प्रतियोगिता 1 अप्रैल को शुरू होगी

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