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''केरलवासियों को पुस्तकों से जोड़ने में केआईबीएफ की बड़ी भूमिका''

by
Dec 19, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 19 Dec 2016 14:41:35

ऑर्गनाइजर ने ई़ एऩ नंदकुमार से बात की, जो 1997 में केआईबीएफ की स्थापना के समय से ही उसके महासंयोजक हैं। केआईबीएफ एक ऐसा उपक्रम है, जिसे नंदकुमार प्रबल पुस्तक प्रेमियों और सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से पिछले दो दशकों से विकसित करते आ रहे हैं। प्रारंभिक वषोंर् के दौरान, अब, जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग और सभी दृष्टिकोणों और दर्शन के सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता उत्कृष्ट शब्दसंसार की इस दिव्य गंगा की धारा में मुस्कराते हुए शामिल हो रहे हैं। नंदकुमार से हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
ल्ल पिछले 19 वषोंर् से सामान्य तौर पर केरल और विशेष रूप से कोच्चि में केआईबीएफ का महत्वपूर्ण योगदान क्या रहा है?
केरलवासियों की पढ़ने की आदत में बहुत वृद्धि हुई है, यह एक बहुत बड़ा योगदान है। हमारे उद्यम की शुरुआत होने के बाद से अनेक प्रकाशक मैदान में आ गए हैं। सिर्फ केआईबीएफ द्वारा नहीं, बल्कि कई अन्य लोगों के द्वारा बहुत सारे पुस्तक उत्सवों का आयोजन किया गया है। केआईबीएफ ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के शक्तिशाली प्रसार के बावजूद केरलवासियों को पुस्तकों से जुड़े रहने के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ल्ल    लोगों को जिन ज्वलंत मुद्दों का सामना करना होता है, क्या केआईबीएफ उन पर चर्चा करने और उस पर जनता की राय बनाने में सफल रहा है?
 सायंकालीन संगोष्ठियां हमेशा इस तरह के मुद्दों को उठाती हैं और प्रतिभागी संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं। फिर भी केआईबीएफ को इस दिशा में एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
ल्ल    केआईबीएफ के शुरुआती चरणों के बारे में बताइए।
कोच्चि के जीवन के विभिन्न धाराओं के लोगों ने इसके लिए कड़ी मेहनत की। न्यायमूर्ति वी़ आऱ कृष्णा अय्यर, डॉ. हेनरी अस्टिन, अभिभाषक बालगंगाधर मेनन आदि प्रारंभिक वषोंर् के दौरान केआईबीएफ के सम्मानित सार्वजनिक नाम थे। राष्ट्रवादी चिंतन से संबंधित समर्पित कार्यकर्ताओं की सेवाओं के बिना यह उपक्रम फलीभूत नहीं हो सकता था।
ल्ल    नव प्रकाशित पुस्तकों के बारे में बताए?
यह वास्तव में दुख की बात है कि नई पुस्तकों के क्षेत्र में केरल की ज्यादा उपस्थिति नहीं है। लोग केरल के संदर्भ में किताबें पढ़ना चाहते हैं। लेखकों को इस धारणा का ध्यान रखना चाहिए।
ल्ल    केआईबीएफ के वार्षिक कार्यक्रमों के लिए धन और कार्यकर्ताओं की जरूरत होती है। क्या आपको कभी कोई सरकारी अनुदान मिला?
केरल सरकार ने अब तक किसी भी तरह की मदद नहीं दी है। एनबीटी थोड़ी मदद करता है। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम पिछले कई वषोंर् से सहायता कर रहे हैं। जनशक्ति का योगदान करने के लिए बहुत सारे राष्ट्रवादी युवा पुरुष हर साल आगे आते हैं ।
ल्ल    इस बार केआईबीएफ ने कोच्चि लिट फेस्ट का आयोजन किया है। क्या यह उन लेखकों को कोई स्थान प्रदान करेगा, जो अब तक मुख्य धारा से दूर रहे हैं?
निश्चित रूप से। हम मानते हैं कि लेखन के क्षेत्र में बड़े और छोटे के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिए।
ल्ल    आमतौर पर उच्च वर्ग के लेखकों को पुस्तक समारोहों में मुख्य स्थान मिलता है। अन्य और नवोदित लेखक पैसे, और हैसियत की कमी के कारण हाशिए पर रह जाते हैं। क्या केआईबीएफ इस संबंध में कुछ भिन्न हो सकता है?
निश्चित रूप से। केआईबीएफ जातिगत, धार्मिक और समृद्धिगत रेखाओं के आरपार एक मानवीय आंदोलन है। हमारे सभी अतिथि हैं।
ल्ल    केरल में एक प्रतिष्ठित साहित्य पुरस्कार बालमणि अम्मा पुरस्कारम् का चयन करने के लिए क्या मानदंड है?
जजों के पैनल में साहित्य क्षेत्र की सबसे प्रमुख हस्तियां शामिल होती हैं। उसमें केआईबीएफ की कोई भूमिका नहीं होती। पुरस्कार लेखक को साहित्य संसार के प्रति उनके कुल योगदान के लिए दिया जाता है।
ल्ल    केआईबीएफ में बच्चों की भागीदारी?
छात्रों के पुस्तक उत्सव स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित किए जाते हैं। संस्थाओं के प्रबंधन के बूते वे बहुत सफल रहे हैं। केआईबीएफ इस योजना के तहत स्कूल पुस्तकालयों के लिए 500 से 5000 पुस्तकें देता है। छात्रों के लिए कई प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। जैसे पढ़ने, चित्रकला, भाषण, साहित्य, घर के पुस्तकालय का रखरखाव आदि।

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