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ऊधमपुर में गत 5 अगस्त को हुई मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए
स्वयंसेवक रॉकी ने लिया था रा. स्व. संघ का प्राथमिक प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री ने दिया जवान के परिवार को 20 लाख का अनुदान
जम्मू-कश्मीर के ऊधमपुर में हुए आतंकी हमले में वीरगति को प्राप्त हुए सीमा सुरक्षा बल के दो जवानों में से एक हरियाणा का रॉकी भी शामिल था। उसने न केवल अपने प्राणों की चिंता किए बगैर बस में सवार अपने साथियों की जान बचाई, बल्कि हंसते-हंसते भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राण भी न्योछावर कर दिए।
रॉकी हरियाणा के यमुनानगर जिला स्थित गांव रामगढ़ की माजरी का रहने वाला था। उसकी शहादत से पूरे क्षेत्र के लोग गमगीन हैं और अपने लाल पर गर्व भी महसूस कर रहे हैं। उससे प्रेरणा लेकर अनेक युवा भारत मां की रक्षा के लिए सेना में भर्ती होना चाहते हैं। रॉकी के बड़े भाई रोहित का कहना है कि आयु में छोटा होने के बावजूद रॉकी देश सेवा में उससे आगे निकल गया, लेकिन वह अब उसके पदचिह्न पर चलकर अपने राष्ट्र की सेवा के लिए और भारत मां की रक्षा के लिए सेना में भर्ती होना चाहता है। उन्होंने बताया कि-रॉकी मंे देश सेवा का जुनून बचपन से ही कूटकूटकर भरा हुआ था। वह सीमा सुरक्षा बल में भर्ती होने से पहले भी आतंकवादियों द्वारा निर्मम लोगों की हत्या और पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे छद्म युद्ध के प्रति अपना आक्रोश जाहिर करता था। वह हर बार आतंकवादियों को इसका सबक सिखाने की बात करता था। रॉकी सीमा सुरक्षा बल में भर्ती होने से कुछ वर्ष पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़ा रहा और वह हमेशा ही निष्ठावान स्वयंसेवक के रूप में जनसेवा के कायार्ें में भागीदार बनता रहा। संगठन के कार्यकल्पों को बेहतर तरीके से क्रियान्वित करने के लिए उसने प्राथमिक प्रशिक्षण भी किया। रॉकी में राष्ट्रसेवा की भावना छात्र जीवन से ही थी और वह हमेशा देश के लिए कुछ करने की भावना को अपने परिवार और मित्रों से व्यक्त भी करता रहता था।
रॉकी सीमा सुरक्षा बल में जाने से कई वर्ष पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की रामगढ़ माजरी के साथ लगे गांव अजीजपुर की शाखा में नियमित रूप से जाता रहा। मुकंुद लाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मेें संघ द्वारा लगाए गए 7 दिवसीय प्राथमिक प्रशिक्षण शिविर में शिक्षण लिया। क्षेत्र के सहखंड कार्यवाह अश्वनी जी ने बताया कि माननीय चरणजीत जी की प्रेरणा से रॉकी ने स्वयंसेवक बनकर हमेशा ही पूरी निष्ठा से कार्य किया। वह राष्ट्र की सेवा के हर कार्य को पूरी लगन और मेहनत से करता रहा। सीमा सुरक्षा बल में भर्ती होने के बाद भी वह जब कभी गांव में आता था तो संघ के कार्यकर्ताओं से मिलकर राष्ट्रहित के कायार्ें की ही बात करता था। उन्होंने बताया कि उसका बड़ा भाई रोहित गत माह रोहतक में आयोजित तरुणोदय कार्यक्रम में उनके साथ शामिल हुआ। इस परिवार के संस्कार और राष्ट्रसेवा की भावना व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा मार्गदर्शन ही दोनों भाइयों के जीवन का आधार रहा है। ऊधमपुर में आतंकवादियों का मुकाबला करने वाला रॉकी सीमा सुरक्षा बल की 33वीं बटालियन में सिपाही था। उसने अपने साथियों को बचाते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। उसकी यह पहली तैनाती थी और वह 2012 में ही सीमा सुरक्षा बल में भर्ती हुआ था। उसे देश से अटूट प्रेम था और इसीलिए वह सीमा सुरक्षा बल में भर्ती हुआ था। आतंकवादियों से लोहा लेने से पूर्व उसने गत 4 अगस्त को अपने परिजनों के साथ अंतिम बार फोन पर बात की थी। उसने जल्दी ही घर आने का आश्वासन दिया था। रॉकी का कहना था कि वह देश की रक्षा में लगा है, इसलिए उसकी कोई चिंता न करे, सब अपना ध्यान रखें। छुट्टी पर घर लौटने के बाद उसे अपनी बहन की शादी करनी थीं। रॉकी की यह बातें अभी परिवार में चर्चा का विषय बनी हुई थी कि उसने ऊधमपुर में आतंकवादियों को नाकों चने चबाते हुए और अपने देश और साथियों की रक्षा करते हुए कुर्बानी दी। गांव के लोग आज उसके जज्बे को सलाम कर रहे हैं। रॉकी का पार्थिव शरीर जब गांव लाया गया तो उसे श्रद्धांजलि देने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। रॉकी का दूसरा साथी शुभेन्दु भी उसी आतंकवादी हमले में वीरगति को प्राप्त हो गया। रॉकी को श्रद्धांजलि देने आए सीमा सुरक्षा बल जवानों ने 25 हजार रुपए की आर्थिक मदद भी परिवार को दी। दिल्ली से पहुंचे सीमा सुरक्षा बल के अतिरिक्त महानिरीक्षक के. के. गुलिया ने मौके पर पहुंचते ही परिवार को दस लाख रुपए का चेक भेंट किया और परिवार से एक सदस्य को नौकरी दिलवाने का आश्वासन दिया।
'गार्ड ऑफ ऑनर' के साथ रॉकी के पार्थिव शरीर का गांव के रविदास मंदिर में अंतिम संस्कार किया गया। संस्कार में गणमान्य लोगों के साथ कंवरपाल गुर्जर, कर्णदव काम्बोज, श्यामसिंह राणा, रतन लाल कटारिया और नायब सिंह सैनी उपस्थित रहे। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की ओर से भी रॉकी के परिवार को 20 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने की घोषणा की गई। ल्लगणेश दत्त वत्स
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