विदेशी सहायता की प्राप्ति मेंप्रमुख बाधा पं. नेहरू ?
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

विदेशी सहायता की प्राप्ति मेंप्रमुख बाधा पं. नेहरू ?

by
Jul 25, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 25 Jul 2015 12:05:03

 
वित्तमंत्री मोरारजी की ब्रिटेन में उपेक्षा
 विदेशों में भारत की स्थिति हास्यास्पद !
''एशिया  का भिखारी आया'' इस शीर्षक से एक प्रमुख ब्रिटिश दैनिक पत्र ने स्वतंत्र भारत के नए वित्त मंत्री श्री मोरारजी देसाई का, उनके जीवन की प्रथम विदेशयात्रा के दौरान, ब्रिटेन की भूमि पर पग धरते ही स्वागत किया। नित्यप्रति 40 लाख पाठकों की आंखों से गुजरने वाले इस प्रमुख दैनिक ने आगे लिखा है:
''भारत दीवालिया हो चुका है… और भारत का वित्तमंत्री हाथ में भीख का कटोरा लेकर अपने दुर्दैव की एक लम्बी चौड़ी मनगढ़न्त कहानी सुनाने आ रहा है।''
इसी प्रकार के उद्गार अन्य विदेशी पत्रों ने भी व्यक्त किए है। किस स्वाभिमानी भारतीय का हृदय अपनी मातृभूमि तथा उसके प्रमुख प्रतिनिधियों के प्रति विदेशियों द्वारा प्रयुक्त इस अपमाजनक भाषा को पढ़कर दुखी और क्षुब्ध न हो उठता होगा? यह सन्तोष की बात है कि हमारे प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने 7 सितंबर को दिल्ली की प्रेस कांफ्रे ंस में इन हृदयवेधी उद्गारों पर क्षोभ प्रकट कर राष्ट्र की सच्ची भावना का प्रतिनिधित्व किया है।
पं. नेहरू के तर्क
पं. नेहरू ने इस प्रेस कांफ्रेंस में निम्न तीन बातें भी कहीं:
''हम उन राष्ट्रों के बहुत-बहुत आभारी हैं, जिन्होंने हमें ऋण तथा अन्य रूपों में आर्थिक सहायता दी है क्योंकि हमें उसकी बहुत सख्त आवश्यकता है।
(2) हमारे दिवालिएपन की बात निराधार है क्योंकि हमारे राष्ट्र की आर्थिक स्थिति बहुत सुदृढ़ है।
(3) केवल कुछ पत्रों ने ही ऐसे उद्गार व्यक्त किए हैं, वहां की सरकार का यह रुख नहीं है।
इस ऋण की आवश्यकता क्यों
जिस सख्त आवश्यकता की ओर प. नेहरू ने संकेत दिया है वह है द्वितीय पंचवर्षीय योजना,जिसकी पूर्ति के लिए वित्तमंत्री 560 करोड़ रु. का विदेशी ऋण किश्तो में अथवा एकमुश्त ढूंढने गए हैं। यह आवश्यकता सच्ची है या नहीं , उसका विवेचन करना  इस सीमित स्थान में सम्भव नहीं।  
पंूजी का अपव्यय
दीनदयाल जी का प्रतिपादन था कि विकासशील निर्धन राष्ट्रों में पूंजी की समस्या विदेशी सहायता पर निर्भर होकर नहीं, वरन् संयमित उपभोग अनुत्पादक व्यय को समाप्त करने, शासन के खर्चों में बचत करने, सार्वजनिक क्षेत्र के व्यय पर अंकुश रखने तथा उत्पादक कार्यों को वरीयता देने जैसे उपायों से हल की जानी चाहिए। शासनकर्ता एवं धनसम्पन्न लोग यदि अपने आचरण द्वारा सरल रहन-सहन का आदर्श लोगों के सम्मुख रखें तो सर्वमान्य जनता को बचत करने की प्रेरणा मिल सकेगी। किन्तु आज चुनाव की सत्ताभिमुख राजनीति एवं पाश्चात्य जीवनपद्धति के अंधानुकरण के कारण हमने अपने समाज में भोग की इच्छा बहुत अधिक बढ़ा रखी है।
परिणाम यह हुआ कि उत्पादन से होने वाले लाभ का उपयोग उत्पादक कार्यों के लिए पुनर्निवेश में न होकर शासनकर्ता तथा धनाढ्य वर्ग द्वारा विलासिता में उस धन का दुरुपयोग हो जाता है।       
                  (पं. दीनदयाल उपाध्याय विचार दर्शन खण्ड-4 एकात्म अर्थनीति ) 

एक ऋण की आवश्यकता क्यों ?
जिस सख्त आवश्यकता की ओर पं. नेहरू ने संकेत दिया है वह द्वितीय पंचवर्षीय योजना, जिसकी पूर्ति के लिए वित्तमंत्री 560 करोड़ रुपए का विदेशी ऋण  किश्तों में अथवा  एकमुश्त ढूंढने गए हैं। यह आवश्यकता सच्ची है या नहीं, इसका विवेचन करना इस सीमिति स्थान में संभव नहीं है।  इतना ही कहकर हम इसे छोड़ देते हैं कि राष्ट्र के अनेक गंभीर अर्थशास्त्रियों, विचारकों एवं राजनीतिज्ञों के सन्तुलित विरोध की उपेक्षा करके भी प्रधानमंत्री  ने देश की जनता के गाढ़े पसीने की कमाई का एक-एक पैसा करों के रूप में चूस कर अरबों रुपया जिस योजना की  पूर्ति में लगा दिया, जिसके कारण भारत को संसार के द्वार-द्वार का भिखारी बना दिया। उस योजना की निरर्थकता, असफलता और खोखलेपन के सम्बन्ध में पं. नेहरू के वे उदगार, जो उन्होंने पिछले पखवाड़े  में मैसूर के कृषि-सम्मेलन में प्रकट किए हैं, पर्याप्त हैं।
हमारी सुदृढ़ स्थिति का नमूना ?
श्री नेहरू द्वारा भारत की सुदृड़ स्थिति का उल्लेख कितना हास्यास्पद है। वह भी तब जबकि भारत का वित्तमंत्री 'हाथ में भीख का कटोरा लेकर' समस्त व्यक्तिगत और राष्ट्रीय अपमान की घूंट पीकर आर्थिक सहायता के लिए विदेशों की खाक छान रहा हो। विदेशों में हमारी स्थिति कितनी हास्यास्पद है इसका पता इससे लगता है कि एक ओर ब्रिटेन में भारत की उच्चायुक्त, जो प्रधानमंत्री की सगी बहन भी हैं, श्रीमती विजयालक्ष्मी पंडित आज भी लन्दन की उस सड़क पर, जिसे वहां के नागरिक 'करोड़पतियों की सड़क' कहकर पुकारते हैं, एक आलीशान गार्डन्स पैलेस में रहकर राजाओं को भी चकाचौंध करने वाले वैभव का प्रदर्शन कर रही हैं।
खाद्य संकट कारण और हल
खाद्य-संकट निरन्तर विषम से विषम तर होता चला जा रहा है। शासनारूढ़ दल तथा विरोधी दल साभी इस सकंट की विषमता से चिंतित ही नहीं व्यग्र हो उठे हैं। विभिन्न प्रदेशों के विधानमंडलों में तथा संसद में समय-समय पर इस विषय पर जिस प्रकार की चर्चाएं हो रही हैं, उससे यही लगता है कि शासन केवल समस्या को सुलझाने में ही असफल नहीं रहा है, अपितु उसका स्थायी हल भी उसकी समझ में नहीं आ रहा है, और यह भी नितांत सत्य है कि समस्या अस्थायी न होकर स्थायी रूप धारण करती जा रही है और इसलिए उसे अच्छी वर्षा या खराब वर्षा, अथवा सूखा या बाढ़ के नाम पर नहीं छोड़ा जा सकता।
समस्या के कारणों पर यदि गम्भीरतापूर्वक विचार किया जाए तो वे निम्न प्रतीत होंगे।
1- राजनैतिक, 2-संवैधानिक, 3-व्यावहारिक 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Bhagwan Narsingh Jayanti

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह(नरसिंह)

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

समाधान की राह दिखाती तथागत की विचार संजीवनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना पर टिप्पणी करना पड़ा भारी: चेन्नई की प्रोफेसर एस. लोरा सस्पेंड

British MP Adnan Hussain Blashphemy

यूके में मुस्लिम सांसद अदनान हुसैन को लेकर मचा है बवाल: बेअदबी के एकतरफा इस्तेमाल पर घिरे

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Bhagwan Narsingh Jayanti

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह(नरसिंह)

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

समाधान की राह दिखाती तथागत की विचार संजीवनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना पर टिप्पणी करना पड़ा भारी: चेन्नई की प्रोफेसर एस. लोरा सस्पेंड

British MP Adnan Hussain Blashphemy

यूके में मुस्लिम सांसद अदनान हुसैन को लेकर मचा है बवाल: बेअदबी के एकतरफा इस्तेमाल पर घिरे

पाकिस्तान के साथ युद्धविराम: भारत के लिए सैन्य और नैतिक जीत

Indian DRDO developing Brahmos NG

भारत का ब्रम्हास्त्र ‘Brahmos NG’ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल अब नए अवतार में, पांच गुणा अधिक मारक क्षमता

Peaceful Enviornment after ceasfire between India Pakistan

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद आज क्या हैं हालात, जानें ?

Virender Sehwag Pakistan ceasfire violation

‘कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है’, पाकिस्तान पर क्यों भड़के वीरेंद्र सहवाग?

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies