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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर 43 मुस्लिम देशों सहित विश्व के 177 देशों ने हिस्सा लिया। जहां एक तरफ पूरा विश्व भारत को इस आयोजन पर बधाई देते नहीं थक रहा है, वहीं दूसरी तरफ कुछ विरोधी स्वर भी सुनाई दिए जिनमें अपनी माटी की संस्कृति पर ऊलजलूल टिप्पणियां की गईं। 'मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड' ने मुस्लिम समुदाय को पत्र लिखकर कहा कि केन्द्र सरकार का यह एजेंडा संविधान का उल्लंघन है। उसने इस रचनात्मक कार्य को पंथनिरपेक्ष संविधान का उल्लंघन बताया है।
इसके लिए सीधे तौर पर मुस्लिम संगठनों और इमामों से संपर्क किया गया। योग को इस्लामी मान्यता पर हमला करार दिया गया। बोर्ड की ओर से कार्यकारी महासचिव मौलाना वली रहमानी ने 19 बिंदुओं वाले इस पत्र में स्पष्ट लिखा कि वर्तमान में केन्द्र सरकार और उसके कर्मचारी अलग इरादे रखते हैं। रहमानी का आरोप है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, विद्यालयों में सूर्य नमस्कार और वंदे मातरम् की शुरुआत हिन्दुत्व का एजेंडा लागू करने के लिए की गई है। रहमानी ने लिखा कि रा. स्व. संघ के प्रथम सरसंघचालक स्व. डॉ. केशवराम बलिराम हेडगेवार जी की पुण्यतिथि क्योंकि 21 जून को होती है, इसी को ध्यान में रखते हुए इसी दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया। उन्होंने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन कर सरकार मूल्य वृद्धि एवं महत्वपूर्ण विषयों से देश की जनता का ध्यान हटाना चाहती है। रहमानी ने आगे श्रीमद्भगवद् गीता के छठे अध्याय का जिक्र करते हुए कहा कि योग और सूर्य नमस्कार हिन्दू धर्म की धार्मिक गतिविधियों का हिस्सा हैं। यह मुसलमानों की विचारधारा के विरुद्ध हैं। पत्र में आगे लिखा गया है कि योग आदि के माध्यम से इस्लामी मान्यताओं को खतरा है। खासतौर पर शुक्रवार की नमाज के मौके पर इस मुद्दे पर सभी को गहराई से विचार करने और आंदोलन के लिए तैयार करने को भी कहा गया। गत सात जून को लखनऊ में 'ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड' की कार्यकारी बैठक में योग के विरुद्ध प्रस्ताव पारित कर इसे इस्लाम विरोधी बताया गया था। पत्र में कई जगह हिन्दुओं की जगह ब्राह्मण शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इसे बोर्ड की बैठक में हुई सहमति से जोड़कर ही देखा जा रहा है। बैठक में वंचित और पिछड़े वर्ग को साथ लेकर भाजपा के विरुद्ध जनमत तैयार करने की योजना बनाई गई थी।
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन से पूर्व ही मुस्लिम संगठनों ने एक सिरे से इसका विरोध करना शुरू कर दिया था, लेकिन सरकार द्वारा अपनी नीति स्पष्ट करने के बाद अनेक मुस्लिम संगठनों ने कंधे से कंधा मिलाकर विरोधियों को एक संदेश भी दिया था कि योग इस्लाम विरोधी नहीं है। योग दिवस के सफल होने को अब कुछ अन्य संगठन अपनी असफलता मान रहे हैं और अपनी खीझ उतारने के लिए पत्र लिखकर मुसलमानों को ऐसा करने से रोक रहे हैं। इससे उनकी बौखलाहट साफ दिखाई पड़ रही है। ल्ल प्रतिनिधि
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