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केदारनाथ आपदा की दूसरी वर्षगांठ पर गत दिनों नई दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी के सान्निध्य में आयोजित इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले रहे। भाजपा सांसद श्री अश्विनी चौबे ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। सर्वप्रथम केदारनाथ आपदा में प्राणोत्सर्ग करने वाले हुतात्माओं को श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में श्री दतात्रेय होसबाले ने कहा कि केदारनाथ की विभीषिका में प्राणाहुति देने वाले लोगों की निश्चित संख्या आज तक मालूम नहीं है। जानने का प्रामाणिक प्रयास भी नहीं किया गया। संघ ने देशभर के प्रभावितों और लापता व्यक्तियों के आंकड़े एकत्रित करने के प्रयत्न किए और एक पुस्तक 'केदारनाथ : एक दैवीय आपदा' प्रकाशित की। उन्होंने यह भी कहा कि तीर्थस्थलों पर उचित व्यवस्थाएं होनी चाहिए और सभी को पर्यावरण का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से जुड़े शीर्ष वैज्ञानिक डॉ. ओम प्रकाश मिश्र ने कहा कि मनुष्य के शरीर की तरह पृथ्वी भी प्राणवान है और जिस प्रकार व्यक्ति को हृदयाघात होता है उसी प्रकार भूकंप और भूस्खलन के रूप में पृथ्वी भी अपने दर्द की अभिव्यक्ति करती है। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि केदारनाथ क्षेत्र में जिस प्रकार की विभीषिका आई थी ,वह प्रकृति की ओर से एक चेतावनी भरी चपत है। 16 जून, 2013 में घटित इस विनाशलीला को याद करते हुए श्री अश्विनी चौबे ने कहा कि आपदा में हजारों श्रद्धालु मारे गए थे। इसके बावजूद इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा नहीं माना गया। इसको लेकर तत्कालीन केंद्र सरकार और राज्य सरकार की भूमिका भेदभावपूर्ण रही थी। अब इस मामले में वर्तमान केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की अपेक्षा है।
-प्रतिनिधि
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