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भारतीय मजदूर संघ की राष्ट्रीय इकाई सरकारी कर्मचारी परिसंघ का एक प्रतिनिधिमण्डल कार्मिक मामलों के केन्द्रीय मंत्री डॉ़ जितेन्द्र सिंह से मिला। प्रतिनिधि मण्डल में जी.ई.एन.सी. के अध्यक्ष श्री के.एऩ शर्मा, महामंत्री श्री साधू सिंह, बी.पी.़ई.एफ. के श्री शिवाकान्त मिश्रा, स्वायत्त प्रशासी के श्री योगेन्द्र राय, बी़ पी़ एम़ एस के श्री मुकेश सिंह एवं बी़ आऱ एम़ एस के श्री रामानन्द त्रिपाठी ने सातवें वेतन आयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने संभावित न्यूनतम वेतन निर्धारण, कम करके आंकी गयी 2.57 की वेतन वृद्धि, गैर बराबरी द्वारा तैयार वेतन प्रतिमान, मनमाने ढंग से मकान भत्ते सहित अन्य भत्तों को कम करने व कइयों को खत्म करने, ब्याज मुक्त आर्थिक सहायता को खत्म करने, नई पेेंशन नीति पर कोई संस्तुति न होने और तमाम अन्य लाभों को कम करके देने जैसी आशंकाओं पर चर्चा की। अनुकम्पा के आधार पर नियुक्तियां एक बार में करने, बीमा खत्म करने, खाली पदों पर तुरन्त नियुक्ति करने जैसे विषयों पर ज्ञापन सौंपा। भारतीय मजदूर संघ के सह संगठन मंत्री श्री बी़ सुरेन्द्रन तथा क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री पवन कुमार ने केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह से विशेष आग्रह किया कि सातवें वेतन आयोग को निश्चित रूप से ही संजीदगी के साथ परखकर ही अधिसूचना जारी की जाये। कार्मिक मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह के द्वारा प्रतिनिधिमंडल को पूर्ण आश्वासन दिया गया कि इस पर वित्त मंत्री एवं प्रधानमंत्री से भारतीय मजदूर संघ के प्रतिनिधियों की चर्चा करवाकर निश्चित ही विचार किया जायेगा। ल्ल प्रतिनिधि
समरस समाज था डॉ. अम्बेडकर का स्वप्न
पंचनद शोध संस्थान द्वारा वैशाली गाजियाबाद में डॉ. अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर बहुआयामी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। उन्होंने राजनीति, कानून और संविधान के माध्यम से भावी पीढ़ी को सचेत करने के लिए जो दिया वह बहुमूल्य है। सामाजिक समरसता उनका स्वप्न था। देशभक्ति उनकी रग-रग में व्याप्त थी। वे देश की एकता और अखण्डता के लिए संस्कृत को राष्ट्रभाषा बनाने के पक्षधर थे। ऐसे महान व्यक्तित्व के कृतित्व पर अधिक से अधिक अनुसंधान कार्य कर भावी संततियों के लिए धरोहर रूप में सुरक्षित किया जा सकता है। गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में श्री शान्त प्रकाश जाटव ने कहा कि अम्बेडकर समूचे भारत के लोगों के अभिभावक और सामाजिक न्याय की जिन्दा प्रतिमूर्ति थे। गोष्ठी की अध्यक्षता श्री राकेश अग्रवाल ने की और संचालन केन्द्र के महामंत्री डॉ. कृष्णचंद्र पाण्डेय ने। गोष्ठी में संजय मित्तल, श्रीमती कुसुम शर्मा, मुकेश गौतम व पवन शर्मा सहित कई प्रबुद्ध महानुभाव उपस्थित थे। प्रतिनिधि
'सपने जो सोने न दें' का लोकार्पण
डॉ. ए़पीज़े़ अब्दुल कलाम के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' की हिन्दी एवं गुजराती में लिखित पुस्तक 'सपने जो सोने न दें' का लोकार्पण भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा मुख्यालय नई दिल्ली में किया। श्री अमित शाह ने कहा कि डॉ. निशंक ने राजनीति और साहित्य में पूरी संवेदनशीलता के साथ लेखन कार्य करते हुए समाज को जो कुछ दिया है उस पर हमें गर्व है। संवेदनशील व्यक्ति ही असली राजनीति कर सकता है। श्री अमित शाह ने आगे कहा कि डॉ. ए़पीज़े़ अब्दुल कलाम समस्त भारत के आदर्श हैं। उनके जीवन पर आधारित इस पुस्तक से पाठकों और खासकर युवाओं को जीवन में नई ऊर्जा प्राप्त होगी।
पुस्तक के लेखक डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा कि जीवन में हम जो कुछ बनने की कल्पना करते हैं और जो कुछ बनना चाहते हैं उसके लिये हमारा दृढ़ विश्वास और इच्छाशक्ति हमें रास्ता देती है। इस कार्य में प्रकृति भी हमारा साथ देती है। डॉ. कलाम ने अपने जीवन काल में कड़ी मेहनत और संघर्ष के बल पर जो मुकाम हासिल किया वह पूरे विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत है। पुस्तक के प्रकाशक डायमंड बुक्स के चेयरमैन एन.के.वर्मा ने मुख्य अतिथि सहित अन्य सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
साहित्यकार डॉ. साधना अग्रवाल ने कहा कि डॉ. निशंक ने अत्यंत गरीबी से अपना जीवन शुरू किया। डॉ. ए़पीज़े़ अब्दुल कलाम के जीवन की तरह ही उनका जीवन भी अत्यंत संघर्षपूर्ण रहा।
इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत आईएएस पंकज सिंह, हरिओम शर्मा, नीरव जोशी, अंकुर वर्मा, डॉ. गंगा प्रसाद विमल, उमेश अग्रवाल, हिमांशु शेखर व दीप्ति रावत सहित अनेक साहित्यकार एवं गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव बृजेन्द्र त्रिपाठी ने किया। प्रतिनिधि
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