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राष्ट्रपति भवन में गत 4 अक्तूबर से तीन दिवसीय 'विजिटर कांफ्रेंस' आयोजित की गई। सम्मेलन के एजेंडे में विश्वस्तर के शीर्ष संस्थानों के मुकाबले उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने, संकायों की विकास क्षमता बढ़ाने और उच्च अध्ययन केन्द्रों को समुदाय और समाज के विकास से जोड़ना शामिल था। लिंग समानता को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक तत्वों को शिक्षा में शामिल करने पर भी चर्चा हुई। इस अवसर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री और शिक्षामंत्री को अभी उद्घाटित इम्प्रिंट (आईएमपीआरआईएनटी) के लिए बधाई देता हूं जिसका मुख्य ध्येय समाज की त्वरित आवश्यकता के कार्यों की पहचान करना है। राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों उच्च शिक्षा के ढांचागत विकास में पिछले 10 वर्षों में विस्तार हुआ लेकिन विश्व में विद्यमान 27 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) की तुलना में भारत में यह 21 प्रतिशत होने के कारण इस पर ध्यान देना जरूरी है। इसके लिए नई शिक्षा नीति बनायी जाएगी। राष्ट्रपति ने हाल ही में स्थापित ग्लोबल इनिशियेटिव फॉर एकेडेमिक नेटवर्क (जीआईएएन) और नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) जैसे अभियान के लिए प्रधानमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री की प्रशंसा की और विश्वास व्यक्त किया कि नई शिक्षा नीति 2020 तक जीईआर के 30 प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी।
सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि प्राथमिक शिक्षा व्यक्ति को जड़ों से जोड़ती है और उच्च शिक्षा आसमान छूने के अरमान जगाती है। इम्प्रिंट के माध्यम से देश के लिए एक बड़ा योगदान सुनिश्चित होगा। हमें किस प्रकार के मानव संसाधन की आवश्यकता पड़ेगी उसका एक सुनियोजित पाठ्यक्रम तैयार करके कौशल विकास को सुदृढ़ करने वाले संस्थानों को विकसित करने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति स्वयं में एक चलते-फिरते विश्वविद्यालय हैं।
इंपैक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एण्ड टेक्नोलॉजी (आईएमपीआरआईएनटी) इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्र की मुख्य चुनौतियों के आईआईटी और आईआईसी के संयुक्त तत्वावधान में अनुसंधान और हल के लिए रास्ता निकालने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इम्प्रिंट नामक पत्रक का लोकार्पण करते हुए उसकी पहली प्रति राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी को भेंट की। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इम्प्रिंट इंडिया सामाजिक प्रासंगिकता के साथ सांस्थानिक, शैक्षणिक अनुसंधान और नवोन्मेष को प्रोत्साहन देने वाले उद्योग क्षेत्र के लिए प्रभावी ऊर्जस्वी मंच सिद्ध होगा। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी, मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री श्री रामशंकर कठेरिया और केन्द्रीय रासायनिक एवं उर्वरक राज्यमंत्री हंसराज अहीर उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान सार्वभौमिक है लेकिन तकनीक स्थानीय होनी चाहिए। उद्योग जगत और शिक्षा जगत को मिलकर देश के निर्माण एवं विकास हेतु प्रभावी भागीदारी निभाने की आवश्यकता है। उच्च शिक्षा में अध्ययन में नवोन्मेषण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। जीआईएएन के तहत विदेशी शिक्षकों को भारत के सरकारी शैक्षणिक संकायों में अध्यापन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। वैश्विक ताप की चुनौती को कम करने और कूड़े कचरे को उपयोग में बदलने में इससे सहयोग मिलेगा। -प्रतिनिधि
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