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राष्ट्र के नाम अपने सालाना संदेश में के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पाकिस्तान से लेकर पेरिस की सड़कों तक आतंकवादियों का सफाया करने का संकल्प जताया है। उन्होंने अमरीकी कांग्रेस से इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) के खिलाफ कार्रवाई के लिए और अधिक अधिकारों की मंजूरी देने की भी मांग की है। गत 21 जनवरी को राष्ट्र के नाम अपने संदेश में ओबामा ने कहा, 'पाकिस्तान में स्कूल से लेकर पेरिस की सड़कों तक आतंकियों ने जिन लोगों को निशाना बनाया, हम उनके साथ हैं। ' इस अवसर पर सीनिटरों ने पीली पेंसिलें लहराकर हाल ही दिनों में हुए आतंकी हमलों के पीडि़तों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि फ्रांस की पत्रिका 'शार्ली एब्दो' पर हुए आतंकी हमले के बाद यह पेंसिल वैश्विक स्तर पर अभिव्यक्ति की आजादी का प्रतीक बन गई है। ओबामा ने कहा, 'मेरे इस पद पर आने के बाद से हमने उन आतंकियों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई की है जो हमारे तथा सहयोगियों के लिए खतरा हैं। इस दौरान अमरीका ने अफगानिस्तान और इराक में आतंकवाद के खिलाफ अपने युद्ध से भी सबक सीखा है। ' उन्होंने सांसदों से कहा 'आतंकी समूह के खिलाफ बल प्रयोग के लिए अधिकृत करने संबंधी प्रस्ताव को पारित कर दुनिया को यह दिखाएं कि इस मिशन पर हम एकजुट हैं।' अमरीकी राष्ट्रपति ने अर्थव्यवस्था में छाई मंदी के दुष्चक्र पर जीत हासिल करने की भी घोषणा की और कहा कि देश संकट के साए से निकल चुका है। अमरीकी अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और वर्ष 1999 के बाद सबसे तेजी से रोजगार के अवसर पैदा कर रही है। बेरोजगारी दर वित्तीय संकट शुरू होने के समय के पहले से भी कम है। ल्ल
फुटबॉल मैच देखने पर 13 युवकों की हत्या
इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने इराकी शहर मोसुल में फुटबाल मैच देख रहे 13 युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी। आतंकियों ने गत दिनों इराक और जॉर्डन के बीच हुए एशियन कप फुटबाल मैच को टेलीविजन पर देखते हुए इन युवकों को पकड़ लिया था।
आईएसआईएस की गतिविधियों पर नजर रखने वाली 'स्लॉटर्ड साइलेंटली 'की रपट के अनुसार पहले सभी युवकों को सड़क पर खड़ा किया गया। इसके बाद लाउस्पीकर से घोषणा की गई कि इन युवकों ने टेलीविजन पर फुटबाल मैच देखकर इस्लामिक शरिया कानून का उल्लंघन किया है। इसके बाद उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर उनकी हत्या कर दी गई। आतंकियों ने युवकों के शवों को सड़क पर फेंक दिया। इतना ही नहीं धमकी दी गई कि यदि उनके शवों को सड़क से उठाया गया तो ऐसा करने वालों का भी यही अंजाम होगा। आतंकियों के डर से मारे गए युवकों के परिजनों ने भी शवों को उठाने की हिम्मत नहीं की है। ल्ल
बंगलादेश में पहली बार हिंदू मुख्य न्यायाधीश
बंगलादेश में पहली बार किसी हिंदू को देश का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है। न्यायमूर्ति सुरेंद्र कुमार सिन्हा को मुस्लिम बहुल बांग्लादेश का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करके शेख हसीना सरकार ने एक सकारात्मक संदेश दिया है। सिन्हा को 12 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया। श्री सिन्हा ने एलएलबी करने के बाद 1974 में सिलहट जिला अदालत में वकालत के लिए पंजीकरण कराया था। इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया और अधिवक्ता तौर पर नामांकन कराया। उच्च न्यायालय न्यायाधीश के तौर पर उनकी नियुक्ति वर्ष 1999 में हुई, इसके बाद वे वर्ष 2009 में अपीलीय पीठ के जज बने थे। ल्ल
धीमी पड़ी चीनी अर्थव्यवस्था की रफ्तार
चीन की अर्थव्यवस्था की गति 24 सालों में पिछले साल सबसे धीमी रहने संबंधी रपटों के बाद चीन की सरकार ने इस साल संरचनात्मक सुधारों पर अधिक बल दिए जाने की बात कही है। स्थानीय मीडिया ने प्रधानमंत्री ली केकियांग के हवाले से यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था ठीक तरह से काम कर रही है और सरकार इस साल संरचनात्मक सुधारों पर अधिक जोर देगी। ली ने कहा कि इस साल चीन की अर्थव्यवस्था को विभिन्न तरह की मिलीजुली स्थितियों का सामना करना होगा। ऐसे में सरकार बड़ी आर्थिक नीतियों को साधेगी। उल्लेखनीय है कि गत 20 जनवरी को चीन की अर्थव्यवस्था पर जारी किए गए आंकड़ों में खुलासा किया गया था कि पिछले 24 सालों में वर्ष 2014 में चीन की अर्थव्यस्था की गति सबसे सुस्त रही। चीन में पिछले साल संपत्ति की कीमतें ठंडी रहीं और सरकार के साथ कंपनियां भी कर्ज के बोझ तले दबी नजर आईं। ल्ल प्रस्तुति : आदित्य भारद्वाज
नेपाली संसद बनी युद्ध का मैदान
नेपाल में आयोजित संविधान सभा की बैठक में गत दिनों जमकर मारपीट हुई। इस मारपीट में तीन सुरक्षाकर्मियों समेत 12 लोग घायल हो गए। जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। स्थानीय मीडिया की रपटों के अनुसार कुछ विपक्षी सांसदों ने कुर्सियां, टीवी स्क्रीन, कैमरा और माइक्रोफोन उखाड़ फेंके। उल्लेखनीय है कि नेपाल में माओवादियों का हिंसक विद्रोह खत्म होने के बाद मई, 2008 में संविधान सभा का निर्वाचन हुआ था। राजनीतिक विवादों की वजह से यह संविधान सभा मई, 2012 तक संविधान तैयार नहीं कर पाई थी। इस राजनीतिक विफलता के बाद दूसरी संविधान सभा नवंबर 2013 में निर्वाचित हुई थी। इसकी पहली बैठक 2014 के जनवरी में हुई जिसमें कहा गया कि 22 जनवरी 2015 तक संविधान तैयार करने का काम पूरा कर लिया जाएगा। पर ऐसा होने से मामला लटक गया लगता है। ल्ल
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