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ओमप्रकाश : दूसरों को बचाने वाले के घाव कौन भरेगा

by
Jan 27, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 27 Jan 2015 14:19:19

ओम प्रकाश अपने सहपाठियों के साथ मारुति वैन से स्कूल जा रहे थे। वैन के भीतर 9 बच्चे थे। वैन खचाखच भरी थी। अभी वैन स्कूल से एक किलोमीटर दूर थी कि अचानक उसके इंजन से धुआं उठने लगा। इससे पहले कि बच्चे कुछ समझ पाते वैन पूरी तरह से आग की चपेट में थी। बच्चे चीखने लगे। ओम प्रकाश उनमें सबसे बड़ी उम्र का था। उसने हिम्मत करके बच्चों को इस तरह से निकालना शुरू किया ताकि बच्चे आग से बच जाएं। इस क्रम में वह बुरी तरह से झुलस गया। सब बच्चों की जान बच गई। पर उसका दाहिना हाथ और पीठ बुरी तरह से जल गई। उसकी बहादुरी को स्थानीय मीडिया ने जगह दी। उसका साल 2011 के राष्ट्रीय बाल वीर पुरस्कार के लिए चयन हुआ।  प्रधानमंत्री निवास में ओम प्रकाश और बाकी बच्चों से डा़ मनमोहन सिंह मिले। वे ओम प्रकाश की वीरगाथा सुनकर खासतौर पर प्रभावित हुए। उसके शरीर पर बंधी पट्टियों और घावों को देखकर वे पसीज गए। उन्होंने वहां पर ही तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ को ओम प्रकाश के इलाज करवाने के आदेश दिए। पीएम के भाषण के बाद कृष्णा तीरथ ओम प्रकाश के पास पहुंचीं । उसे इलाज का भरोसा दिया गया। ओम प्रकाश का सफदरजंग अस्पताल में इलाज शुरू हुआ। पर एक दिन के भीतर उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई या कहें कि अस्पताल छोड़ने के लिए कह दिया गया।
ओम प्रकाश अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ है। उसका उपचार अभी तक जारी है। बनारस के एक अस्पताल में उसका उपचार चल रहा है। घाव अब भी हरे हैं। उसे न तो स्थानीय स्तर पर और न ही इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर से कोई मदद मिल रही है। वह जैसे-तैसे 12 वीं की पढ़ाई कर रहा है। पर पढ़ाई से ज्यादा उसका वक्त इलाज में गुजरता है। उपचार में हो रहे खर्च के चलते उसके परिवार की हालत खराब हो चुकी है। कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं। ल्ल

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