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कीटनाशक जैविक विष होते हैं। विभिन्न प्रकार के रासायनिक विष। मानव शरीर पर उनके कुप्रभाव की संभावना तार्किक है। यहां तक इनसे कैंसर भी हो सकता है। यह साक्ष्य कीटनाशकों के व्यापक प्रयोग पर धीर-धीरे सामने आये हैं। कीटनाशकों के व्यापक प्रयोग से अमरीका में पक्षी विलुप्त हो गये। पक्षियों का कलरव बंद हो गया, बादियां शान्त हो गईं। इसी को आधारित कर रेसेल कारसन ने 1962 में 'साइलेन्ट स्प्रिंग' पुस्तक लिखी,जो क्रांतिकारी सिद्घ हुई। पहली बार कीटनाशकों के घातक प्रभाव उजागर हुए और मीडिया ने भी इसे प्रमुखता से उठाया जिसके कारण जनसाधारण भी उद्वेलित हुआ और सरकार जागी। विश्व भर में प्रतिक्रिया हुई। वातावरण में इस विष के प्रतिवर्ष हजारों टन घुलने के प्रति लोग सजग हुए।
समस्त कीटनाशक जैविक विष हैं। विभिन्न प्रकार के विष अलग अलग तरह से प्रभावी होते हैं। सभी विष जीव कोशिकाओं में सतत चल रही रासायनिक जीवन प्रक्रिया को बाधित कर ही इसमें सफल होते हैं। हर कोशिका को जीवित रहने और अपना कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। कोशिका में पोषक तत्वों की ऑक्सीकरण प्रक्रिया से ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो एटीपी के रूप में उपलब्ध होती है। अधिक क्रियाशील और सृजनशील कोशिकाओं की ऊर्जा की आवश्यकता कार्य अनुरूप अधिक होती है। इसी कारण सृजनशील (मल्टीप्लाईंग/ डिवाइडिंग) कोशिकाएं विष के कुप्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। सूक्ष्म मात्रा में व्याप्त कीटनाशक मानव शरीर में सृजनशील कोशिकाओं की सृजन एवं संवर्द्घन प्रक्रिया को बाधित करते हैं। बाधित जैविक प्रक्रिया से कोशिका की जीन संरचना में विकृति उत्पन्न हो जाती है। फलस्वरूप सृजन और संवर्द्घन को नियंत्रित और नियमित करने वाली प्रक्रियाएं नष्ट या विकृत हो जाती हैं और सामान्य कोशिका, कैंसर कोशिका बन जाती है;अनियंत्रित विभाजन,अन्य कोशिकाओं पर आक्रमण की क्षमता, पोषक तत्वों की अपनी आवश्यकता के लिए रक्त वाहिनियां बनाने की क्षमता और शरीर में दूर किसी भी अंग में जाने की क्षमता प्राप्त कर लेती हैं।
जिन घरों में कीटनाशकों का प्रयोग होता है, उनके बच्चों में रक्त कैंसर, ब्रेन कैंसर और सॉफ्ट टिश्यू सरकोमा नामक कैंसर की घटने की दर अधिक होती है। प्रतिरोधात्मक शक्ति के क्षीण होने से भी कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। कीटनाशक प्रतिरोधात्मक शक्ति को क्षीण करते हैं। बच्चों, बुजुगार्ेंे और लम्बे समय से बीमार लोगों में यह संभावना अधिक होती है, वे अधिक संवेदनशील होते हैं।
कीटनाशक और खरपतवार नाशक आर्सनिक आधारित रसायन जैसे सोडियम आर्सिनेट और कैल्सियम आर्सिनेट चिन्हित कैंसर कारक हैं। जानवरों पर परीक्षण एवं मानव अध्ययन के आधार पर डीडीटी, लिन्डेन, बेन्जीन हेक्साक्लोराइड, नाइट्रोफिनोल्स, पेराडाइक्लोरोबेन्जीन, क्लारोडेन, कार्बामेट-आईपीसी व सीआईपीसी, को संभावित कैंसरकारक के रूप में चिन्हित किया गया है। साथ ही इन्हें छिड़काव के लिए जिन पेट्रोलियम आधारित द्रव्यों में घोला जाता है,उनमें स्थित ऐरोमैटिक साइक्लिक और अनसेच्यूरेटेड हाईड्रोकार्बन भी कैंसरकारक होते हैं। देश के बाजारों में व्यापक रूप में उपलब्ध मिलावटी कीटनाशक अतिघातक होते हैं।
कैंसर कारक कीटनाशक रसायनों के मानव शरीर पर प्रभाव से कैंसर होने में साधारण रूप से कई वर्ष लगते हैं। क्रमश: होते जीन विकृतिकरण समयोपरांत जब चरम पर पहुंचते हैं, तब कैंसर होता है। कुछ रक्त कैंसर इसके अपवाद हैं। ल्ल
गर्भस्थ शिशु पर कहर
आमिर खान के बहुचर्चित कार्यक्रम 'सत्यमेव जयते!' की एक कड़ी कीटनाशकों के दुष्प्रभावों पर थी। इसमें मैंने अपने दो अध्ययनों का ब्योरा दिया था। एक, प्रमुख न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (एनटीडी) अविकसित मस्तिष्क वाले बच्चों का और दूसरा, जननांगों की जन्मजात विकृतियों का। पहला अध्ययन जयपुर के महिला चिकित्सालयों के प्रसव कक्षों के रजिस्टर में अंकित गंभीर जन्मजात विकृतियों पर आधारित था और दूसरा भठिन्डा और पास के दो शिशु-शल्यचिकित्सक के पास आये उपचार साध्य जन्मजात विकृतियों के बच्चों पर।
पहले अध्ययन में अविकसित मस्तिष्क वाले बच्चों की घटने की दर (इन्सीडेन्स) अधिक मिली। मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड गर्भावस्था के प्रारंभिक 6 सप्ताह में ही विकसित हो जाते हैं। अत: मस्तिष्क के विकृति कारकों के अध्ययन के लिए हर अविकसित मस्तिष्क वाले बच्चे का गर्भाधान का महीना देखा गया – एल एम पी (आखिरी बार हुए मासिक का महीना)।
जब अविकसित मस्तिष्क वाले बच्चों का गर्भाधान के महीनों में आकलन किया गया तो आश्चर्यजनक तथ्य सामने आया कि वर्ष के दो महीनों में यह दर अपेक्षाकृत कहीं अधिक थी। सवाल था कि गर्भधारण के इन दो महीनों में ऐसा क्या था,जो मस्तिष्क विहीनता का कारण हो सकता था। अविकसित मस्तिष्क का प्रमुख कारण, फोलिक एसिड की कमी, हमें ज्ञात था। वर्ष के उन दो महीनों में फोलिक एसिड की जनसाधारण में अधिक कमी का कारण ज्ञात करना था। विवेचन पर सामने आया कि ऐसा सर्वव्यापी कारण फोलिक एसिड रोधक कीटनाशक हो सकते हैं, जो उन दो महीनों में वातावरण व खान-पान की चीजों में अपेक्षाकृत अधिक मात्रा मेंं होते हैं। अत: फोलिक एसिड रोधक कीटनाशकों को मस्तिष्क विहीनता के कारकों के रूप मे प्रतिपादित किया गया।
दूसरे, पंजाब के अध्ययन में जननांगों की विकृति की घटने की दर अन्य विकृतियों की अपेक्षा अधिक थी। अविकसित, अर्द्धविकसित और विकृत नर व मादा जननांग और गुदाद्वार की विकृतियां। जननांगों की ऐसी विकृतियां, जिनके होने पर बच्चे को 'आधा अधूरा' माना जाता है। अनेक कीटनाशक जन्मजात विकृति कारक होते हैं। पंजाब में प्रचुर मात्रा में कीटनाशक उपयोग में लिए जाते हैं। हाल के अध्ययनों से सामने आया है कि अनेक कीटनाशक नर या मादा हामार्ेन डिसरप्टर (क्षत विक्षत करने वाले) होते हैं।
गर्भावस्था की उस अवस्था के दौरान जब जननांग विकसित हो रहे हों तब अगर गर्भवती महिला इन कीटनाशकों के प्रभाव में आये तो गर्भस्थशिशु में जननांगों की जन्मजात विकृतियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। अध्ययन क्षेत्र में प्रयोग में आने वाले कीटनाशकों में ऐसे हामार्ेन डिसरप्टर कीटनाशक प्रचुर मात्रा में काम में लिए जा रहे थे। ऐसे कीटनाशकों का
प्रयोग हो रहा था, जो हामार्ेन डिसरप्टर और विकृतिकारक के रूप में चिन्हित हैं। अनुसंधानशाला में प्रयोग और जानवरों पर मान्य प्रयोगों के आधार पर ऐसे कीटनाशकों को हामार्ेन डिसरप्टर और विकृति कारक (टेराटोजन) की संज्ञा दी जाती है। हाल ही में कीटनाशक समर्थकों द्वारा प्रायोजित एक अंग्रेजी समाचार चैनल पर प्रसारित किया गया। कथित तौर पर यह प्रोग्राम आमिर खान के 'सत्यमेव जयते' में प्रचारित 'झूठ' और 'आक्षेपों' का उत्तर देने को था। प्रोग्राम में एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ ने 'डॉ काबरा' के उपरोक्त अध्ययनों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। हमारी सरकार ने पूरी जांच पड़ताल और समीक्षा कर ही कीटनाशकों को रजिस्टर कर उन के उत्पादन का लाइसेंस दिया है। अगर कोई कीटनाशक 'पोटेंशियली कारसिनोजेनिक या टेराटोजेनिक' होता तो हमारी सरकार उसकी अनुमति नहीं देती। – डॉ़ श्रीगोपाल काबरा
लेखक संतोकबा दुर्लभजी स्मारक अस्पताल, जयपुर के प्रभारी एवं विधि और मेडिकल ऑडिट के निदेशक हैं
कीटनाशकों से होते हेैं ये कैंसर
डी डी टी से स्तन कैंसर, नॉन होजकिन्स लिम्फोमा, रक्त कैंसर
एण्डोसल्फान से पुरुषों में प्रोस्टेट व वृषण कैंसर और महिलाओं में स्तन कैंसर
एल्ड्रीन से फेफड़ोे का कैंसर
क्लोरोडेन से मस्तिष्क कैंसर, नॉनहोजकिन्स लिम्फोमा
लिन्डेन से लिवर, स्तन व नॉनहोजकिन्स लिम्फोमा
डायाजियोन से नॉनहोजकिन्स लिम्फोमा
2,4-डी से सब कैंसर की दर दुगनी, नॉनहोजकिन्स लिम्फोमा
सिमाजीन व एट्राजीन से वृषण कैंसर
ऐमीइनांेट्रायाजोल से थायरॉयड कैंसर
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