नई उपज, नई चमक :मक्का उगाइए,बेरोजगारी भगाइए
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यह ग्रामीण युवा किसानों एवं महिलाओं के लिए रोजगार पैदा करने वाली फसल है। ग्रामीण क्षे़त्रों में मानव संसाधनों को बढ़ावा देने के साथ ही यह खेती, विपणन, प्रसंस्करण और निर्यात के रुप में रोजगार प्रदान करती है।
एस. के़ चौहान
मक्का का अनिषेचित शिशु भुट्टा, जिसे पौधे में दिखाई देने के 2-3 दिनों के उपरान्त ही तोड़ लिया जाये, शिशु मक्का (बेबी कॉर्न) के रूप में जाना जाता है। शिशु मक्का मानव और दुधारु पशुओं दोनो के लिए पोषण का एक अच्छा स्रोत है। यह नाजुक, स्वाद में मीठा और कुरकुरे प्रकृति का होता हैं। शिशु मक्का दुनिया भर में विकसित और विकासशील देशों में दोनों मानव और पशुओं के पोषण एवं कई देशों में व्याप्त कुपोषण घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके पूरे भुट्टे को कच्चा या पकाकर एक सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह एक अत्यधिक पौष्टिक, स्वादिष्ट, सजावटी सब्जी, पोषण सुरक्षा, मूल्य के हिसाब से किसानों के लिए आय का एक अच्छा स्रोत है। शिशु मक्का आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करने और किसानांे की आय का स्तर बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह एक पौष्टिक सब्जी, फसल विविधीकरण, रोजगार सृजन, कृषिजनित ग्रामीण उद्योगों को बढावा देने, मूल्य संवर्द्धन, विदेशी मुद्रा अर्जन हेतु एक महत्चपूर्ण फसल है। शिशु मक्का के वांछित आकार के भुट्टों की लम्बाई 6.0-10.0 से.मी़ और मोटाई 1.0-1.4 सें़ मी़ एवं यह हल्के पीले रंग के होते हैं। तीन से चार तुड़ाई के उपरान्त भी इसके पौधे के डण्ठल हरे बने रहते हैं, जिनका प्रयोग चारे के रूप में पशुओं के लिए एक अत्यन्त पौष्टिक चारे के रूप में किया जाता है।
शिशु मक्का की खेती के कई लाभ हैंै, जिनका उल्लेख विस्तार से नीचे दिया गया है-
पोषाहार सुरक्षा : शिशु मक्का रेशेदार प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। इसमें पाये जाने वाले खनिज व विटामिन आसानी से पच जाते हैं। पोषण की दृष्टि से यह फूलगोभी, टमाटर, खीरा और गोभी जैसी मौसमी और गैर फलीदार कुछ सब्जियों से भी बेहतर है। इसके ताजे 100 ग्राम भुट्टों में प्रोटीन 3़1 प्रतिशत, शर्करा 8.9 प्रतिशत कुल घुलनशील ठोस (टी़एस़एस़) खनिज पोटेशियम 390 मि. ग्राम, फास्फोरस 121 मि. ग्राम, कैल्सियम 28 मि. ग्राम तथा लौह तत्व 0.8 मि. ग्राम पाया जाता हंै। शिशु मक्का कई विटामिनों से भरपूर है। यह विटामिन 'बी-6', राइबोफलेविन, विटामिन 'सी' के कारण आंखों को स्वस्थ रखने व मोतियाबिंद को रोकने के लिए सहायक है। यह कच्चे फाइबर और रेशेदार प्रोटीन में समृद्घ होने के कारण आंतों के कैंसर को रोकने में भी सहायक है। यह कोरोनरी धमनी रोग को रोकने में मदद करता है क्योंकि इसमें शून्य कोलेस्ट्रॉल होता है। शिशु मक्का के पौधों को सुरक्षित रूप से पौष्टिक चारे के रूप में पशुओं को खिलाया जाता है। भुट्टों की तुड़ाईर् के बाद हरे रंग के डंठलों की अच्छी पाचनशक्ति एवं शर्करा होने के कारण पशु इसके चारे को बड़े चाव से खाते हैं। विशेष रूप से दुधारु पशुओं के लिए इसका अनुकूल दुग्धावण प्रभाव माना जाता है। शिशु मक्का चारे की पाचनशक्ति, बाजरा और अन्य गैर फलीदार चारा फसलों की तुलना में अधिक होती है।
पौष्टिक सब्जी: शिशु मक्का एक अति पौष्टिक सब्जी है और इसके पोषक तत्वों की गुणवत्ता कुछ मौसमी सब्जियों से भी बेहतर है। प्रोटीन, विटामिन और लोहे के अलावा, यह फास्फोरस और पोटेशियम के सबसे धनी स्रोतों में से एक है। यह मुलायम सिल्क एवं छिलके सहित लिपटे होने से कीड़ों और बीमारियों से सुरक्षित रहती है एवं कीटनाशकों के अवशिष्ट प्रभाव से लगभग मुक्त होने के कारण खाने के लिए सबसे सुरक्षित सब्जियों में से एक है।
फसल विविधीकरण : सतत चावल-गेहूं फसल प्रणाली, भूमिगत जल के गिरते हुये स्तर, मिट्टी के स्वास्थ्य और कीट एवं रोगों की गंभीर घटना जैसी कई समस्याओं के कारण, किसानों के लिए शिशु मक्का की फसल विविधीकरण के लिए एक अच्छा विकल्प है। गर्मियों और खरीफ के दौरान 50-70 दिनों की छोटी अवधि की फसल होने के नाते, यह किसानों के लिए अधिक लाभकारी है एवं शहरी कृषि के लिये एक वरदान फसल है। शिशु मक्का की फसल किसानों की आय को बढ़ाने और चावल-गेहूं के फसल चक्र में चावल का एक बेहतर विकल्प प्रदान करती है।
रोजगार सृजन : शिशु मक्का 50 से 70 दिनों की एक छोटी अवधि की फसल होने के कारण 2-3 फसलों को एक वर्ष में लिया जा सकता है और किसान कम समय में अधिक रुपए कमा सकते हैं। इसलिए, यह ग्रामीण युवा किसानों एवं महिलाओं के लिए रोजगार उन्मुख एक संभावित फसल है। ग्रामीण क्षे़त्रों में मानव संसाधनों को बढ़ावा देने के साथ ही यह खेती, विपणन, प्रसंस्करण और निर्यात के रूप में रोजगार प्रदान करती है।
डेयरी उद्योग को बढ़ावा देना : शिशु मक्का की तुड़ाई के पश्चात् इसके पूरे पौधे को मुख्यत: पौष्टिक हरे चारे के रूप में उपयोग किया जाता है। यह डेयरी को बढ़ावा देने वाली एक महत्वपूर्ण फसल है, जिसे किसान चारा फसलों की खेती के लिए अतिरिक्त जमीन बचाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। हरा चारा साल भर दुधारु पशु, मुर्गी और सूअर पालन में काम आता है। इसका हरा चारा, जो प्रोटीन और काबार्ेहाइड्रेट की उच्च मात्रा रखता है, दूध उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होता है।
मूल्य संवर्द्घन : शिशु मक्का ताजा सलाद के रूप में तथा साथ ही कई व्यंजनों के माध्यम से सेवन किया जाता है, जैसे सूप, रायता, पकोडे, चटनी, अचार, खट्टा, चाट, मिश्रित सब्जी, कोफता करी, बेबीकॉर्न मसाला, जाम, मुरब्बा, हलवा, लड्डू, बर्फी, खीर, दक्षिण भारतीय व्यंजन आदि। यह चापसुई (चीनी पकवान), व अन्य सब्जियों के साथ भी मिलाकर खायी जाती है।
अन्तर्फसलों के साथ उगने वाली फसल: शिशु मक्का के साथ सब्जी, दाल, फूल आदि की अन्तर्फसलों द्वारा खेती किसानों की अतिरिक्त आय बढ़ाने के लिए की जा सकती है। लगभग 20 फसलें जैसे आलू, हरी मटर, राजमा पालक, गोभी, फूलगोभी, चुकंदर, हरी प्याज, लहसुन, सौंफ, धनिया, नॉल-खोल, ब्रोकोली, सलाद, शलजम, मूली, गाजर, अजवाइन, आदि सर्दियों के मौसम में अन्तर्फसलों के रूप में सफलतापूर्वक उगायी जा सकती हैं।
सर्दियों का मौसम लबंा है, इसलिए किसान शिशु मक्का में अन्तर्फसलों द्वारा कम अवधि में इसके माध्यम से अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। कुछ अन्तर्फसलें मिट्टी की उर्वरता में सुधार और पाले व कोहरे की चोट से शिशु मक्का की फसल को बचाने के लिए मदद करती हैं। खरीफ के मौसम में शिशु मक्का को उड़द, मूंग, धनियां, लोबिया आदि के साथ बोया जा सकता है। लेकिन सर्दियों के मौसम के दौरान बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए मटर और आलू अन्तर्फसलों के साथ शिशु मक्का उगाना किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
शिशु मक्का की फसल से ताजा छिली हुई शिशु मक्का की उपज लगभग 14-20 कुन्तल प्रति हेक्टेयर मिल जाती है। ग्रामीण युवा किसानों एवं महिलाओं के लिए यह एक रोजगारोन्मुख फसल है। ल्ल
लेखक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्
(नई दिल्ली) के बागवानी प्रभाग में तकनीकी अधिकारी हैं।
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