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उत्तर प्रदेश में दिन पर दिन बिगड़ती कानून व्यवस्था एवं आए दिन महिलाओं के साथ हो रही रोंगटे खड़े करने वाली घटनाओं पर पूर्व पुलिस महानिरीक्षक श्री एस.आर.दारापुरी का मानना है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के बदायूं जनपद में अति पिछड़ी जाति की दो नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार और हत्या की घटना ने उत्तर प्रदेश की पुलिस पर कई सवाल खड़े किये हैं। इसमें एक तो पुलिस की लापरवाही के साथ संलिप्तता एवं दूसरा बलात्कारों में अधिकाधिक वंचित समाज के कमजोर तबकों की महिलाओं और लड़कियों को शिकार बनाया जाना। इसमें एक ओर जहां पुलिस की भूमिका पर प्रश्न उठ रहे हैं वहीं दूसरी ओर ऐसे अपराधों में हमारे समाज की जाति संरचना भी काफी हद तक जिम्मेदार दिखाई देती है।
इस घटना में पुलिस की लापरवाही के साथ पुलिस का जाति विशेष के प्रति पूर्वाग्रह भी सामने आया है। पुलिस के इस व्यवहार से प्रथम दृष्ट्या उस पर कई सवाल खड़े होते हैं कि क्या थाने पर पुलिस का व्यवहार समाज के सभी वगार्ें के प्रति समान है? क्या थानों और चौंकियों पर कमजोर तबकों के साथ जातिभेद किया जाता है? क्या उत्तर प्रदेश पुलिस जाति देख कर न्याय करती है? अत: मेरा मानना है कि एक तो पुलिस में सभी जातियों और सम्प्रदायों का उचित प्रतिनिधित्व होना चाहिए एवं दूसरे पुलिस कर्मचारियों को इन वगार्ें और महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए प्रभावी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त पुलिस को बाहरी दबावों से मुक्त कराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदेशित पुलिस सुधार लागू करने के लिए जन दबाव पैदा किया जाना चाहिए।
-एस़ आर. दारापुरी, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक
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