दस्यु गिरोहों के साये में होगी बुन्देलखंड की लड़ाई
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इन गिरोहों का आतंक यहां सिर चढ़कर बोल रहा है। लेकिन इन सभी घटनाक्रमों को देखते हुए यही लग रहा है कि यहां बटन पर बुलेट भारी पड़ेगी।
हरिमंगल
लोकसभा चुनाव में जाति,पंथ और मजहब के नाम पर मतदाताओं को रिझाने का खेल तो तमाम संसदीय क्षेत्र में चल रहा है,लेकिन इन सबसे परे उत्तर प्रदेश का बांदा संसदीय क्षेत्र ह्यबटन और बुलेटह्ण का खेल खेले जाने की तैयारी में लगा हुआ है। चुनाव के लिहाज से बुन्देलखंड की महत्वपूर्ण संसदीय सीट की भौगोलिक संरचना कुछ ऐसी है कि एक लम्बे समय से यहां पर दस्यु गिरोहों का आतंक चला आ रहा है। दूर-दराज के गांव,पहाड़ों एवं घने जगंलों ने यहां तमाम दस्यु गिरोहों को पनपने और रहने का संरक्षण दिया है। कभी इस क्षेत्र में शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ,हनुमान एवं ठोकिया का सामा्रज्य था। ग्राम प्रधान से लेकर विधायक और संासद तक बनाने की पूरी बिसात यही दस्यु गिरोह बिछाते थे। वर्ष 1989,1996 व 1999 में यहां से सांसद बने राम सजीवन को इन गिरोहों का संरक्षण प्राप्त था। यद्यपि कुख्यात हनुमान, ददुआ और ठोकिया मारे जा चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी ददुआ और ठोकिया के परिवार राजनीति में सक्रिय भूमिका में हैं और उत्तर प्रदेश के कई नेताओं का उनके ऊपर हाथ है।
आज ददुआ का बेटा वीर सिंह इस संसदीय सीट के कर्वी विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी का विधायक है। तो दूसरी ओर ददुआ का भाई बाल कुमार पटेल मिर्जापुर सीट से सपा का सांसद है। वोटों की गणित के चलते इस बार वह मिर्जापुर संसदीय सीट को छोड़कर बांदा संसदीय क्षेत्र से सपा के उम्मीदवार हैं। वहीं ददुआ का भतीजा राम सिंह भी पट्टी, प्रतापगढ़ से विधायक है। ठोकिया परिवार राजनीति में इस परिवार से पीछे है। फिर भी इस परिवार को बसपा,सपा और रालोद ने विभिन्न चुनावों में टिकट देकर उम्मीदवार बनाया , लेकिन सफलता ग्राम प्रधान,ब्लाक प्रमुख तथा जिला पंचायत सदस्य तक ही मिली है।
हर बार की तरह इस बार भी दस्यु गिरोह लोकसभा चुनाव की तैयारी कर चुके हैं। चुनाव के नजदीक या फिर दो-तीन दिन पहले यह गिरोह गांव-गांव में डेरा डालकर अपना फरमान सुना देते हैं। फरमान सीधा होता है-ह्यवोट दो या गोली लो।ह्णतमाम सरकारी दावों और सुरक्षा के कड़े प्रबंध के बाद भी मतदाताओं के लिए इनके फरमान सर्वोपरि होते हैं। एक एन.जी.ओ चलाने वाले राम पाल कहते हैं कि अधिकांश दस्यु गिरोह जाति विशेष के ही हैं। इसलिए उनके फरमान अपनी जाति विशेष के लिए होते हैं ताकि वे गिने-चुने लोगों की ही मदद कर सकें।ह्ण उनका कहना है कि जबसे राजनेता एकमुश्त वोटों के लिए इन दस्यु गिरोहों पर आश्रित होने लगे हैं ,इन्हें भी अपना महत्व समझ में आ गया है। अब मऊ, मानिकपुर,नरैनी और कर्वी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय लगभग दर्जनभर छोटे-छोटे गिरोह फरमान जारी करने के नाम पर नेताओं से मोटी रकम बसूलने में लगे हैं।
स्थानीय पुलिस प्रशासन दस्यु गिरोहों को लेकर चौकन्ना है। दरअसल ददुआ और ठोकिया के मारे जाने के बाद इस क्षेत्र में सबसे बड़ा गिरोह सुदेश पटेल उर्फ बलखडि़या का है,जिस पर 5 लाख रु. का इनाम भी है। आशंका है कि यह गिरोह मतदान में खलल डाल सकता है। दूसरी ओर इस सीट से सपा सांसद रहे आर.के.पटेल ने अंतिम समय में सपा का दामन छोड़कर बसपा का साथ ले लिया है। दस्यु गिरोहों के सजातीय होने के कारण पटेल भी अपनी पूरी ताकत इन गिरोहों का समर्थन पाने के लिए लगाएंगे। ऐसे में अब सबकी निगाहें बलखडि़या गिरोह पर लगी हैं। माना जा रहा है कि अंतिम समय में यह गिरोह इनके पक्ष में जनता में फरमान जारी कर सकता है।
इस प्रकार की गतिविधियों को देखते हुए कांग्रेस प्रत्याशी ने चुनाव आयोग से शिकायत भी की है। लेकिन सबको पता है कि प्रशासन यहां सिर्फ आश्वासन के सिवा कुछ नहीं दे सकता। क्योंकि इन गिरोहों का आतंक यहां सिर चढ़कर बोल रहा है। लेकिन इन सभी घटनाक्रमों को देखते हुए यही लग रहा है कि यहां बटन पर बुलेट भारी पड़ेगी। ल्ल
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