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आखिर क्रीमिया प्रायद्वीप के लोगों ने एक जनमत सर्वेक्षण के जरिए अपने को यूक्रेन से अलग कर क्रीमिया को एक स्वतंत्र देश बना लिया। पश्चिमी देशों के भारी विरोध के बावजूद रूस ने तुरन्त उसे मान्यता भी दे दी। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों हुए जनमत सर्वेक्षण में क्रीमिया के 97 प्रतिशत लोगों ने यूरेशियाई संघ में जाने की बात कही थी। रूस यही चाहता भी था। यही कारण है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन ने उस संधि पर भी आनन-फानन में हस्ताक्षर कर दिए ,जिसमें क्रीमिया के यूरेशियाई संघ में विलय की बात कही गई है। यह संधि तत्काल प्रभाव से लागूू भी हो गई है। अमरीका, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देश क्रीमिया के इस जनमत सर्वेक्षण का भारी विरोध कर रहे हैं। ये देश इस सर्वेक्षण को यूक्रेन के खिलाफ एक साजिश बता रहे हैं। ये क्रीमिया को लेकर रूस की नीति का भी विरोध कर रहे हैं। इन देशों ने रूस और क्रीमिया पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए हैं। विकसित देशों के समूह जी-8 से भी रूस को निष्कासित कर दिया गया है। इसके बावजूद रूस क्रीमिया के मुद्दे पर अडिग है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि जब कोसोवो ने खुद को सर्बिया से अलग किया था उस समय इन्हीं देशों ने उसका समर्थन किया था। अब ये क्रीमिया का किस मुंह से विरोध कर रहे हैं?
उल्लेखनीय है कि क्रीमिया पिछले 60 वर्ष से यूक्रेन का हिस्सा रहा है। क्रीमिया में रूसी मूल के लोगों की बहुलता है। ये लोग यूक्रेन के साथ नहीं रहना चाहते हैं। इसलिए पिछले दिनों क्रीमिया के लोगों ने यूक्रेन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उसी समय क्रीमिया की संसद ने यूक्रेन के साथ रहना है या फिर यूरेशियाई संघ में जाना है,इस मुद्दे पर जनमत सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया था। दरअसल, क्रीमिया के रूसी मूल के लोग बीते फरवरी माह से ज्यादा भड़के हुए हैं। फरवरी माह में रूसी समर्थक यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को अमरीका और यूरोपीय देशों से प्रेरित विरोध प्रदर्शनों के कारण अपना पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद क्रीमिया के रूसी मूल के लोगों ने यूक्रेन के खिलाफ झण्डा उठा लिया था।
देखते ही देखते क्रीमिया के सभी बड़े स्थानों पर रूसी समर्थक सैन्य बलों ने कब्जा कर लिया। रूस के समर्थन से यह कब्जा और मजबूत होता गया। इस समाचार को लिखे जाने तक यूक्रेन क्रीमिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की बात भी करने लगा है। ल्ल
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