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हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ में 28 से 30 नवम्बर तक रा.स्व.संघ का नवसृजन शिविर आयोजित हुआ। इसका उद्घाटन संघ के क्षेत्रीय प्रचारक श्री आलोक कुमार, क्षेत्रीय संघचालक डॉ. दर्शनलाल और पटना में 'सुपर-30' के संचालक श्री आनन्द कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। दूसरे दिन यानी 29 नवम्बर को शिविरार्थियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। श्री भागवत ने कहा कि आज का युवा अन्याय व अपमान सहन नहीं करता। उसका मन रहता है कि वह कुछ ऐसा दिव्य कार्य करे जिसे सम्पूर्ण समाज देखे। माता-पिता भी अपने बच्चांे को स्वामी विवेकानन्द की कहानी सुनाएं, न कि किसी धनकुबेर की। अगर अपने समाज, देश व दुनिया के दु:ख आपकी नींद में खलल उत्पन्न नहीं करते तो आप तरुण कहलाने के हकदार नहीं हैं। आज भारत को परम वैभवशाली बनाने के लिए तरुणाई की ऊर्जा अनिवार्य है। श्री भागवत ने कहा कि तरुण का अर्थ युवा है और युवाआंे में जोश होता है। जिसमें जोश नहीं होता वह तरुण नहीं होता। पर जोश से भरे युवा होश न खोएं इसके लिए निरन्तर स्वनियंत्रण का अभ्यास करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि तरुणों को अतिस्वार्थी नहीं होना चाहिए। मनुष्य होने के नाते इस पर नियंत्रण होना आवश्यक है, क्योंकि यह पशु प्रवृत्ति है। पशुओं का स्वभाव होता है कि उनको जहां भोजन नहंीं मिलेगा उस स्थान छोड़कर वे चले जातेे हैं, जबकि मनुष्य इससे भिन्न है। उसके मन में दूसरे के सुख-दु:ख के प्रति पूर्ण संवेदना होती है। उसके मन में व्यक्ति और देश के लिए प्रेम होता है। श्री भागवत ने वर्तमान शिक्षा पद्धति पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि दुनिया वर्तमान शिक्षा पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत महसूस कर रही है। इसके लिए शिक्षा संस्थानों के संचालकों, शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों को गंभीरता से सोचना होगा और कार्य करना होगा।
इसी दिन केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री श्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने एक सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि अगर युवा ठान लें तो देश को आगे बढ़ने से कोई रोक
नहीं सकता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक श्री हरीश ने युवाओं से कहा कि वे उत्तराखण्ड के विकास के लिए एक वर्ष का समय दें। उत्तराखण्ड का विकास होगा तो यहां के युवाओं का भी विकास होगा।
इस दिन के चतुर्थ सत्र को बतौर मुख्य वक्ता संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि मातृभूमि सिर्फ भूमि का टुकड़ा नहीं है, बल्कि यह नागरिकों की पहचान है। इसलिए हमारी पहचान हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्थान है।
शिविर का समापन 30 नवम्बर की शाम को हुआ। समापन समारोह के मुख्य वक्ता थे योग गुरु स्वामी रामदेव। युवाओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि युवाओं में इतनी क्षमता होती है कि वे अपने पुरुषार्थ से देश की तस्वीर बदल सकते हैं। बस जरूरत है उनकी क्षमता को विकसित करने की। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के शिविर निश्चित रूप से युवाओं को नई ऊर्जा से भर देंगे और नई राह दिखाएंगे। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण, डॉ. दर्शनलाल, प्रान्त कार्यवाह श्री लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल, संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री कृपाशंकर, सर्वव्यवस्था प्रमुख डॉ. अनिल वर्मा, सह सर्वव्यवस्था प्रमुख श्री योगेश, भारत स्वाभिमान न्यास के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी डा़ॅ राकेश,
सह शिविराधिकारी डा़ॅ अनिल गुप्ता, शिविर कार्यवाह डॉ. कपिल सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि
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