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देश में आर्थिक उदारीकरण के दौर ने अनेक उद्यमियों को आगे आने का अवसर दिया उनमें एक उदय कोटक भी हैं। हालांकि उन्होंने सन् 1985 में 25 वर्ष की उम्र में ही मुंबई में तीन कर्मचारियों के साथ कोटक कैपिटल मैनेजमेंट फाइनेंस की स्थापना कर दी थी। हां, आर्थिक उदारीकरण ने उन्हें और उनके जैसे तमाम उद्यमियों को अपने जौहर दिखाने के अवसर दिए।
उदय कोटक के लिए सन् 1985 खास रहा। उदय कोटक को अपना व्यवसाय सहयोगी मिला। उनकी मुलाकात महिन्द्रा समूह के प्रमुख आनंद महिन्द्रा से हुई। वे उनके वित्तीय प्रबंधन सूझबूझ से ऐसे प्रभावित हुए कि उन्होंने चार लाख रुपए उन्हें निवेश के लिए सौंप दिए। उस दौर में चार लाख रुपये बड़ी राशि होती थी। आनंद के व्यक्तित्व से भी उदय कोटक प्रभावित हुए। उन्होंने कहा, कंपनी में केवल निवेशक नहीं, साझेदार बनें तो मैं कंपनी का नाम कोटक महिन्द्रा कर दूंगा।1980 के दशक में ही उदय कोटक ने एक और कारोबारी अवसर खोजा। कई संपन्न विदेशी बैंकों ने भारत में अपनी शाखाएं तो खोल ली थीं, पर सरकारी प्रतिबंधों के कारण वे यहां ज्यादा पूंजी निवेश नहीं कर सकते थे। उदय कोटक ने यूरोपीयन बैंकों और भारतीय उद्योगपति कर्जदारों के बीच मध्यस्थ बनने का निर्णय लिया।
दरअसल इससे उदय के बैंक को कई लाभ हुए। पहला, विदेशी बैंकों से संपर्क बढ़ा और दूसरा, कॉरपोरेट मनी मार्केट में पहुंच बढ़ी। सन् 1991 में वे कोटक महिन्द्रा का पब्लिक इश्यू लेकर पूंजी मार्केट में आए। सन् 1998 में एसेट मैनेजमेंट कंपनी और जीवन बीमा क्षेत्र में कारोबार करने के लिए ओल्ड म्यूचुअल के साथ स्वतंत्र कंपनी स्थापित की। उदय कोटक को मुंबई में विद्यार्थी जीवन के दौरान आभास हो गया था कि गणित उनका सबसे प्रिय विषय हैं। उदय ने पढ़ाई पूरी करने के बाद पारिवारिक कारोबार से जुड़ने के बजाय हिन्दुस्तान लीवर से जुड़ने का निर्णय लिया। उनके पिता नहीं चाहते थे कि गुजराती वैश्य परिवार का शिक्षित युवा अपना कारोबार करने के बजाय किसी दूसरे की नौकरी करे। उन्होंने अपने भाइयों से बात की। परिवार ने उदय को 300 वर्गफीट का छोटा-सा कार्यालय स्वतंत्र कारोबार के लिए सौंप दिया। 80 के दशक में देश का वित्त बाजार 'बंद' था। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का इस पर एकाधिकार था। उदय कोटक ने इसमें कारोबारी संभावना और अवसर देखे। उन्होंने देखा कि सरकारी बैंक लोगों की बचत पर औसतन छह प्रतिशत ब्याज देते थे, पर कर्ज पर 16़5 फीसद ब्याज वसूल करते थे। चतुर मध्यस्थ उनके इस भारी मुनाफे में सेंध लगा सकता है, इस सोच के साथ उदय ने सन् 1985 में कोटक कैपिटल मैनेजमेंट फाइनेंस की स्थापना की और अपने मित्र परिजनों को समझाया कि वे कम ब्याज पर बैंक को अपनी बचत सौंप रहे हैं।
जब बैंकिंग संबंधी किसी मसले पर वे बोलते हैं तो उसे सुना जाता है। उदय कोटक कहते हैं कि मोदी सरकार को पर्यावरण के कारण अटकी हुई परियोजनाओं को मंजूरी देनी चाहिए। परियोजनाओं को मंजूरी से आपूर्ति की दिक्कतें कम होंगी। वोडाफोन कर में समझौता कर लेना चाहिए। वहीं सरकारी कंपनियों में गवनेंर्स को सुधारने पर जोर देना चाहिए। सरकार को हिंदुस्तान जिंक, बाल्को, एक्सिस बैंक और एलएंडटी जैसी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेच देनी चाहिए। उदय कोटक के मुताबिक सरकार को जहां कारोबार चलाने में मुश्किल है वहां हिस्सेदारी बेच देनी चाहिए। भारत अब भी सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए तैयार नहीं है, लेकिन इन बैंकों के कामकाज के तरीके और गवनेंर्स में बदलाव की जरूरत है। आगे बैंकों को 3 लाख करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत होगी।
उदय कोटक अपने बैंक को लेकर कहते हैं कि बैंक का ध्यान अपनी क्षमता बढ़ाने पर होगा। आने वाले दिनों में बैंक की ऋण राशि 20 फीसद से ज्यादा बढ़ने का अनुमान है। उदय कोटक का मानना है कि ग्रोथ में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। अटके हुए परियोजना के शुरू होने से ग्रोथ आएगी। निवेशकों के लिए बेहतर नीति बनाने की जरूरत है। साथ ही घरेलू और विदेशी निवेशकों के साथ एक समान व्यवहार करने की जरूरत है। बहरहाल, उदय कोटक के लिए साल 2003 भी खास रहा उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक से निजी क्षेत्र की नई बैंक खोलने की अनुमति प्राप्त हुई। कम लागत की पूंजी का स्रोत, कोटक महिन्द्रा बैंक आज समूह की सिरमौर कंपनी है। आज उनका बैंक देश का (शिखर निजी क्षेत्र का) बैंक बन चुका है। ल्ल
शुरुआत हिन्दुस्तान लीवर छोड़ने के बाद 25 वर्ष की आयु में तीन कर्मचारियों के साथ कंपनी शुरु की
बड़ी छलांग
महिन्द्रा के साथ साझा व्यवसाय कर कोटक अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर निजी क्षेत्र का अग्रणी बैंक बन गया है
संदेश
अथक मेहनत और पुरुषार्थ के साथ आगे बढ़ते रहने में विश्वास। समय के साथ अपनी सोच और नीति क्रियान्वयन के तरीके में अपेक्षित बदलाव
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