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विविध – 'इंसाइक्लोपीडिया ऑफ हिन्दुइज्म' का लोकार्पण 

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Oct 18, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 18 Oct 2014 15:11:32

गत 10 अक्तूबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 'इंसाइक्लोपीडिया ऑफ हिन्दुइज्म' का लोकार्पण हुआ। लोकार्पणकर्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत। 'इंडिया हैरिटेज रिसर्च फाउंडेशन' द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या, केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी, फिल्म अभिनेता विवेक ओबेराय, ऑल इंडिया इमाम संघ के अध्यक्ष उमेर अहमद इलियासी, जैन सन्त लोकेश मुनि जी सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि धर्म मात्र बुद्धि का विषय नहीं है, बल्कि उसे समझने और जानने की आवश्यकता है। विदेशी लोग हिन्दुत्व की जानकारी लें, इसके साथ ही हिन्दुस्थान के लोग भी हिन्दुत्व की सही और सटीक जानकारी रखें, यह आवश्यक है। आज के समय में शिक्षा और समाज में इतना प्रदूषण हो गया है कि हिन्दुत्व की स्पष्ट जानकारी हमारे अपने ही समाज को नहीं है। उन्होंने कहा कि आज आवश्यक है कि बच्चों को उनकी जड़ों के बारे में जानकरी दी जाए। विश्व हिन्दू कोश ने बड़े ही कठिन परिश्रम से इसे पूर्ण करके हमें दिया है। इसे पूरा करके उन्होंने तो अपना कार्य पूर्ण कर दिया। अब हमारा दायित्व है कि हम इसे जन-जन तक पहुंचाएं। हामिद अंसारी ने कहा कि एक सदी में तीन बार 'इंसाइक्लोपीडिया' को संशोधित करना चाहिए। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मैंने विदेशों में देखा कि वहां भारतीय संस्कृति को गलत रूप से पढ़ाया जा रहा है। तभी मन में आया कि कुछ ऐसा कार्य किया जाए जो लोगों को ज्ञान के साथ प्रेरणा दे। तभी मैंने इस कार्य को मूर्त रूप दिया। उन्हांेने कहा कि हम विकास करते हैं, पर अपने विचार छोड़ देते हैं। लेकिन विकास और विचार के बीच समनव्य कैसे हो, यही हिन्दू धर्म उसे स्थापित करना सिखाता है। अपनी जड़ों को छोड़ें नहीं, दूसरों को तोड़ें नहीं, यही धर्म की वास्तविक परिभाषा है। कार्यक्रम का संचालन साध्वी भगवती ने किया। ल्ल प्रतिनिधि

सह सरकार्यवाह ने किया अरनिया का दौरा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने 10 अक्तूबर को जम्मू-कश्मीर में अन्तरराष्ट्रीय सीमा रेखा पर स्थित अरनिया कसबा का दौरा किया। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों पाकिस्तानी गोलीबारी से अरनिया में 5 लोगों का निधन हो गया था। श्री होसबाले ने उन मृतकों को श्रद्धाञ्जलि दी और उनके रिश्तेदारों से भेंट कर उन्हें ढांढस बंधाया। इसके साथ ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर सहायता समिति की ओर से उन परिवारों को 50 हजार रुपए की राशि भी भेंट की। श्री होसबाले के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जम्मू-कश्मीर प्रान्त के प्रान्त संघचालक ब्रिगेडियर(से.नि.) सुचेत सिंह और अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ता थे। ल्ल प्रतिनिधि

कथावाचक मोरारी बापू ने दी
दस करोड़ रुपए राहत राशि
प्रसिद्ध कथावाचक श्री मोरारी बापू 15 अक्तूबर को केदारनाथ (उत्तराखण्ड) पहंुचे। केदारनाथ मन्दिर में दर्शन-पूजन के पश्चात् वे रुद्रप्रयाग के समीप अगस्त्यमुनि गए। वहां उन्होंने पिछले वर्ष आई विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित लोगों का हालचाल पूछा और उन्हें सहायता राशि भेंट की। उन्होंने कुल 10 करोड़ रुपए बांटे। इसी में से 1 करोड़ रुपए केदारनाथ मन्दिर समिति को भी दिए गए, ताकि मन्दिर का पुनर्निर्माण पूरी भव्यता के साथ हो सके। बता दें कि उत्तराखण्ड में जून, 2013 में आई बाढ़ के बाद मोरारी बापू जहां भी कथा करने गए उन्होंने भक्तों से अनुरोध किया कि वे उत्तराखण्ड के बाढ़ पीडि़तों के लिए खुलकर दान करें। कैलीफोर्निया (अमरीका) में भी उन्होंने एक कथा की और वहां भी भक्तों से दान देने को कहा। भक्तों से मिला दान 'कर्णावती क्लब फाउण्डेशन' में जमा किया गया और अब उसे पीडि़तों को बांट दिया गया। ल्ल प्रतिनिधि

'नानाजी कुशल संगठक थे'
'नानाजी देशमुख न तो राजनेता के रूप में, न ही अखबारों में सुर्खियों के रूप जाने जाते हैं, बल्कि एक कुशल संगठक के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने जनसंघ के विस्तार के लिए देशभर में भ्रमण किया। साथ ही भारत के औद्योगिक घरानों को सामाजिक कायार्ें से जोड़ने का अद्वितीय कौशल दिखाया।' ये विचार हैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के। श्री मोदी 11 अक्तूबर को नई दिल्ली में नानाजी देशमुख के कतृर्त्व एवं व्यक्तित्व पर आधारित पुस्तक 'विराट पुरुष नानाजी' के लोकार्पण के बाद समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से हम संघ विचार परिवार की विचार-यात्रा कर सकते हैं। जयप्रकाश नारायण की 'समग्र-क्रांति' के दौरान अपने शरीर पर वार सहकर नानाजी ने जे़ पी. के प्राणों की रक्षा की। इससे जे़ पी. का नानाजी के प्रति प्रेम बढ़ा और नानाजी पर उन्होंने देशभर के राजनीतिक दलों को एकसूत्र में बांधने का उत्तरदायित्व सौपा और नानाजी ने भी सिद्ध कर दिया कि कैसे एक कुशल संगठक इतिहास के पन्नों को पलट सकता है। उनके प्रयासों की बदौलत ही शिशु मंदिर, जिसकी शुरुआत गोरखपुर में की गई थी, देशभर में शिक्षा का एक प्रसिद्ध संस्थान बना। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने नानाजी को बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी बताते हुए कहा कि उन्होंने एकात्म मानववाद को व्यावहारिक धरातल पर साकार किया। अपने स्वागत उद्बोधन में दीनदयाल शोध संस्थान के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्रजीत सिंह ने कहा कि नानाजी ने सत्ता की राजनीति को तिलांजलि देकर समाज की नवरचना का कार्य अपनाया तथा इस दृष्टि से गोंडा, चित्रकूट एवं बीड में कृषि विकास, आरोग्य, कौशल विकास, विवाद मुक्ति की दृष्टि से प्रयोग किए गए हैं। संपादकीय टिप्पणी करते हुए श्री अतुल जैन ने कहा कि अपने शास्त्रों में विराट पुरुष की जो व्याख्या है नानाजी उसके मूर्त रूप थे। मंच पर दीनदयाल शोध संस्थान के संरक्षक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री मदनदास सहित अनेक गणमान्य जन विराजमान थे।
सभागार में संघ के सरकार्यवाह श्री भैय्याजी जोशी, पूर्व उप प्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी, गुजरात के राज्यपाल श्री ओमप्रकाश कोहली सहित अनेक सांसद और कई संगठनों के वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि

'अमरनाथ : विश्वास भरी एक यात्रा' का लोकार्पण

अम्बाला (हरियाणा) में 14 अक्तूबर को श्रीअमरनाथ यात्रा पर केन्द्रित पुस्तक 'अमरनाथ: विश्वास भरी एक यात्रा' का लोकार्पण हुआ। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि थे विद्या भारती, हरियाणा प्रदेश के महामंत्री श्री जगन्नाथ शर्मा। पुस्तक के लेखक अम्बाला निवासी अभिनव गुप्त हैं। पुस्तक में श्री अमरनाथ धाम की यात्रा व जम्मू और कश्मीर राज्य के विषय में कई प्रकार की महवपूर्ण जानकारियां दी गई हंै। लगभग 200 रंगीन चित्रों के माध्यम से यात्रा तथा यात्रा मार्ग की सुंदरता को भी पुस्तक में दर्शाया गया है। इस यात्रा के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को मार्ग में जिन बातों का ध्यान रखना चाहिए, उन सभी तथ्यों को पुस्तक में बताया गया है। लोकार्पण समारोह में समाजसेवी श्री मनोज कांत व श्री नरेन्द्र आनंद के अतिरिक्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि
संस्कृत गोष्ठी एवं विद्वत सम्मान समारोह
विश्व हिन्दू परिषद् के स्वर्ण जयंती कार्यक्रमों की श्रृंखला में 12 अक्तूबर को नई दिल्ली के पहाड़गंज स्थित उदासीन आश्रम में संस्कृत गोष्ठी एवं विद्वत्सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उत्तर क्षेत्र के संघचालक डॉ. बजरंगलाल गुप्त ने कहा कि भारतीय प्राचीन वांगमय और शास्त्रों में विश्व को सिखाने की पात्रता थी। संस्कृत भाषा में जीवन व्यवहार का कोई ऐसा विषय या पक्ष नहीं है जो निहित न हो। मुख्य वक्ता और उत्तराखंड संस्कृत संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. श्रीकृष्ण सेमवाल ने कहा कि आज आवश्यकता है परम्परागत गुरुकुलों से लेकर विश्वविद्यालय और शोध स्तर तक संस्कृत को प्रोत्साहित करने की। इनकेअतिरिक्त गोष्ठी को दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव (राजभाषा) श्री आनन्द कुमार सोनी, प्रो. महेंद्र मिश्र, डॉ. जीतराम भट्ट, प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी, प्रो. सी. उपेंद्र राव, करुणा प्रकाश और डॉ. अनिल कुमार ने भी सम्बोधित किया।
विद्वत्सम्मान प्राप्त करने वालों में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. महेन्द्र मिश्र, श्रीलालबहादु़र संस्कृत विद्यापीठ, दिल्ली के पूर्व कुलपति प्रो. रमेश कुमार पाण्डेय, कवि डॉ. क्षेमचन्द्र शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व प्राध्यापिका डॉ. धर्मा, विद्या भारती के पूर्व शिक्षाधिकारी और वैदिक गणितज्ञ आनन्द बेताल, पी.जी. डी.ए.वी. महाविद्यालय, दिल्ली के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार झा, राणा डिग्री कॉलेज, पिलखुवा (गाजियाबाद) के संस्कृत विभागाध्यक्ष व कवि डॉ. वागीश दिनकर, नई दिल्ली के बसंत ग्राम स्थित आदर्श संस्कृत विद्यालय के प्राचार्य शिव नारायण झा, महर्षि वेदव्यास गुरुकुल, बक्करवाला (दिल्ली) के प्राचार्य आचार्य राकेश द्विवेदी, एन.सी.ई.आर.टी. के पूर्व प्राध्यापक डॉ. रामकरण डबास, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली के उप अनुसंधाता डॉ. कीर्तिकान्त शर्मा व दूरदर्शन के संस्कृत समाचारवाचक श्री सुनील जोशी शामिल हैं। संस्कृत सेवा सम्मान पूर्व शिक्षाधिकारी श्री विष्णुलाल टमटा, पूर्व पुलिस अधिकारी श्री अवतार कृष्ण रैना और इतिहासकार एवं लिपिवेत्ता श्री नरेन्द्र पिपलानी को प्रदान किया गया। कार्यक्रम का आयोजन इन्द्रप्रस्थ संस्कृत आयाम ने किया था। ल्ल प्रतिनिधि

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