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आज विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकें इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करती हैं। इसका परिणाम होता है कि छात्र अपने देश और संस्कृति के इतिहास को ही नहीं जान पाते। जबकि स्पष्ट है कि किसी भी देश का इतिहास उसकी प्रमुख धरोहर व प्रेरणा का कार्य करता है, लेकिन जब हमारा समाज गलत इतिहास को पढ़ेगा तो क्या स्थिति होगी, वह आज हम भारत में देख सकते हैं। कुछ सेकुलर लोगों की कुपित चाल ने शिक्षा में प्यापक फेरबदलकर वर्तमान व आने वाली पीढ़ी के मन में पाश्चात्य संस्कृति का विष भर दिया है। जिसका परिणाम है कि आज भारत का एक बड़ा भाग इसकी चपेट में है। जो अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूलकर दूसरों की संस्कृति को अपनाता है और उनके गलत कार्यों को ही सही मानता है। किताबों में देश के गौरव जो हैं उनके कार्यों और उनकी उपलब्ध्यिों को न बताकर अकबर और बाबर के काले कारनामों को पढ़ाया जाता है। ऐसा लगता है कि हमारा इतिहास ऐसे ही हिंसक और विदेशी आक्रमणकारियों का है। आज जरूरत है कि केन्द्र सरकार तत्काल इस विषभरी मानसिकता को किताबों से हटाए और ऐसे महापुरुषों के इतिहास को शामिल करे,जिन्होंने देश की आन-बान व मान के आगे अपना सिर तक कटा दिया।
कादम्बरी,
मंडावली(दिल्ली)
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