उदयपुर और ईटानगर में बालासाहब देशपाण्डे की जन्मशती मनी
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गत 22 दिसम्बर को उदयपुर में वनवासी कल्याण आश्रम के संस्थापक बालासाहब देशपाण्डे की जन्मशती के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। उद्घाटन समारोह में उनके जीवन चरित्र पर आधारित एक नाटिका प्रस्तुत की गई। 50 मिनट की इस नाटिका के सभी पात्र वनवासी कल्याण परिषद् के कार्यकर्ता थे।
मुख्य वक्ता रा़ स्व़ संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत ने हमेशा दूसरे मतों का सम्मान किया है। विदेशी पंथों की तरह किसी को भी शैतान नहीं कहा। गरीबी, बीमारी का लाभ उठाकर अपने मत में परिवर्तित नहीं किया। विदेशी पंथ केवल, पूजा-पद्घति नहीं बदलते अपितु संस्कार, विचार, आचरण सभी से अलग कर भारत का एक शत्रु खड़ा कर देते हैं। महात्मा गांधी ने भी कहा था कि ईसाई लोग चावल का कटोरा देकर लोगों को ईसाई बनाते हैं और वे दूसरे की पूजा पद्घति को हीन बताकर नकारते हैं। उन्होंने कहा कि ईसाई सम्प्रदाय के लोगों ने बड़े-बडे़ महानगरों को धर्म परिवर्तन का केन्द्र बनाते हुए बड़े-बड़े विद्यालय एवं महाविद्यालय स्थापित किए,लेकिन एक प्रतिशत भी मतान्तरित नहीं कर सके। धार्मिक नगरी काशी में भी एक बड़ा चर्च खोला और ईसाई बनाने की कुत्सित योजना प्रारम्भ की लेकिन एक भी व्यक्ति ईसाई नहीं बना। इसके बाद उन्होंने वन क्षेत्र को अपना केन्द्र बनाया । इस क्षेत्र में लोभ लालच देकर धर्मान्तरण का कार्य शुरू किया। वर्तमान में मतान्तरण हेतु दो लाख पूर्णकालीन ईसाई पादरी काम कर रहे हंै एवं बुद्घिजीवियों को ये सेवा कार्य करके अपने आपको ये सेवादाता बताते हैंं। इसके बाद भी पश्चिमी एशिया से जापान तक 450 करोड़ रुपए खर्च करने बाद भी एक भी ईसाई देश नहीं बना पाए। इस खतरे को पण्डित रवि शंकर शुक्ला ने समझा तथा गांधीजी से व ठक्कर बापा से विचार विमर्श करके पूज्य बालासाहब देशपाण्डे को इस क्षेत्र में भेज कर राष्ट्रीय गतिविधियों को चलाने हेतु प्रेरित किया। इसी योजना के अन्तर्गत गृहस्थ सन्त के रूप में बालासाहब ने कल्याण आश्रम की स्थापना 26 दिसम्बर 1952 को की। आज सम्पूर्ण देश में17 हजार छोटे-छोटे प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं। कल्याण आश्रम के छात्रावासों में पूर्वांचल के बालक शिक्षा प्राप्त कर अपने क्षेत्र में जाकर हिन्दू अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। इसके कारण आज स्पष्ट दिखाई देता है कि नॉन क्रिश्चियन नागा की आवाज बुलन्द हुई है। आज सैकड़ों जमातिया जनजाति बन्धु हिन्दू दर्शन के साथ खड़े हैं। उत्तर पूर्व में 222 जनजातियां हैं। सभी में आज गंगा के प्रति पुरातन काल से चली आई पावन भावना देखने को मिलती है। चाय का पौधा लगाने, चाय तोड़ने, लकड़ी काटने, आदि कार्यों के पूर्व पूजा की जाती है। अतिथि सत्कार में भी वे हिन्दू परम्परानुसार अग्रणी दिखााई देते हैं।
धर्मान्तरित अविवाहित लोग जिन्होंने अपने बच्चों को जन्म दे दिया किन्तु उनका विवाह नहीं हो पाया। इस समस्या का अपने बन्धुओं द्वारा उनके सामूहिक विवाह करा घर वापसी कराई जा रही है और वहां भी इस प्रकार घर वापसी की परम्परा प्रारम्भ हुई है। दिमासा जनजाति में भी इसी प्रकार हिन्दू बनने की परम्परा प्रारम्भ हुई है। यहां तक कि उन्होंने हिन्दू बनने के बाद पेनल्टी भी देने का प्रावधान किया है। पूरे उत्तर-पूर्व भारत की यही कहानी है। अत: हमारा दायित्व है कि जो बंधु विकास में पीछे रह गए हैं उनको विकास से जोड़ा जाए।
ईटानगर
गत दिनों अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में वनयोगी बालासाहब देशपाण्डे की जन्मशती मनाई गई। अरुणाचल विकास परिषद् द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे अरुणाचल प्रदेश के तकनीकी एवं उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. जोराम बेगी। समारोह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बालासाहब ने हमें बताया था कि हम किस तरह अपनी अति प्राचीन संस्कृति, विरासत और विश्वास को संरक्षित कर और बढ़ा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बालासाहब दूरदृष्टि वाले थे। बहुत ही सोच-समझकर उन्होंने 1952 में वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना की थी। कार्यक्रम का उद्घाटन अरुणाचल विकास परिषद् के अध्यक्ष श्री जोमनी सिरम ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि श्री तालोम दुपक ने अरुणाचल विकास परिषद् से निवेदन किया कि वह दोनी-पोली आन्दोलन को आगे बढ़ाने की पहल करे।
गत 29 दिसम्बर को छत्तीसगढ़ के सभी जिला मुख्यालयों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पथ संचलन निकाला। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन पथ संचलनों मंे लगभग पच्चीस हजार गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने भाग लिया। जिला मुख्यालयों के प्राय: सभी प्रमुख मार्गों में स्वयंसेवकों ने संचलन किया। हर जगह अलग-अलग वक्ता थे। इन वक्ताओं ने जन-साधारण से निवेदन किया कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जानने और समझने के लिए संघ की शाखाओं में आएं।
मुख्य पथ संचलन राज्य की राजधानी रायपुर में हुआ। जब रायपुर के प्रमुख मार्गों से स्वयंसेवकों की टोली निकली तो वहां के लोगों ने पुष्पवर्षा करके उनका स्वागत किया। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के कार्यकर्ताओं ने भी स्वयंसेवकों का स्वागत किया। यहां स्वयंसेवकों को प्रांत प्रचारक दीपक विस्पुते ने सम्बोधित किया। उन्होंने बताया कि हर वर्ष किसी एक जिले में इस तरह का संचलन होता था,किन्तु इस बार यह निर्णय हुआ कि अब राज्य के हर जिला मुख्यालय में एक साथ यह संचलन होगा।
शीत शिविर सम्पन्न
गत दिनों राजगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जिला स्तरीय शीत शिविर खिचलीपुर में आयोजित हुआ। इसमें 579 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। हाड़ कपा देने वाली सर्दी होने पर भी स्वयंसेवकों का उत्साह देखने लायक था। अंत में प्रकट कार्यक्रम हुआ जिसमें नगर के अनेक नागरिक उपस्थित हुए। बौद्घिक प्रान्त कार्यवाह श्री अशोक अग्रवाल का हुआ। उसके बाद नगर में संचलन निकला जिसमें लगभग 1000 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। संचलन का स्वागत नगर में अनेक जगह हुआ। सबसे बड़ी बात यह रही कि इस संचलन का स्वागत मुस्लिम भाइयों ने भी बढ़-चढ़ कर किया। विशाल गुप्ता
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