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थलसेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह ने कहा-
दि पड़ोसी नियम से चलेगा तो हम भी नियमों के अनुसार चलेंगे। अगर उनकी तरफ से नियम तोड़े जाते हैं तो यह स्वाभाविक है कि हम भी नियमों से बंधे नहीं रह सकते हैं, हम भी नियमों को तोड़कर उन्हें करारा जवाब देंगे। भारतीय थल सेना अध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह ने गत 13 जनवरी को सेना की वार्षिक प्रेसवार्ता में सीधे शब्दों में कहा कि पाकिस्तान जो भाषा बोलेगा उसे उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा।
बीते वर्ष दो भारतीय जवानों के सिर काटे जाने की घटना पर जवाबी भारतीय कार्रवाई किए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि भारतीय सेना की गोलीबारी में 10 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। जवानों की गला रेत कर हत्या करने की घटना पर समय व स्थान चुनकर बदला चुकाने की बात कह चुके जनरल सिंह ने कहा, हमने भी आक्रामक कार्रवाई की थी। उन्होंने 23 दिसंबर को पाकिस्तानी मीडिया में आई उस खबर का हवाला दिया जिसमें नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी में एक अधिकारी और नौ पाक सैनिकों के मारे जाने तथा 12-13 जवानों के घायल होने की बात कही गई थी। उन्होंने नियंत्रण रेखा पर पुंछ में संघर्षविराम के उल्लंघन के मुद्दे पर भी कहा कि सीमा पर तीन आतंकियों की हलचल देखे जाने पर भारतीय सैनिकों ने कार्रवाई की। जनरल सिंह का कहना था कि संघर्षविराम का उल्लंघन स्थानीय स्तर पर युद्ध की तरह होता है। लिहाजा सीमा पर तैनात जवान व कमांडर जवाबी कार्रवाई के लिए जरूरी कदम उठाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत पुंछ की इस घटना को पाक सैन्य अभियान महानिदेशक के साथ हॉटलाइन वार्ता में भी उठाएगा।
सेना प्रमुख के अनुसार घुसपैठ के किसी भी प्रयास पर हम सख्त कार्रवाई करेंगे। सीमा पार से अक्सर गोलीबारी भी घुसपैठियों की मदद के लिए ही होती है। वाघा सीमा पर 24 दिसंबर 2013 को दोनों देशों की सैन्य महानिदेशकों की बैठक हुई थी जिसमें शांति बहाली के उपायों पर जोर दिया गया था। इस कड़ी में जल्द ही नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच दो ब्रिगेडियर स्तर वार्ताएं भी होनी हैं। उल्लेखनीय है कि बीते एक वर्ष के दौरान नियंत्रण रेखा पर 2003 से संघर्ष विराम तोड़ कर पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी की 400 से अधिक घटनाएं दर्ज की गई हैं। सीमा पर 2013 में हुई घटनाओं में 10 सैनिकों और 7 नागरिकों की मौत हुई है, जबकि 11 सैनिक व 89 नागरिक घायल हुए हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा है। इस बीच सेनाध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया कि मानवाधिकार उल्लंघन के किसी भी मामले में कोई रियायत नहीं दी जाएगी। उनका कहना था कि मच्छल मुठभेड़ मामले में सेना की कार्रवाई एक सख्त संदेश देगी ताकि फर्जी मुठभेड़ न की जाएं। प्रतिनिधि
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