|
आवरण कथा 'झलक 2014 की' में यह बताने का प्रयास किया गया है कि हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में किस प्रकार कांग्रेस पार्टी का चार राज्यों से एकदम सफाया हो गया । भ्रष्टाचार व गलत नीतियों के चलते जनता जनार्दन ने उसको पहली बार इतनी बड़ी पराजय का सामना करवाया है। साथ ही पार्टी में राहुल गंाधी के असर को लेकर भी घमासान की स्थिति है, लेकिन वहीं दूसरी ओर इन चुनावों से नरेन्द्र मोदी का कद और बढ़ गया है, देश में बढ़ती लोकप्रियता व उनके विकास के उपायों की जमकर प्रशंसा हो रही है।
-सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा,रतलाम (म.प्र.)
० भाजपा को विधानसभा चुनावों में मिली ऐतिहासिक जीत ने यह सिद्घ कर दिया है कि राज्य की जनता ने उसको हृदय से पसन्द किया है। विकास और उसकी अच्छी नीतियों के चलते यह सब सम्भव हुआ है।
-हरिहर सिंह चौहान
ज्ंाबरी बाग नसिया, इन्दौर (म.प्र.)
० विधानसभा चुनावों में भाजपा की धमाकेदार जीत ने यह साबित कर दिया है कि गुजरात में ही नहीं पूरे देश में नरेन्द्र मोदी की लहर है। जनता ने जिस प्रकार मोदी को पसन्द कर अपना मत भाजपा को दिया है उससे यह साबित होता है कि देश की जनता नरेन्द्र मोदी को 2014 में भारत का प्रधानमंत्री देखना चाहती है।
-राममोहन चन्द्रवंशी
विट्ठल नगर, स्टेशन रोड
टिमरनी, जिला-हरदा (म.प्र.)
० विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली पराजय यह साबित करती है कि जनता उसके भ्रष्टाचार,गलत नीतियों व महंगाई से तंक आ चुकी थी। जनता ने भाजपा को विजय दिलाकर देश को शुभ संकेत दिया है कि उसका अगला लक्ष्य लोकसभा चुनाव है,जिसमें वह उसको केन्द्र में देखना चाहती है।
-सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
दिलसुखनगर, हैदराबाद (आं.प्र.)
० राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम यह साबित करते हैं कि देश में राहुल गंाधी की न कोई लहर है और न ही उन्हें कोई पसन्द करता है क्योंकि राहुल ने जहां-जहां भी अपने सम्मेलन व रैलियां की वहां-वहां कांग्रेस बुरी तरह पराजित हुई है।
-कुनाल कश्यप
ग्राम व पो़ शिवगढ़
जिला-बछरावां (उ.प्ऱ)
० आमजनता ने कांग्रेस को इन चुनावों के जरिए बता दिया है कि जनता को सब्जबाग दिखाने से अब काम नहीं चलेगा। जनता चाहती है कि देश और राज्य की बागडोर उन्हीं के हाथों में हो जो अपने समाज और भारत माता के सपूत हों, उनके हाथों में नहीं जो इटली से संचालित होते हों।
-रमेश गुजराल
वांदला बाजार, खन्ना (पंजाब)
० देश के ताजा चुनाव परिणामों से यह साफ हो गया है कि जनता संप्रग सरकार और कांग्रेस के नेतृत्व से निराश हो चुकी थी। भ्रष्टाचार, महंगाई के चलते उसको चारों राज्यों में हार का सामना करना पड़ा। जनता ने भाजपा को सही विकल्प के तौर पर चुना है।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (म.प्ऱ)
मोदीमय हुई देश की जनता
देश का प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह बच्चा, किशोर, युवा, नौजवान या फिर वृद्घ सभी की जुबान पर किसी का नाम और चर्चा है तो सिर्फ मोदी और मोदी की। यह वहीं जनता है,जिसके पास किसी से एक मिनट बोलने और बात करने का समय नहीं है, लेकिन मोदी के ओजस्वी भाषण को सुनने के लिए घन्टों इन्तजार करना भी पड़े तो भी करने को तैयार रहते हैं।
-हरेन्द्र प्रसाद साहा
नयाटोला, कटिहार (बिहार)
० आज नरेन्द्र मोदी जिस भी स्थान पर रैली करते हैं उस स्थान पर मानों जनमानस की अपार भीड़ जमा हो जाती है। लोग अपना अमूल्य समय और टिकट लेकर भी उनको सुनने के लिए आतुर दिखाई देते हैं। लेकिन वहीं कुछ राजनेता लोगों को रुपये देकर रैली में आने के लिए कहते हैं फिर भी उनकी रैलियों में भीड़ नहीं दिखाई देती। आज मोदी देश की जनता के दिलों में राज कर रहे हैं।
-मनोहर मंजुल
पिपल्या-बुजुर्ग, प़ निमाड़ (म़.प्ऱ)
० नरेन्द्र मोदी को लोग बडे़ आदर भाव के साथ देखते हैं, वह जमीन से जुडे़ नेता हैं, उनका बचपन गरीबी और अभावों में बीता है। वे जानते हैं कि गरीबी क्या होती है, कांग्रेस व उसके सभी सहयोगी दल मोदी के इसी जमीनी जुड़ाव से डरते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि यदि मोदी प्रधानमंत्री बने तो आने वाले कई दशकों तक वे राजनीति नहीं कर पाएंगे। यह भी संभव है कि कई राजनैतिक दलों का कोई अस्तित्व ही न बचे।
-संजय रोकड़े
103, देवेन्द्र नगर
अन्नपूर्णा रोड, इन्दौर(म.प्ऱ)
० कांग्रेस व तमाम सेकुलर राजनैतिक पार्टियां मोदी को मुसलमान विरोधी साबित करने में लगी हुई हैं, लेकिन ऐसा नहीं है,उन्होंने गुजरात में किसी वर्ग विशेष का विकास न कर सभी का समान विकास किया है। वह आज के विकास पुरुष हैं।
-आशीष महाजन
शिवकुटी, इलाहाबाद (उ.प्र.)
कलंक है अनुच्छेद 370
जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद-370 देश के लिए कलंक के समान है। प्रदेश में इस अनुच्छेद के लागू होने से अनेक प्रकार की विकास की परियोजनायें लागू नहीं होती हंै जिसके कारण यहां के नागरिकों का समुचित विकास नहीं हो पाता है। इसको समाप्त करना चाहिए ताकि प्रदेश का अन्य राज्यों की तरह विकास सम्भव हो सके।
-लक्ष्मीनारायण हमरोदिया
स्ेाजपुरिया, मन्दसौर (म.प्ऱ)
० जम्मू-कश्मीर यात्रा के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनुच्छेद-370 पर चर्चा करके इस मामले को पुन: जीवन्त कर दिया है। आज समय है कि इस कलंकित अनुच्छेद को समाप्त कर एक विधान,एक प्रधान,एक निशान के डॉ़ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को साकार करना है।
-कुंवर वीरेन्द्र विद्रोही
सैनिक कॅालोनी, सिकन्दर, कम्पू (म.प्र.)
० अनुच्छेद-370 पर कांग्रेस और अब्दुल्ला परिवार राजनीति कर जनता को उसके बारे में बरगलाते रहते हैं। अगर उनको लगता है कि अनुच्छेद-370 से प्र्रदेश की जनता का लाभ है तो वह लाभ उन्होंने अभी तक प्रदेश की जनता को क्यों नही बताया है ?
– पंकज शुक्ला
खदरा, लखनऊ (उ.़प्ऱ)
कश्मीरी हिन्दुओं पर चुप्पी क्यों?
जब मामला कश्मीरी हिन्दुओं का आता है तो हमारे राजनेताओं को सांप संूघ जाता है। अपने ही देश में विस्थापन का दंश झेल रहे लाखों कश्मीरी हिन्दुओं का जीवन कैसे टैेंट और तम्बुओं में कट रहा है, इस पर न तो कांग्रेस और न ही अन्य पार्टियोंे की नजर जाती है, लेकिन वहीं वोट बैंक के लिए मुजफ्फरनगर में अंासू बहाने के लिए कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेताओं के पास समय व पैसा दोनांे हंै।
-अमित कुमार
14/26 काली माता मन्दिर,
आया नगर (नई दिल्ली)
वोट बैंक खिसकने की चिन्ता
मुस्लिम वोट बैंक को पाने के लिए समाजवादी पार्टी प्रदेश में मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा व उनके विकास के लिए अनेक कल्याणकारी योजनायें चला रही है, लेकिन वहीं हिन्दुओं की बेटियों के लिए उसके पास कोई विशेष योजना नहीं है। सपा यह सब इसलिए कर रही है ताकि व मुस्लिमों को खुश करके आगामी लोकसभा चुनाव में उनके ज्यादा से ज्यादा वोट को प्राप्त कर सकें। लेकिन हम हिन्दुओं को इस चाल को समझते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में इस सरकार को उखाड़ फेंकना है।
-मयंक वर्मा
49/2 चकराता मार्ग
देहरादून (उत्तराखण्ड)
० मुजफ्फरनगर के दंगों ने इस्लाम परस्त मुलायम सिंह की हकीकत देश के सामने ला दी है। दोनों बाप-बेटे को वोट बैंक खिसकने की चिन्ता सता रही है। इसलिए उन्होने पहले सिर्फ मुस्लिमों को ही मुआवजा देने की पेशकश की थी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद उनकी यह चाल भी कामयाब नहीं हो पाई , लेकिन जनता ने उनके दोमुंहे रवैये को पहचान लिया है।
-कमलेश कुमार ओझा
पुष्प विहार (नई दिल्ली)
मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या
आंकड़ों पर नजर डालें तो यह प्रतीत होता है कि देश की कुल आबादी में मुसलमानों की संख्या आश्चर्यजनक तेजी से बढ़ती जा रही है, जो काफी चिन्ता का विषय है। क्योंकि यहां पहले से ही 25 करोड़ से ज्यादा मुस्लिमों की संख्या है, जो आएदिन विभिन्न प्रकार की समस्यायें उत्पन्न करते रहते हंै साथ ही कई प्रदेशों में तो हिन्दुओं की हालत बहुत ही दयनीय स्थिति में पहुंच गई है। अगर इनकी संख्या ऐसी ही बढ़ती रही तो देश में गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जायेगी।
-एस.एस.सूरी
362/1-नेहरू मार्ग
झांसी (उ.़प्ऱ)
राष्ट्रवाद की सुनामी आनी चाहिए
पांच राज्यों में हुए चुनाव के परिणामों का विश्लेषण सभी राजनीतिक दिग्गज और मीडिया के लोग अपने-अपने ढंग से कर रहे हैं। पर कोई भी इन चुनाव परणिामों के कारणों की वास्तविकता को या तो ठीक से समझ नहीं पा रहा है या फिर समझकर भी बताना नहीं चाह रहा है। इन चुनावों में भाजपा की विजय से ज्यादा कांग्रेस की पराजय विशेष उल्लेखनीय रही है। इन चुनावों के प्रचार अभियान के शुरुआती दौर में ही नरेन्द्र मोदी ने यह बता दिया था कि सन 1977 की तरह ही एक बार फिर प्रदेशों की जनता कांग्रेस को इन चुनावों में पूरी तरह से नकार देगी। चार राज्यों में कांग्रेस की पराजय से लगभग कुछ वैसा ही नजारा देखने को मिला है। इन चुनावों में प्रादेशिक दल और सपा,बसपा भी एकदम महत्वहीन साबित हुए हैं। भारतीय राजनीति के लिए यह भी एक विशिष्ट संकेत है।
यह विशिष्ट संकेत है राष्ट्रवाद का ज्वार, जिसके सामने समस्त प्रकार के हथकंडे नाकामयाब साबित हुए हैं। इन चुनावों में जहां कांग्रेस अपने नेतृत्व से निराश है, वहीं दूसरी ओर प्रादेशिक दल और जातिवाद की राजनीति करने वाले छोटे दल भी बड़े असमंजस में पड़ गए हैं कि इस राष्ट्रवाद के ज्वार के कारण, कहीं उनको अपनी दुकानों में ताला न लगाना न पड़ जाए। पर उसके बावजूद कोई भी दल न तो राष्ट्रवाद का नाम ले रहा है और न ही उसके महत्व को स्वीकार करने को ही तैयार है साथ ही बुरी तरह भयभीत भी हैं। मात्र चार माह बाद लोकसभा चुनाव होगा। तीसरे मोर्चे के माध्यम से प्रधानमंत्री पद का सपना देखने वालों का सारा सपना चकनाचूर होते प्रतीत हो रहा है। अब तो उनके समक्ष जीवन मरण का प्रश्न ही उपस्थित हो गया है। ऐसे में समस्त दल अपने-अपने अस्तित्व को कायम रखने के लिए एक मंच पर एकत्र होने का प्रयास करेंगे।
अत: राष्ट्रवादियों के समक्ष एक बहुत बड़ी चुनौती उपस्थित हो सकती है, जिसका मुकाबला केवल राष्ट्रवाद के ज्वार से भी शायद संभव नहीं होगा। उसका मुकाबला करने के लिए हमें राष्ट्रवाद की सुनामी की आवश्यकता होगी और उस सुनामी को पैदा करने के लिए सभी को तत्काल मोर्चा संभालना होगा। सारे गिले शिकवे भुलाने होंगे। यह किसी दल का नहीं, बल्कि राष्ट्र का पुनीत कार्य है, जिसे पूरी लगन से करने में ही सबका हित निहित है।
-परमानंद रेड्डी
डी/19 सेक्टर-1, देवेन्द्रनगर, रायपुर (छ.ग.)
टिप्पणियाँ