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'संत गोपालदास का अनूठा गोचरान भूमि आंदोलन

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Jul 6, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 06 Jul 2013 15:03:45

हरियाणा में गोधन की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। आए दिन गो-तस्करी की अनेक घटनाएं समाने आती हैं। इसके बावजूद प्रदेश का शासनतंत्र मूकदर्शक बना हुआ है। लेकिन अब प्रदेश के हर क्षेत्र में जनता ने गाय की रक्षा के लिए आवाज सुनाई देने लगी है। संत गोपालदास गोरक्षा के इस पुण्य कार्य को करने के लिए पिछले करीब 2 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। हर जिले में उनके पीछे गोपालकों का भारी समर्थन उमड़ रहा है। इस दौरान अनशन से बिगड़ी हालत के कारण चण्डीगढ़ के पी.जी.आई में भर्ती रहे संत गोपालदास ने दूरभाष पर पाञ्चजन्य से बातचीत में कहा कि हमने गोचरांन भूमि को खाली कराने का संकल्प लिया है। गोचरान भूमि अगर खाली हो जाए तो प्रदेश में ही नहीं पूरे देश में गाय की दुर्दशा नहीं होगी और गोपालन से किसान को आर्थिक लाभ भी होगा। संत गोपाल दास ने बताया कि प्रदेश में सवा चार लाख एकड़ गोचरान भूमि है, जबकि पूरे देश में 3 करोड़ 32 लाख 50 हजार एकड़ भूमि गोचरान के लिए निर्धारित की गई है। इसके बावजूद सरकार जानबूझकर इस भूमि की बोली लगाकर विभिन्न उद्योगों और कार्यों के लिए इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने बताया कि सड़कों पर घुमती गोमाता को तस्कर वाहनों में लादकर मेवात, उत्तर प्रदेश के सहानपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, टांडा और कैराना जैसे इलाके में ले जाते हैं जहां पर प्रतिदिन करीब तीन हजार गायों व बैलों का बेरहमी से कत्ल किया जाता है। उन्होंने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि हमेशा ही उनकी आवाज को दबाने का प्रयास किया गया और झूठे आश्वासन देकर अनशन तुड़वाने व आंदोलन को कमजोर करने की साजिश रची गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक गोचरान भूमि खाली नहीं होगी और गोचर विकास बोर्ड का गठन नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार भी गोधन के लिए काम नहीं कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर हरियाणा सरकार द्वारा गठित राज्य वधशाला कमेटी भी अभी तक कोई कारगर कदम नहीं उठा पाई है।

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