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आनन-फानन में 20 हजार करोड़ रु. की टैक्स माफी की तैयारी
क्या इसमें सिब्बल पुत्र अमित का हाथ है?
10 मई को अश्वनी कुमार ने बतौर कानून मंत्री इस्तीफा दिया था। कोयला खदान आवंटन घोटाले पर सीबीआई की रपट मंगाकर उसमें जोड़-घटा करके अदालत के निर्देश की धज्जियां उड़ाने वाले तब के कानून मंत्री अश्वनी पर चौतरफा दबाव था कि कुर्सी छोड़ो। सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने सर्वोच्च न्यायालय में शपथपत्र देकर उनकी उस करतूत की तसदीक की थी। लेकिन 7, रेसकोर्स रोड और 10, जनपथ के अभयदान के चलते अश्वनी भी कैमरों के सामने हेकड़ी भरे अंदाज में कहते रहे, कुर्सी नहीं छोडूंगा।
पर, आखिरकार उन्हें जाना पड़ा। उनके जाते ही बड़बोले कपिल सिब्बल को यह महत्वपूर्ण विभाग सौंपा गया। कुर्सी संभालते ही सिब्बल ने जो पहला काम किया वह था वोडाफोन की फाइल मंगाना और उस पर अपनी 'कृपादृष्टि' डालना। वोडाफोन के साथ भारत सरकार का छह साल से 20 हजार करोड़ रु. की टैक्स अदायगी को लेकर विवाद चल रहा था। अश्वनी कुमार के मंत्री रहते कानून मंत्रालय का साफ कहना था कि वोडाफोन के साथ इस मसले पर समझौता गैरकानूनी था। लेकिन कानून मंत्री बने सिब्बल ने 'बड़ा दिल' दिखाते हुए 'गैरकानूनी' को कानूनी जामा पहनाने की पहले दिन से मशक्कत शुरू कर दी। उन्होंने आते ही बयान दिया कि 'कानूनी प्रक्रियाएं और कार्यवाहियां आर्थिक उन्नति में बाधा नहीं, बल्कि उसे बढ़ावा देने वाली होनी चाहिए'।
ऐसे 'सुलझे' विचार वाले सिब्बल ने विभाग के पहले के मत को पलटते हुए वोडाफोन से 'समझौते' की राह पर कदम बढ़ा दिए। कंपनी से ब्याज और दण्ड के तौर पर देश को मिलने वाली राशि पर अड़ंगा लगाने और टैक्स के मूलधन को कम करने की कवायद शुरू हो गई। यहां बता दें, वोडाफोन को 8 हजार करोड़ रु. का टैक्स, 8 हजार करोड़ रु. का ही दण्ड और 4 हजार करोड़ रु. का ब्याज अदा करना था। यानी 20 हजार करोड़ देश के कोष में आने थे। लेकिन अब कायदे-कानून को 'नरम' रुख से देखने के पैरोकार सिब्बल की चली तो 20 हजार करोड़ जाएंगे बट्टे खाते में।
इस आशंका की एक तरह से पुष्टि हुई 4 जून की मंत्रिमण्डल की बैठक से। इसमें वोडाफोन से टैक्स विवाद पर समझौते के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। वित्त मंत्री चिदम्बरम ने बताया कि अगर समझौता वार्ता का निचोड़ सरकार को स्वीकार होगा तो ये मंत्रिमण्डल से होता हुआ अनुमोदन के लिए संसद में जाएगा।
वोडाफोन से यह टैक्स किस बात पर बनता था? हुआ यूं था कि वोडाफोन ने 2007 में भारत में हचिसन व्हैम्पोआ लि. की परिसम्पत्ति खरीदी थी। सौदे में भारतीय परिसम्पत्ति का दखल था लिहाजा भारत के कर विभाग के मुताबिक, उस पर भारतीय कर कानून लागू होते हैं। इसलिए वोडाफोन ने हचिसन को बतौर टैक्स जो 11 अरब डालर चुकाए थे, उसकी एक निश्चित राशि रोक लेनी थी। अब यह दावा वोडाफोन पर बनता है।
पहले वाले मंत्री अश्वनी कुमार ने साफ कहा था कि मौजूदा आयकर कानूनों को देखते हुए वोडाफोन से किसी भी तरह का समझौता गैरकानूनी है। किसी और ने नहीं, खुद वित्त मंत्रालय ने उनसे टैक्स विवाद पर वोडाफोन से समझौता करने की पैरवी की थी। लेकिन इस बीच समझौते के खिलाफ मत रखने वाले महाधिवक्ता जी. ई. वाहनवती ने अपने पहले के शब्दों से पलटते हुए कह दिया कि समझौता कानूनन मान्य है। बस सिब्बल ने बिना एक पल गंवाए, आते ही वोडाफोन की फाइल मंगा ली।
पूरे मसले में वित्त मंत्री चिदम्बरम की भी भूमिका झलकती है। साल की शुरुआत में वे लंदन गए थे। वोडाफोन इंग्लैंड की ही कंपनी है। वहां वे कह आए कि भारत सरकार वोडाफोन का विवाद आपसी सहमति से सुलझाएगी। साल के शुरू में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने भी अपने भारत दौरे में कंपनी का मामला उठाया था। जबकि वोडाफोन इंडिया सर्विसिस प्राइवेट लि. उन 26 कंपनियों में से एक है जिनको भारत सरकार ने टैक्स अदायगी के नोटिस भेजे हुए हैं। बताते हैं, सिब्बल ने चिदम्बरम के सूत्र को लपक लिया कि अगर बातचीत से वोडाफोन का टैक्स विवाद सुलझ सकता है तो बात की जा सकती है।
वोडाफोन पर भारत सरकार के इस ताजे रुख के समर्थक हवा बना रहे हैं कि यह कदम विदेशी निवेशकों के नजरिए से अच्छा है। लेकिन भारतीय उद्यमियों में से कई हैं जिन्हें सरकार का यह कदम सुहा नहीं रहा है। विदेशी निवेशकों को राहत देने के नाम पर 20 हजार करोड़ रु. की राशि पर समझौता उनकी समझ से बाहर है। उनमें से कई का मानना है कि इस कदम से विदेशी निवेशकों की नजर में भारत की साख पर बट्टा लग जाएगा कि यह निवेश करने की एक अच्छी जगह है। सवाल सिब्बल की टैक्स माफी के लिए ऐसी आपाधापी को लेकर भी उठे हैं। सवाल यह भी है कि विदेशी वोडाफोन पर मेहरबान सिब्बल बताएं कि देश के लाखों करदाताओं के साथ भी क्या ऐसे समझौते किए जाएंगे?
वोडाफोन और हचिसन टेलिकम्यूनिकेशन्स के बीच हुए सौदे पर दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका के सिलसिले में और कोई नहीं, खुद सिब्बल पुत्र अमित सिब्बल ने हचिसन की तरफ से पैरवी की थी। अमित अदालत में हचिसन की तरफ से पेश होते रहे हैं। हालांकि कपिल सिब्बल अपने पुत्र से जुड़े किसी मामले में दखलंदाजी किए जाने के तमाम आरोपों को सिरे से नकारते रहे हैं। पर जानकारों के मुताबिक, दाल में कुछ तो काला है। उनमें से एक तो खुद आम आदमी पार्टी वाले प्रशांत भूषण हैं। मंत्रिमण्डल की 4 जून की बैठक के बाद बनी परिस्थितियों में, अब यह होगा कि दो वार्ताकार बैठेंगे, वे किसी नतीजे पर पहंुचेंगे। सरकार उस नतीजे पर गौर फरमाएगी और फैसला करेगी।
अभी वोडाफोन से 20 हजार रु. की टैक्स वसूली माफ करने पर बहस चल ही रही है कि भारत के दूरसंचार विभाग ने भी कंपनी पर 1,263 करोड़ रु. का दण्ड भरने का फरमान जारी कर दिया। विभाग का कहना है कि कंपनी ने वित्त वर्ष 2007-08 से 2010 तक के बीच आमदनी कम दिखाई थी, लिहाजा वह 1,263 करोड़ रु. का दण्ड भरे।पाञ्चजन्य ब्यूरो
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