|
गंगा की दुर्दशा से चिंतित संतों, विचारकों और नेताआंे ने कहा
देश के संतों, विचारकों और नेताआंे ने गंगा को प्रदूषणमुक्त और निर्मल बनाए रखने के लिए प्रतिबद्धतापूर्वक आगे बढ़ने पर जोर देते हुए समाज के हर व्यक्ति से जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता से ही हमारा अस्तित्व है। गंगा में बढते प्रदूषण और जलधारा के प्रवाह में बाधा से चिंतित इन लोगों ने यह बात गत 19 जून को नई दिल्ली में संपन्न हुए 'गंगा शिखर सम्मेलन' में कही। सम्मेलन का आयोजन भारतीय जनता पार्टी की उपाध्यक्ष सुश्री उमा भारती द्वारा शुरू किए गए 'गंगा समग्र अभियान' द्वारा किया गया।
सम्मेलन में कहा गया कि गंगा को स्वच्छ रखने और इसकी अविरल धारा सुरक्षित करने के लिए संसद में कई बार चर्चा हुई। अलग-अलग स्तर पर चिंतकों ने अपनी बात भी रखी है। सभी इस बात से सहमत थे कि गंगा की पवित्रता बनाए रखना हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी है। लेकिन अब इस संबंध में ठोस व सार्थक हल निकाले जाने की जरूरत है।
सम्मेलन को सुश्री उमा भारती, अहिंसा विश्व भारती के अध्यक्ष आचार्य लोकेश मुनि, भारतीय जनता पार्टी के सांसद शाहनवाज हुसैन, सरधना चर्च के प्रमुख सुदीप आदि ने संबोधित किया। इस अवसर पर राजधानी दिल्ली के गंगा भक्त बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इस सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित कर निम्न घोषणाएं की गईं-
- · MÉÆMÉÉ बेसिन अथॉरिटी में पूर्णकालिक सर्वाधिकार संपन्न व्यक्ति को नियुक्त किया जाए। अथॉरिटी में आस्थावान व्यक्तियों को शामिल किया जाए।
- · =kÉ®úÉJÉÆb÷ की वर्तमान प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए गंगा व उसकी सहयोगी नदियों पर निर्माणाधीन अथवा प्रस्तावित परियोजनाओं की समीक्षा हो।
- · ºÉÒ´É®äúVÉ का दूषित जल नदियों में न छोड़ा जाए, इसके लिए सभी निकायों से अपील है कि प्रदूषित जल नदियों में न छोड़ें। सरकार से अपील है कि इस संबंध में बने कानून का कड़ाई से पालन करे।
- · MÉÆMÉÉäjÉÒ से गंगासागर तक पर्यावरण मित्रों की गंगा चौकियां स्थापित की जाएंगी, जो गंगा व अन्य नदियों के लिए संकल्पित होकर कार्य करेंगी।
· MÉÆMÉÉ को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जैविक खेती को ही प्रोत्साहित करें। साथ ही दोनों तटों पर वृक्षारोपण किया जाए।प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ