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दिल्ली की बहरी सरकार को पाकिस्तान से आए आहत हिन्दुओं की आवाज सुनाने के लिए नई दिल्ली में हुई एक गोष्ठी
पाकिस्तान में हिन्दुओं के नसीब में
सिर्फ दमन, शोषण और अपमान
गत 10 अप्रैल को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेन्टर में इंडिया फाउंडेशन की ओर से एक महत्वपूर्ण गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें पाकिस्तान और बंगलादेश में हिन्दुओं पर जारी दमनचक्र पर राजधानी के बुद्धिजीवियों ने विचार मंथन किया। गोष्ठी में पायनियर के मुख्य सम्पादक और राज्यसभा सदस्य चंदन मित्रा और पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे जी. पार्थसारथी विशेष रूप से मौजूद थे। दोनों ने पाकिस्तान और बंगलादेश में हिन्दुओं की दयनीय स्थिति का विस्तृत विश्लेषण किया और भारत सरकार की इस दिशा में अनदेखी पर कुछ सवाल खड़े किये। गोष्ठी का एक और महत्वपूर्ण पक्ष था हाल ही में पाकिस्तान से जान बचाकर भारत आये हनुमान और जमुना द्वारा वहां हिन्दुओं के साथ किये जा रहे दुराचार का मार्मिक विवरण सबके सामने रखना।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति दयनीय
–जी.पार्थसारथी
भारी तादाद में पाकिस्तान से भारत आ रहे हिन्दुओं की पीड़ा के संदर्भ में जी. पार्थसारथी ने कहा कि समस्या केवल दमन की नहीं है बल्कि यह पूरी मानवता से जुड़ी है। उन्होंने बताया कि कैसे पाकिस्तान में हिन्दू ही नहीं, अहमदिया जैसे इस्लामी फिरकों से भी निर्मम व्यवहार हो रहा है। शियाओं की स्थिति तो बेहद खराब है। उन्होंने बताया कि वे जब पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त थे तब उन्होंने कभी भी पीड़ित हिन्दुओं को वीजा देने से इनकार नहीं किया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में ईशनिंदा का कानून सभी अल्पसंख्यकों के प्रति अन्याय का प्रतीक है।
आहत हिन्दुओं की पीड़ा से मुंह चुराती है सरकार
–चंदन मित्रा
बंगलादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की चिंताजनक स्थिति को नाजी सत्ता के अधीन यहूदियों की पीड़ा से तुलना करते हुए चंदन मित्रा ने कहा कि भारत सरकार पाकिस्तानी क्रिकेटरों को वीजा देने को तैयार थी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की मेजबानी को आतुर थी, लेकिन जब दमन के शिकार हिन्दुओं को वीजा देने की बात आती है तो यह अनजान बनकर मुंह फेर लेती है। सन् 2011 में पाकिस्तान से भारत आए 5000 में से 1238 लोगों का वीजा खत्म हो गया था, लेकिन उन्होंने वापस लौटने की बजाय यहीं रहने का फैसला किया। पाकिस्तान में इस्लामी आतंकवाद को आक्रामकता के साथ बढ़ावा दिया जा रहा है।
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