सभी लूट के यंत्र
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डा. कृष्ण मुरारी शर्मा
जन गण मन को ठग रहे, चतुर–सयाने लोग।
झंडा सेवा का लिए, भोगें छप्पन भोग।।
सेवा–व्यवसायी बने, सब पाखंडी आज।
उल्लू अपना साधते, सारे धोखेबाज।।
जन गण मन है लुट रहा, मची गजब की लूट।
खाओवादी जाल से, कैसे पाएं छूट।।
अवसरवादी दल रहे, जन–छाती पर दाल।
वाग्जाल में फांस लें, जन भोला बदहाल।।
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