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गत 23 जनवरी मालदा (प.बंगाल) में राज्य, वस्तुत: देश के पहले महिला न्यायालय का विधिवत उद्घाटन हो गया। उद्घाटन कोलकाता उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश अरुप मिश्र द्वारा किया गया। मालदा के टाउन हाल में यह उद्घाटन समारोह सम्पन्न हुआ। 2 फरवरी को देश की राजधानी दिल्ली में भी ऐसे ही एक न्यायालय की शुरुआत की जाएगी। मालदा में इस प्रकार के न्यायालय की बहुत आवश्यकता थी, क्योंकि मालदा जिले में महिलाओं के खिलाफ हिंसक घटनाओं में बहुत बढ़ोतरी हो रही है। सूत्रों के अनुसार मालदा में 2011 में हुई कुल आपराधिक घटनाओं में से 28.25 प्रतिशत महिलाओं के ऊपर हुईं। पिछले साल जिला पुलिस के पास ऐसी 4,873 आपराधिक रपटें दर्ज हुई, उनमें से 1377 अपराध केवल महिलाओं के खिलाफ हुए। 2010 में इसकी संख्या 1210 थी। एक जानकारी के अपराध और भी अधिक बढ़े है। 2010 में जिले के विभिन्न थानों में 'डायन' कहकर मार दी गयीं 18 महिलाओं की रपट दर्ज हुई थी। 2011 में ऐसी घटनाओं की संख्या 42 थी। 2010 में मालदा जिले में 165 बलात्कार की घटनाएं दर्ज हुईं थीं। 2011 में बलात्कार की घटनाएं बढ़कर 181 हो गईं। 2010 में महिलाओं के उत्पीड़न (अत्याचार) की संख्या 86 थी, 2011 में महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार की घटना 92 थी। 2011 में अपहरण की 289 घटनाएं दर्ज हुईं। इनमें से 154 घटनाएं अपहरण एवं उत्पीड़न की, 55 शादी के बहाने पर अपहरण और शारीरिक शोषण की थीं। इस सबको देखते हुए जो महिला अदालत गठित की गई उसमें एक-एक न्यायाधीश एवं न्यायिक दंडाधिकारी रहेंगे। वे बलात्कार, बलात्कार के बाद हत्या, दहेज के लिए उत्पीड़न जैसे मामलों की सुनवाई करेंगे। महिला अदालत गठित होने से स्थानीय महिला वकील काफी उत्साहित हैं। ऐसे मामलों में केवल महिला वकील ही वकालत करेंगी, इस प्रकार की जानकारी मिली है।
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