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मध्य प्रदेश के नीमाड़ क्षेत्र में नर्मदा नदी के किनारे बसा माहेश्वर एक महत्वपूर्ण कस्बा है। इसी कस्बे के महावीर मार्ग पर एक अति प्राचीन मंदिर है, जिसका नाम है गोबर गणेश। गोबर गणेश शब्द से हिन्दी में बुद्घूपने का संकेत मिलता है। इसलिए यह नाम इस कस्बे में आने वालों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। दूसरी बात स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मन्दिर का प्रताप सबसे बढ़कर है। गोबर गणेश मन्दिर से कोई खाली हाथ नहीं जाता।
माहेश्वर नगर पंचायत में लिपिक के पद पर कार्यरत मंगेश जोशी के अनुसार यह मन्दिर गुप्त कालीन है। औरंगजेब के समय में इसे मस्जिद बनाने का प्रयास किया गया था। जिसके प्रमाण इस मन्दिर का गुंबद है, जो मस्जिद की तरह है। बाद में श्रद्घालुओं ने यहां पुन: मूर्ति की स्थापना करके वहां पूजा-पाठ प्रारंभ किया।
गोबर गणेश मंदिर में गणेश की जो प्रतिमा है, वह शुद्घ रूप से गोबर की बनी है। इस मूर्ति में सत्तर से पचहत्तर फीसदी हिस्सा गोबर है और इसका बीस-पच्चीस फीसदी हिस्सा मिट्टी और दूसरी सामग्री है। इसीलिए इस मंदिर को गोबर गणेश मंदिर कहते हैं। इस मंदिर की देखभाल का काम ह्यश्री गोबर गणेश मंदिर जिर्णोद्घार समितिह्ण कर रही है। विद्वानों के अनुसार मिट्टी और गोबर की मूर्ति की पूजा पंचभूतात्मक होने तथा गोबर मंे लक्ष्मी का वास होने से ह्यलक्ष्मी तथा ऐश्वर्यह्ण की प्राप्ति हेतु की जाती है।
मंदिर के पुजारी अस्सी वर्षीय दत्तात्रेय जोशी के अनुसार गणेश जी का स्वरूप भूतत्व रूपी है। ह्यमहो मूलाधारेह्ण इस प्रमाण से मूलाधार भूतत्व है। अर्थात् मूलाधार में भूतत्व रूपी गणेश विराजमान हैं।
इस प्रतिमा की पूजा की सार्थकता बताते हुए पंडित श्री जोशी कहते हैं- भाद्रपक्ष शुक्ल चतुर्थी के पूजन के लिए हमारे पूर्वज गोबर या मिट्टी से ही गणपति का बिम्ब बनाकर पूजा करते थे। आज भी यह प्रथा में प्रचलित है। शोणभद्र शीला या अन्य सोने चांदी बने बिम्ब को पूजा में नहीं रखते क्योंकि गोबर में लक्ष्मी का वास होता है, इसी प्रकार गोबर एवं मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं को पूजा मंे ग्रहण करते हैं। चूंकि माना गया है कि गणपति में भूतत्व है।
श्रीगणेश वही हैं, जिनकी पूजा हर शुभ कार्य से पहले अनिवार्य मानी गई है। इसलिए श्रीगणेश करना हमारी परंपरा में किसी कार्य को प्रारंंभ करने के पर्यायवाची के तौर पर लिया जाता है। माहेश्वर का गोबर गणेश मंदिर पहली नजर में देशभर में स्थित अपनी ही तरह के हजारों गणेश मंदिरों की ही तरह है लेकिन इस मंदिर में गोबर से निर्मित गणेश और इस मंदिर का गंुबद जो आम हिन्दू मंदिरों की तरह नहीं है। एक खास बात और, स्थानीय लोगों की इस मंदिर में आस्था किसी का भी ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है। इसलिए नर्मदा के किनारे निमाड़ क्षेत्र में कभी जाएं तो माहेश्वर का गोबर गणेश मंदिर देखना ना भूलें। आशीष कुमार ह्यअंशुह्ण
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