स्वयंसेवकों के संस्कारों में बसी है सेवा-भावनाह्ण
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किसी दुर्घटना या प्राकृतिक आपदा से लड़ने और उस स्थित से निपटने के लिए किसी प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती,बल्कि जरूरत होती है संस्कार और अभ्यास की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने स्वयंसेवको को कोई प्रशिक्षण नहीं देता, केवल हिन्दुत्व की भावना भरता है, जिसके बल पर स्वयंसेवक प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटना की स्थिति में चुनौती स्वीकार करने के लिए एकदम तैयार हो जाते हैं। यह कहना था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन राव भागवत का। अपने दो दिन के उत्तराखंड़ प्रवास के दौरान श्री भागवत स्वयंंसेवकों को संबोधित कर रहें थे। इस कार्यक्रम का आयोजन उत्तरकाशी स्थित मनेरी आश्रम में हुआ था।
श्री भागवत ने कहा कि संघ में प्रत्येक स्वयंसेवक को यह अपने संस्कार में उतारना होगा,और समाज की सहायता के लिए सदैव तैयार रहना होगा। उत्तराखण्ड की त्रासदी इसका उदाहरण है कि किस प्रकार स्वयंसेवको ने आपदा के समय मुसीबत में फंसे लोगों कीरक्षा की एवं उन्हें भोजन आदि भी उपलब्ध करायां। उन्होंने कहा कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सरकार के भरोसे को छोड़कर खुद किसी भी आपदा के वक्त घबराए बिना सीना तान कर उसका मुकाबला करना चाहिए। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता यमुना घाटी के सन्त स्वामी श्री भगवानदास ने तथा विशिष्ट अतिथि हिमालयन अस्पताल के श्री विजय घस्माना थे।
इस अवसर पर रा़ स्व़ संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री इंद्रेश कुमार,डा़ दिनेश, क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख श्री कृपाशंकर,क्षेत्रीय प्रचारक श्री शिवप्रकाश, प्रान्त प्रचारक डा़ हरीश, प्रान्त संघचालक श्री चन्द्रपाल सिंह नेगी सहित अनेक कार्यकर्ता व गणमान्यजन उपस्थित थे। प्रतिनिधि
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