तुलसी, तुम धन्य हो!
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आलोक गोस्वामी
तुलसी ने तो इतिहास रच दिया। इस मायने में कि वह अमरीका के हाउस ऑफ रीप्रेजेंटेटिव्स में पहली हिन्दू सांसद ही नहीं बनी हैं, बल्कि इस मायने में भी कि अमरीकी प्रतिनिधि सभा में उन्होंने अपने पद की शपथ श्रीमद्भगवद् गीता को हाथ में थामकर उसे ही साक्ष्य मानकर ली। तुलसी, तुम धन्य हो! हवाई से चुनकर आईं 31 वर्षीया तुलसी को सदन के सभापति जॉन बोइन्हर ने 3 जनवरी 2013 को शपथ दिलाई। तुलसी अपने घर से अपनी गीता लेकर आई थीं। शपथ लेने के बाद वह बोलीं, 'गीता ने मुझे मेरी जिंदगी दूसरों की सेवा और अपने देश के प्रति समर्पित करने की प्रेरणा दी है। इसने मुझे आंतरिक शक्ति और बल दिया है। किशोरावस्था से ही मैं गीता पाठ करती आ रही हूं, इसकी शिक्षाओं को जीवन में उतारती आ रही हूं।' सफलता के कई सोपान चढ़ चुकीं तुलसी को अपने हिन्दू होने पर गर्व है।
जर्मनी में भारतीय छात्र पर हमला
इस्लाम नहीं कबूला तो जीभ काटी
जर्मनी के बोन शहर में 24 साल का भारतीय छात्र अभी एक दिन शाम को अपने घर लौट रहा था। रास्ते में दो इस्लामी उग्रवादी तेजी से कार से आए और उसको रोककर पूछा, 'तेरा धर्म क्या है?' छात्र ने कहा, हिन्दू। तब उनमें से एक बोला, 'इस्लाम कबूल कर नहीं तो नतीजा भुगतने को तैयार हो जा।' वह हिन्दू छात्र हकबका गया, लेकिन धर्म की बात पर डटा रहा। वह बोला, 'जो करना है कर ले, इस्लाम नहीं कबूलूंगा।' तभी उनमें से एक ने तेज चाकू सा निकाला और उस छात्र की जीभ पर फिरा दिया। इसके बाद दोनों दाड़ी वाले हमलावर कार से भाग खड़े हुए। वहां से गुजरते एक राहगीर ने लहूलुहान छात्र को देखा तो फौरन एम्बुलेंस बुलाई। पुलिस भी आई और पूछताछ के बाद उसे पक्का शक हो गया कि वह हमला सलाफी जमात वालों का था, जो पहले भी वहां जबरन इस्लाम कबूलवाने के नाम पर हिंसा की घटनाएं कर चुके थे। घटना का ब्यौरा जर्मनी के बड़े अखबार 'डेर स्पीगल' ने छापा था।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख की मांग
बलात्कार के खिलाफ कड़े कानून बनाओ
16 दिसम्बर को दिल्ली में 23 वर्षीया छात्रा के साथ हुए अमानवीय कांड से न केवल भारत आहत हुआ बल्कि दुनियाभर से इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया सुनाई दी। भारत में बलात्कार के अपराधियों के मन मे कानून का भय न होने और सरकार और प्रशासन के महिला उत्पीड़न के मामलों पर लचर रवैया अपनाए जाने पर तीखी टिप्पणियों से अखबार पटे रहे। इस बीच संयुक्त राष्ट्र में भी इस घटना की भर्त्सना की गई और आगे से ऐसी घटनाएं न हों, इसकी पुख्ता व्यवस्था करने की मांग की गई। संयुक्त राष्ट्र संघ में मानवाधिकार प्रमुख नवी पिल्लै ने छात्रा की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए भारत सरकार से कहा कि देश के न्यायतंत्र को मजबूत किया जाए ताकि ऐसी वीभत्स घटनाएं न हों। उन्होंने कहा कि भारत में बलात्कार एक 'राष्ट्रीय समस्या' है जिसका राष्ट्रीय समाधान खोजा जाना चाहिए। पीड़िता छात्रा के साथ जो कुछ हुआ उसने भारत को भीतर तक झकझोरा है और इसके बाद, उम्मीद है भारत में इस सन्दर्भ में सुधार की ओर कदम बढ़ाए जाएंगे। महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा खत्म हो, इसके लिए नवी ने एक तार्किक बहस का आह्वान किया ताकि कानूनों का ज्यादा प्रभावी और संवेदनशील क्रियान्वयन हो, बलात्कार के विरुद्ध कड़े कानून बनाए जाएं।
उधर पाकिस्तान से खबर मिली है कि वहां भी कुछ संगठनों ने दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की घटना के विरोध में मोमबत्ती जुलूस निकाला। बड़ी संख्या में आम महिलाओं की भागीदारी वाला यह जुलूस इस्लामाबाद के सुपर मार्केट इलाके से गुजरा। पाकिस्तानी महिलाओं ने भी बलात्कारियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की।
धरा गया मस्जिद में कसाब के लिए 'दुआ' मांगने वाला इमाम
ओसामा वध और पूर्वोत्तरवासी विरोधी नफरती अभियान से घटना के तार जुड़े होने का शक
मुम्बई हमले के अपराधी जिहादी कसाब को 21 नवम्बर, 2012 को यरवदा जेल में फांसी पर टांगा गया था। उसके लिए केरल की एक मस्जिद में 'दुआएं' मांगने के लिए विशेष नमाज पढ़ा जाना भारत के धुर दक्षिण राज्य में जिहादी संजाल के फैलते जाने की ओर साफ इशारा है। उस नमाज की अगुआई करने वाले इमाम को लेकर जब चर्चा बाहर आई तो मस्जिद संचालकों ने गुपचुप उस इमाम को बर्खास्त कर दिया, लेकिन पुलिस ने उसे धर लिया और गुप्तचर ब्यूरो ने जांच शुरू कर दी।
जिहादी मंसूबों की कलई खोलनेे वाली यह घटना पिछले दिनों केरल में त्रिक्काकारा की मस्जिद में घटी थी। कसाब को फांसी पर टांगे जाने के दो दिन बाद उस इमाम ने इलाके के कुछ कट्टर तत्वों के साथ मिलकर 'दुआ' की नमाज पढ़ने का खाका बनाया। जिन गुजरे लोगों के लिए नमाज पढ़ी जानी थी, उसमें कसाब का नाम भी शामिल किया। इमाम ने इतनी होशियारी दिखाई कि बात ज्यादा न फैले इसलिए उसने ज्यादातर नमाजियों के चले जाने के बाद कुछेक कट्टरों के साथ मिलकर कसाब के लिए नमाज पढ़ी। गुप्तचर ब्यूरो के सूत्रों के मुताबिक, जांच की जा रही है कि ओसामा वध के समय भी उसकी मौत पर गमी जताने वाले पोस्टरों को चिपकाया जाना भी कहीं इस हरकत से ही तो नहीं जुड़ा। असम दंगों के बाद पूर्वोत्तर वालों के खिलाफ नफरती अभियान फैलाने में भी यहां के कुछ तत्व शामिल पाए गए थे। इसी तरह केरल की कुछ मस्जिदों के बाहर बाकायदा चल रहे प्रशिक्षण शिविरों में हिंसक गतिविधियों की तालीम देने की जानकारी मिलती रही हैं। गुप्तचर तंत्र इन सारे तारों को भले मिलाने की कोशिश में जुटा है, लेकिन यह साफ है कि पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, मुस्लिम लीग जैसे कट्टर मजहबी गुटों को खुली छूट देना भारत के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है।
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