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विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने भारतीय जनता का आह्वान किया कि वह 2014 में केंद्र में हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार बनाने की तैयारी करे। उन्होंने कहा कि केन्द्र में हिन्दुत्व के प्रति निष्ठा रखने वाली सरकार ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। देश की सभी समस्याओं का समाधान केन्द्र में निर्मित होने वाली हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार है। ऐसी सरकार बनने पर ही माओवाद, आतंकवाद, नक्सलवाद, मतांतरण आदि समस्याओं से निपटने के साथ ही गंगा और गाय की रक्षा संभव हो सकेगी।
अयोध्या के कारसेवकपुरम में बीते दिनों हुई संतों की एक महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने साफ शब्दों ने दोहराया कि राम मंदिर का मामला न्यायालय की परिधि से बाहर है। उसके लिए संसद ही कानून बना सकती है। उन्होंने कहा कि हम तीन महत्वपूर्ण मंदिरों-अयोध्या, काशी और मथुरा की ही मांग कर रहे हैं। मुस्लिम समाज को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में साढ़े चार करोड़ से भी अधिक बंगलदेशी घुसपैठिए आ चुके हैं। असम में बंगलादेशी घुसपैठियों का विरोध होने पर देशभर के मुसलमान उनके समर्थन में खड़े हो गए, यह बहुत खतरनाक संकेत है। भारत सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास ने कहा कि हम प्राण दे देंगे लेकिन अयोध्या की शास्त्रीय सीमा में किसी भी मस्जिद का निर्माण नहीं होने देंगे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पलोक बसु द्वारा दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने के प्रयासों और बैठकों की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि समझौते के प्रयास में लगे लोग हिन्दुओं के सच्चे प्रतिनिधि नहीं हैं।
राम जन्मभूमि न्यास से वरिष्ठ सदस्य डा. राम विलास दास वेदांती ने कहा कि अधिग्रहीत परिसर में ही राम मंदिर का निर्माण होगा। वहां मस्जिद का सपना संजोए लोगों को निराश होना होगा। अयोध्या के 99 प्रतिशत संत परिसर के भीतर किसी भी मस्जिद के निर्माण के खिलाफ हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस 100 एकड़ और भूमि अधिग्रहीत कर मंदिर के पास ही मस्जिद का निर्माण कराना चाहती है। विश्व हिन्दू परिषद और संत समाज उसका तीव्र विरोध करेगा। बैठक में जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य, विहिप के केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम नारायण सिंह, महंत कौशल किशोर दास, महंत सुरेश दास, सीतारामदास त्यागी आदि ने हिस्सा लिया।
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