पिछलेकरीब 23 सालों का इतिहास बताता है कि जब-जब मुलायम सिंह सरकार में होते हैं, प्रदेश के अमन-चैन में खलल पड़ ही जाता है। कट्टर मजहबी तत्व खुलकर उपद्रव करते हैं। 1989 में मुलायम सिंह पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। जनता दल का शासन था। मजहबी अराजक तत्व सिर उठाने लगे। लगे हाथ उन्होंने पी.ए.सी. को सांप्रदायिक करार देकर शांति सुरक्षा बल का गठन कर दिया। घोषित किया कि उसमें बहुतायत में मुसलमानों की भर्ती होगी। इसी दौर में राममंदिर आंदोलन ने गति पकड़ी तो हिन्दू उत्पीड़न शुरू हो गया। 30 अक्तूबर 1990 को अयोध्या में कारसेवकों द्वारा कार सेवा की गई तो उन पर गोली चला दी गई। कार सेवा नहीं रोक पाए तो 2 नवंबर (1990) को शांतिपूर्वक राम-राम कहते राममंदिर की ओर बढ़ रहे कारसेवकों पर फिर अंधाधुंध गोली चलाई गई जिसमें कई कारसेवक शहीद हो गए। 1990 में ही पूरे प्रदेश में भयंकर दंगे हुए। आजादी के बाद पहली बार प्रदेश के 42 जिले दंगों की आग में जले।
दिसंबर 1993 में विधानसभा के मध्यावधि चुनाव में सपा-बसपा की साझा सरकार पदारूढ़ हुई और मुलायम सिंह फिर मुख्यमंत्री बने तो फिर अराजकता का माहौल बना। सपा-बसपा में सत्ता को लेकर झगड़ा हुआ और बसपा ने समर्थन वापस लिया तो मायावती के साथ कुख्यात गेस्ट हाउस कांड हुआ। बसपा के विधायकों को जबरन सरकार के समर्थन के लिए अगवा किया गया। इसके बाद काफी समय तक मुलायम सत्ता से बाहर रहे। वह जोड़- तोड़कर 2004 में फिर सत्ता में आए, मई 2007 तक सत्ता में रहे। उस समय का उनका शासन अराजकता भरा रहा। मजहबी कट्टरवादियों के हौसले बुलंद हुए। मई 2007 के चुनाव में वे सत्ता से बेदखल हो गए। पांच साल बाद 2012 के चुनाव मेंें सपा सत्ता में आई तो मुलायम सिंह ने अपने युवा पुत्र अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन हालात जस के तस हैं। कानून-व्यवस्था बेहाल है। वरिष्ठ मंत्री आजम खां बेलगाम हो चुके हैं। मुलायम का समर्थन करने वाले दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी भी बेलगाम बयानबाजी कर रहे हैं। मुलायम सिंह की ओर से किसी भी प्रकार की रोक-टोक नहीं है। परिणामत: मजहबी कट्टरवाद सिर पर नाच रहा है। अभी 17अगस्त को जो हुआ, ऐसे हालात में उसे होना ही था।
यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
टिप्पणियाँ