सब्सिडी बढ़ाई, सरकारी प्रतिनिधिमंडल भी जाएगामनमोहन शर्मा
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सब्सिडी बढ़ाई, सरकारी प्रतिनिधिमंडल भी जाएगा
मनमोहन शर्मा
देश के उच्चतम न्यायालय ने भले ही सरकार को हज यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी को समाप्त करने का निर्देश दिया हो परन्तु अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण में जुटी सरकार को इस निर्देश की लेशमात्र भी परवाह नहीं है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत सप्ताह हज यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी की धनराशि में भारी वृद्धि करने का निर्णय किया है। केन्द्र सरकार ने प्रत्येक हज यात्री को दी जाने वाली सब्सिडी की धनराशि में इस वर्ष 45000 रुपए की वृद्धि करने का निर्णय किया है। एक सरकारी अनुमान के अनुसार इस वर्ष प्रत्येक हज यात्री पर औसतन 2 लाख 25 हजार रुपए खर्च करने होंगे। किन्तु इसमें से प्रत्येक हज यात्री से मात्र 20 हजार रुपए की राशि ही ली जाएगी, शेष दो लाख पांच हजार रुपए की धनराशि का भुगतान सरकारी खजाने से किया जाएगा। इस तरह इस साल भारत के करदाताओं से एकत्र 2000 करोड़ रुपए के लगभग धनराशि हज सब्सिडी के नाम पर लुटाई जाएगी।
सिर्फ भारत देता है यह छूट
विश्व भर में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो हज करने वाले यात्रियों के लिए सब्सिडी के नाम पर भारी धनराशि खर्च करता है। यहां तक कि कोई भी इस्लामी देश हज यात्रियों के लिए सब्सिडी के नाम पर एक पैसा भी खर्च नहीं करता। और तो और, सऊदी अरब सरकार ने हज-यात्रियों पर भारी-भरकम टैक्स भी लगा रखे हैं। खास बात यह है कि भारत से बाहर किसी भी पांथिक/मजहबी यात्रा पर सब्सिडी की यह कृपा सिर्फ मुसलमानों को ही प्राप्त है। पाकिस्तान स्थित सिख गुरुद्वारों की यात्रा करने वाले यात्रियों एवं तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले हिन्दू तीर्थयात्रियों को सरकारी खजाने से एक पैसा भी सब्सिडी नहीं दी जाती है।
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हज यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी की धनराशि में 45 हजार रुपए प्रति यात्री वृद्धि करने का निर्णय लिया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार डालर की तुलना में रुपए के भारी अवमूल्यन एवं सऊदी अरब सरकार द्वारा हज-यात्रियों पर लगे करों में भारी वृद्धि एवं आवास के किराए में बढ़ोतरी के कारण भारत से जाने वाले हज यात्रियों पर होने वाले खर्च में लगभग 90 हजार रुपए की भारी वृद्धि हुई है। केंद्रीय हज कमेटी ने गत दिनों हज पर जाने वाले सभी यात्रियों को यह निर्देश दिया था कि हवाई जहाज के किराए और अन्य खर्चों में हुई भारी वृद्धि के कारण अब उन्हें 51-51 हजार रु. की धनराशि का तुरंत भुगतान करना होगा वरना उनका नाम हज यात्रियों की सूची से काट दिया जाएगा। इस निर्णय के खिलाफ मुस्लिम नेताओं ने केंद्र सरकार से गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यदि हाजियों पर कोई अतिरिक्त खर्च का बोझ लादा गया तो उसके परिणाम आने वाले चुनावों में कांग्रेस को भुगतने पडेंगे।
सरकारी खर्च पर हज?
उल्लेखनीय है कि हज यात्रियों को सब्सिडी देने का सिलसिला 1952 से चल रहा है। 1999 में सरकार ने यह फैसला किया था कि हज यात्रियों को मात्र 16 हजार रुपए सरकार को देने होंगे, शेष जो भी धनराशि उन पर खर्च होगी, उसे सब्सिडी के रूप में भारत सरकार देगी। चूंकि हज यात्रियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है और हवाई जहाज के किराए और सऊदी में आवास की व्यवस्था आदि का खर्च भी बढ़ा है। इसके बावजूद अब तक हज यात्रियों से ली जाने वाली राशि में कोई वृद्धि नहीं की गई थी। सरकारी सूत्रों के अनुसार 1955 में हज यात्रियों को सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी की कुल धनराशि मात्र 37 करोड़ रु. थी, जो अब बढ़कर 1100 करोड़ तक पहुंच गई है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार इस वर्ष सऊदी सरकार ने 1 लाख 65 हजार भारतीयों को हज यात्रा करने की अनुमति प्रदान की है, जबकि गत वर्ष यह संख्या 1 लाख 20 हजार ही थी। सूत्रों के अनुसार इस वर्ष हज यात्रियों को सब्सिडी देने से भारत सरकार पर 1500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इसके अतिरिक्त सरकार अपने कोटे से भी 5000 यात्रियों को हज यात्रा पर भेजती है, जिनसे एक भी पैसा नहीं लिया जाता। इन 'सरकारी हज यात्रियों' पर 250 करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है। भारत सरकार हर वर्ष हज यात्रा पर एक सरकारी सद्भावना मिशन भी भेजती है, जिस पर 50 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। इसके अतिरिक्त भारत सरकार सऊदी अरब जाने वाले हज यात्रियों की देखभाल के लिए 250 चिकित्सकों और सहयोगी चिकित्सा कर्मचारियों को भी भेजती है। हज यात्रियों को वितरित करने के लिए 300 करोड़ रु. की औषधियां भी भेजी जाती हैं। इस तरह से हज यात्रियों पर सरकार को इस वर्ष लगभग 2000 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च करनी पड़ेगी।
हज कमेटियों का हाल
हज यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी कई दशकों से विवाद का विषय रही है। विभिन्न न्यायालय इसको बंद करने का कई बार निर्देश दे चुके हैं। संसदीय समिति ने भी हज सब्सिडी को बंद करने की सिफारिश की थी। हाल में ही देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी सरकार को यह निर्देश दिया है कि हज सब्सिडी को क्रमवार 10 वर्ष के भीतर पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए और सरकारी खर्च पर किसी भी प्रतिनिधिमंडल को हज यात्रा पर सऊदी अरब न भेजा जाए। न्यायालय ने सरकारी कोटे से यात्रियों को हज पर भेजने का भी विरोध किया था। इसके बावजूद भारत सरकार ने गत वर्ष न सिर्फ सरकारी सद्भावना मिशन ही सऊदी अरब भेजा बल्कि सरकारी कोटे को भी बरकरार रखा। हज यात्रा की व्यवस्था करने के लिए विदेश मंत्रालय में एक विशेष विभाग है, जिसका प्रभारी संयुक्त सचिव के दर्जे का अधिकारी होता है। इस विभाग में लगभग 300 कर्मचारी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त हज यात्रा की व्यवस्था करने के लिए एक केंद्रीय हज कमेटी के अतिरिक्त प्रत्येक राज्य में हज कमेटियां भी मौजूद हैं, जिनके सदस्यों को केंद्र सरकार मनोनीत करती है। इस समय केंद्रीय हज कमेटी की अध्यक्ष श्रीमती मोहसिना किदवई हैं, जो कि सोनिया कांग्रेस की महासचिव भी हैं। वे केंद्र की कांग्रेसी सरकारों में कई बार मंत्री भी रह चुकी हैं। हज कमेटियों के सदस्यों को केंद्र में सत्तारूढ़ दल मनोनीत करता है। हर साल चूंकि सात लाख के लगभग लोग हज पर जाने के लिए प्रार्थना पत्र देते हैं और सऊदी अरब सरकार का हज यात्रियों का कोटा काफी कम है, इसलिए हज यात्रियों का चयन लॉटरी से किया जाता है।
इस्लाम के अनुसार हज यात्रा उन्हीं मुसलमानों को करनी चाहिए जिनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो और वह हज का खर्च स्वयं उठा सकें। इसके बावजूद उच्चतम न्यायालय द्वारा हज सब्सिडी बंद करने के निर्देश की देश के मुसलमानों में मिलीजुली प्रतिक्रिया हुई थी। मुंबई की 112 मुस्लिम संगठनों ने हज सब्सिडी को बंद करने का विरोध किया जबकि सैय्यद शहाबुद्दीन, जामा मस्जिद (दिल्ली) के इमाम अहमद बुखारी आदि ने मत व्यक्त किया था कि यदि सरकार हज सब्सिडी को बंद भी कर देती है तो मुसलमानों पर बुरा असर नहीं पड़ेगा।
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