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राज्यों से
जम्मू–कश्मीर
अवैध कब्जे वाले गिलगित–बाल्टिस्तान में शियाओं का नरसंहार
पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश
कश्मीर के उत्तरी क्षेत्र गिलगित और बाल्टिस्तान का शिया समुदाय पाकिस्तानी सेना और उसकी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई की षड्यंत्रकारी गतिविधियों के विरोध में उठ खड़ा हुआ है। इस कारण गत 3 अप्रैल से इस पूरे क्षेत्र में कर्फ्यू लगा हुआ है और संचार के सभी साधन पाकिस्तान सरकार के निर्देश पर ठप्प पड़े हैं। आवागमन के सभी साधनों पर रोक के कारण इन क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई है और आम जनता बेहद परेशान है।
गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में सन् 2012 के शुरूआती तीन महीनों में ही 269 शियाओं की हत्या की जा चुकी है। गिलगित-बाल्टिस्तान लिबरेशन मूवमेंट के अध्यक्ष डा.मुहम्मद इकबाल का आरोप है कि ये नरसंहार इस क्षेत्र की शिया-बहुल आबादी को समाप्त करने का प्रयास है। पाकिस्तान सरकार के प्रबल समर्थक रहे और दो बार चुनाव लड़ चुके श्री इकबाल का कहना है कि अब हिंसक पाकिस्तानी के साथ रहने का कोई अर्थ नहीं रह गया है। आवश्यकता है कि इस क्षेत्र के लोग अपने भविष्य के लिए भारत सहित अन्य पड़ोसी देशों से सम्पर्क करें।
उल्लेखनीय है कि गत 3 अप्रैल को चिलास में 15 शियाओं की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। एक बस में जा रहे इन लोगों को परिचय पत्र के आधार पर बंदूकधारियों ने शिया पाया और एक लाइन में खड़ा करके गोली मार दी। इससे पहले 101 शिया मुसलमानों को उग्रवादी देवबंदी संगठन एस.एस.पी., ए.एस.डब्ल्यू.जे. तथा तालिबानी गुटों ने फरवरी और मार्च में मार डाला था। इसी तरह जनवरी में भी 58 शियाओं की हत्या कर दी गयी थी। इन घटनाओं के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान के क्षेत्र में लोग विरोध में सड़कों पर आ गये तो सरकार ने गिलगित शहर में कर्फ्यू लगा दिया और पाकिस्तानी सेना को सड़कों पर तैनात कर दिया।
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर राज्य के इस हिस्से पर पाकिस्तान ने बंटवारे के समय अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। श्रीनगर घाटी तथा अन्य क्षेत्रों पर हमला करने वाली पाकिस्तानी सेना को तो भारतीय सेना ने पीछे धकेल दिया था लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की गलत नीतियों और शेख अब्दुल्ला की कूटनीतिक चालों ने भारतीय सेना को इस क्षेत्र को मुक्त कराने से रोक दिया। यह क्षेत्र अभी भी पाकिस्तान के संविधान तथा अन्य कानूनों के अनुसार पाकिस्तान में शामिल नहीं है। स्पष्ट है कि यह भारतीय क्षेत्र पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है।
गिलगित-बाल्टिस्तान में शिया-सुन्नी टकरावों के कारण जुटी एक भीड़ पर हथगोला फेंका गया और उसमें चार लोग मारे गये तथा 45 अन्य घायल हुए। गिलगित के इत्तेहाद चौक पर फेंके गए इस हथगोले के पीछे स्थानीय लोगों का मानना है कि आई.एस.आई. का हाथ था। उस चौक पर खड़े लोग पाकिस्तान सरकार के खिलाफ हड़ताल में भाग लेने के लिए दुकानें बंद करवा रहे थे। चिलास के नरसंहार के प्रत्यक्षदर्शी असलम ने बताया कि 3000 हथियार बंद लोगों की भीड़ ने 25 बसों के एक काफिले को रोक लिया। उन्होंने बसों में सवार सभी लोगों को उतारकर उनका सामान छीन लिया और उसके बाद बसों को आग लगा दी। यह हमला पूर्वनियोजित लग रहा था क्योंकि पुलिस तथा प्रशासनिक अमला भी इनके साथ था। हमलावरों ने सभी शिया पुरुषों को एक लाइन में खड़ा किया और उनके परिचय पत्रों की जांच की, इसके बाद उन्हें गोलियों से भून दिया। जिस किसी व्यक्ति ने जान बचाकर भागने का प्रयास किया उसे भीड़ ने पत्थरों से हमला कर मार डाला। पत्थर मारने वाले लोग सही निशाना लगने पर एक-दूसरे को बधाई दे रहे थे। असलम के अनुसार कई शिया युवकों को इस भीड़ ने बंधक भी बना लिया और वे लोग अब तक जीवित भी हो सकते हैं। उसके अनुसार इस घटना में मरने वालों की संख्या 60 से अधिक हो सकती है। इसके साथ ही 60 से अधिक शिया युवक लापता भी हैं। इस घटना के दौरान असलम के पास उसका परिचय पत्र न होना तथा एक सुन्नी परिवार द्वारा उसे अपना बेटा बताये जाने के कारण उसकी जान बच पाई। इस मामले के कई प्रत्यक्षदर्शियों ने भी इन सब बातों की पुष्टि की। इन सभी प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार का इस मामले में असली चेहरा सामने आ गया है कि में वह आतंकवादियों और उग्रवादियों को खुला समर्थन देती है!
प.बंगाल
प्रतिनिधि
इमामों को भत्ता दिए जाने के विरोध में भाजपा की रैली में उमड़े लोग
गत 16 अप्रैल को कोलकाता में भारतीय जनता पार्टी ने एक रैली का आयोजन कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तुष्टीकरण नीति का विरोध किया। कोलकाता के कालेज चौक से प्रारम्भ हुई इस रैली में बड़ी संख्या में बुकर्ा पहने मुस्लिम महिलाओं की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य (प्रो.) तथागत राय, राज्य महासचिव असीम सरकार, विश्वप्रिय राय चौधरी और राबिन चटर्जी ने इस रैली का संयुक्त रूप से नेतृत्व किया। रैली में शामिल लोग मस्जिदों के इमामों के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा घोषित मासिक भत्ते के विरुद्ध नारे लगा रहे थे। कोलकाता के विभिन्न मार्गों से होती हुई इस रैली का समापन मेयो रोड स्थित गांधी प्रतिमा पर हुआ। यहां प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने लोगों को सम्बोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस सरकार की तीखी आलोचना की और कहा कि मजहबी आधार पर किसी वर्ग विशेष के पांथिक नेताओं को भत्ता देना न तो तर्कसंगत है और न ही न्यायसंगत। यहां तक कि जनता के कर से चलने वाले वक्फ बोर्ड को भी कमजोर मुस्लिम समाज की भलाई के लिए धन खर्च करने का अधिकार है, इमामों को देने का नहीं। राज्य सरकार भी जनता से कर के रूप में ली गई धनराशि वक्फ बोर्ड को इस हेतु नहीं दे सकती कि वह उसे इमामों में बांटे। श्री सिन्हा ने इस्लाम का हवाला देते हुए यह भी कहा कि मस्जिदों के इमामों के लिए इस प्रकार का भत्ता गैरइस्लामी भी है और उनके लिए अपमानजनक भी। इसलिए इमामों को स्वयं आगे आकर इस भत्ते को लेने से इनकार कर देना चाहिए। सभा के अंत में मुस्लिम महिलाओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पुतला दहन कर अपने गुस्से का प्रकटीकरण किया।
केरल/ प्रदीप कृष्णन
पोप ने बताया
मार्क्सवाद काल–
बाह्य और अप्रासंगिक
वोट बैंक राजनीति के लिए केरल में ईसाइयों के कंधों पर सवार माकपाईयों को 16वें पोप जान पाल का बयान न निगलते बन रहा है, न उगलते। केरल के माकपाई हमेशा से यह दावा करते रहे हैं कि वे और कैथोलिक चर्च एक ही लक्ष्य के लिए कार्य कर रहे हैं और बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहां मार्क्सवादियों और चर्च में आपसी सहयोग और सामंजस्य है। पर पोप जान पाल (16वें) ने अपने बयान से मार्क्सवादियों को धरती पर ला पटका। क्यूबा की यात्रा पर जाने से पूर्व मैक्सिको में ईसाइयों के प्रमुख पोप ने कहा कि मार्क्सवादी विचारधारा अब कालबाह्य और अप्रासंगिक हो चुकी है।
पोप के इस बयान के गंभीर निहितार्थ हैं। भारत के संदर्भ में देखें तो स्पष्ट है कि अब चर्च का कम्युनिस्टों पर से भरोसा उठ चुका है। भारत में यह बात अब शीशे की तरह साफ हो चुकी है कि भारत में चर्च और कम्युनिस्टों-माओवादियों का गठजोड़ है। चुनावी राजनीति में चर्च अनेक राज्यों में कम्युनिस्टों का साथ देते हैं तो कम्युनिस्ट भी चर्च और मिशनरी गतिविधियों के लिए अनुकूल माहौल बनाते हैं, उन्हें संरक्षण देते हैं। केरल में तो माकपा और चर्च का यह गठजोड़ काफी मजबूत और स्पष्ट है। कैथोलिक चर्च के समर्थकों का बड़ा वर्ग माकपा से जुड़ा हुआ है। इसीलिए पोप के बयान पर माकपाई खेमे से यह प्रतिक्रिया आई कि चूंकि यह बयान मैक्सिको से क्यूबा जाते हुए दिया गया है इसलिए इसकी प्रासंगिकता सिर्फ लैटिन और मध्य अमरीका के लिए है, भारत के लिए नहीं, या फिर पोप के बयान का वैश्विक कम्युनिज्म से कोई सरोकार नहीं है, या यह उनकी निजी राय है। पर केरल के कम्युनिस्ट धड़े में बेचैनी दिखाई दे रही है कि पोप के इस बयान के बाद जमीनी हकीकत जानकर कहीं चर्च और ईसाई उनसे दूर न होने लगें। इसीलिए 'धर्म को अफीम' मानने वाले कम्युनिस्टों ने माकपा की राज्य परिषद् की तिरुअनंतपुरम् में आयोजित बैठक में एक चित्र प्रदर्शनी लगवाई, जिसमें यह चित्रित करने का प्रयास किया गया कि पोप स्वयं एक क्रांतिकारी और परिवर्तनकारी थे और मानव इतिहास के महान नायक थे। पर कैथोलिक चर्च से जुड़े केरल के वरिष्ठ पादरी आर्चविशप मार जोसेफ पोवाथिल ने कहा है कि पोप के बयान को निजी बताना कम्युनिस्टों का बचपना है। पोप का बयान इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि 'अनीश्वरवाद' की अवधारणा के चलते सन् 2010 में पूर्व सांसद डा. के. एस. मनोज ने पार्टी छोड़ दी थी और कट्टर ईसाई भी कम्युनिज्म में घुटन महसूस करते हैं। ऐसे में इस विचारधारा के कालबाह्य या अप्रासंगिक घोषित करने के पोप के बयान से माकपाइयों की बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक ही है।
राजस्थान/ प्रतिनिधि
छुआछूत से दूर है संघ
– डा.संजय पासवान, पूर्व केन्द्रीय मंत्री
राष्ट्र चेतना अभियान समिति (कोटा महानगर) के तत्वाधान में डा. अम्बेडकर जयंती के उपलक्ष्य में गत 14 अप्रैल को 'सामाजिक समरसता में बाबा साहब अम्बेडकर का योगदान' विषय पर प्रबुद्धजन विचार गोष्ठी आयोजित हुई। गोष्ठी के मुख्य वक्ता, पूर्व मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री एवं पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा. संजय पासवान ने इस अवसर पर कहा कि 'बाबा साहब अम्बेडकर सिर्फ एक विशिष्ट समाज के नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारतवासियों के महापुरुष हैं। उन्हें 'दलित' शब्द में कैद करना उचित नही हैं।' श्री पासवान ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि इस संगठन में ही सबसे पहले छुआछूत खत्म हुआ। संघ के सरसंघचालक श्री बाला साहब देवरस को हम नहीं भूल सकते जिन्होंने कहा था कि छुआछूत किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है।
मुख्य अतिथि, म. प्र. पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक आर. पी. सिंह (आई. पी. एस.) ने कहा कि वंचित वर्ग को मानसिक दासता से मुक्त होकर समाजिक गतिविधियों में भाग लेना चाहिए। समय-समय पर समाज में कुरीतियां आती रहती हैं और कोई न कोई महापुरुष इन्हें दूर भी करता है।
विशिष्ट अतिथि, रामगंज मण्डी की विधायक श्रीमती चन्द्रकांता मेघवाल ने कहा 'प्रकृति ने मनुष्य – मनुष्य के बीच कोई अन्तर नहीं किया है, परिस्थितिवश जो दोष आते हैं उन्हें दूर करने की विशेषता भारतीय संस्कृति को हासिल हैं। दूसरे विशिष्ट अतिथि, उपनिदेशक (माध्यमिक शिक्षा) श्री चतुर्भुज महावर ने कहा कि भारत में विदेशी आक्रमणों के दौरान छुआछूत की विकृति आई और उसे दूर करने का महान कार्य बाबा साहब अम्बेडकर ने किया। आवश्यकता है कि हम सामाजिक समरसता को समाज में और अधिक प्रगाढ़ करें।
कार्यक्रम की अध्यक्ष, नगर निगम (कोटा) की महापौर श्रीमती रत्ना जैन ने कहा कि बाबासाहब अम्बेडकर को जात-पांत में बांटना उचित नहीं है, उन्होंने जो कुछ भी प्राप्त किया वह उच्चतम शिक्षा को ग्रहण कर, अपने आपको योग्य बनाने से प्राप्त ÊEòªÉÉ*n
महाराष्ट्र / द.बा.आंबुलकर
स्थानीय निकाय चुनावों से बढ़ी
सोनिया और पवार कांग्रेस में तकरार
जैसा कि पूर्वानुमान था, महाराष्ट्र के नगर निगमों, महानगर पालिकाओं व नगर पालिकाओं के चुनावों के बाद राज्य में सत्तारूढ़ सोनिया कांग्रेस और पवार कांग्रेस गठबंधन के बीच दरार बढ़ती जा रही है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के बुरी तरह पिछड़ने के बाद अब पवार कांग्रेस ने भी नये सिरे से सोनिया कांग्रेस पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र के जिला पंचायतों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व अन्य पद हथियाने के लिए पवार कांग्रेस ने विपक्षी व विरोधी दलों तक से समझौता करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। परिणाम, राज्य की ऐसी 5 जिला पंचायतें हैं जिनमें सोनिया कांग्रेस के सबसे बड़ा दल होने के बावजूद पवांर कांग्रेस ने उसे पछाड़ते हुए सत्ता हथियाई है। महाराष्ट्र व केन्द्र सरकार में सत्ता-सहयोगी पवार कांग्रेस के इस रवैये से मुंह की खाने के बाद बौखलाए राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने दिल्ली जाकर अपनी अध्यक्षा सोनिया गांधी तथा राज्य के प्रभारी मोहन प्रकाश तथा अन्य नेताओं से मुलाकात कर पवार कांग्रेस की भूमिका एवं रवैये से अवगत कराया है।
पवार कांग्रेस के इस रवैये से नाराज महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने भी सार्वजनिक तौर पर यह आरोप लगाया है कि राज्य के 27 निगमों में कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस तथा सहयोगी दलों के पर्याप्त निर्वाचित सदस्य होने के बावजूद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक धोखाधड़ी तथा विपक्षी दलों के साथ साठगांठ के कारण मात्र 8 जिला पंचायतों में कांग्रेस को सत्ता मिल सकी। इसके दुष्परिणाम जिलास्तर से लेकर राज्य स्तर तक हो सकते हैं।
इस प्रतिक्रिया पर पलटवार करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष तथा केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कांग्रेस के राज्य स्तर के ही नहीं बल्कि शीर्ष नेताओं पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी 'राष्ट्रीय स्तर पर सत्ताधारी गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस को जरूरी एवं पर्याप्त समर्थन नहीं देते हैं', जैसा आपत्तिजनक बयान देते हैं। क्या गठबंधन में राजनीतिक धर्म दोनों दलों को नहीं निभाना चाहिए? शरद पवार की इस टिप्पणी को नाटकीय बताते हुए राज्य के वनमंत्री पतंगराव कदम के पुत्र एवं महाराष्ट्र प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विश्वजीत कदम ने किसी भी तरह सत्ता हथियाने के लिए शरद पवार के षड्यंत्रकारी हथकण्डों का खुलासा करते हुए कहा कि सहयोगी दलों की पीठ में खंजर घोंपने का काम शरद पवार अब तक कई बार बखूबी निभाते आये हैं, उन्हें चाहिए कि वे अब अपनी पार्टी के लिए 'खंजर' चुनाव चिन्ह ले लें। अभिजीत कदम के इस सार्वजनिक वक्तव्य से गठबंधन की दरार और चौड़ी हो गई है। इसका सीधा प्रभाव यह हुआ है कि इसी माह में प्रस्तावित राज्य के भिवंडी, मालेगांव, परभणी, लातूर तथा चंद्रपुर महानगर निगमों के चुनाव सोनिया कांग्रेस-पवार कांग्रेस ने अलग-अलग तथा अपने बलबूते पर लड़कर एक-दूसरे को मात देने की पूरी तरह ठान ली ½èþ*n
पंजाब/ राकेश सैन
दुराचारी पादरी और पीड़ित युवती
पाप से मुक्ति दिलाने का दावा करने वाले ही पाप कर्म में लिप्त
दुनिया को पाप से मुक्ति का मार्ग दिखाने निकले ईसाई मिशनरी पंजाब में भोली-भाली लड़कियों की इज्जत से किस तरह खिलवाड़ कर पाप बढ़ा रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण है गांव इज्जतपुरा चर्च का प्रकरण। मोगा स्थित चर्च के पादरी ने अपने पास रहकर सेवा करने वाली एक गरीब लड़की को निरन्तर अपनी वासना का शिकार बनाया, जिससे वह एक बच्ची की मां बन गई। पादरी अब न तो उस युवती को और न ही अपनी बच्ची को अपनाने को तैयार है। पुलिस ने पादरी के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कर लिया है, जांच चल रही है।
गांव इज्जतपुरा के एक व्यक्ति ने थाना धर्मकोट में वर्ष 2011 में शिकायत की थी कि उसकी 22 वर्षीय बेटी चर्च में काम करती थी और 65 वर्षीय पादरी ने उससे नाजायज संबंध बनाकर उसे गर्भवती बना दिया। पुलिस द्वारा मामला दर्ज करने के बाद पादरी ने आरोपों को निराधार बताते हुए पुलिस महानिरीक्षक से इसकी उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की थी। इसके बाद पुलिस महानिरीक्षक के निर्देश पर पुलिस ने युवती की बच्ची के खून का नमूना लेकर उसका डीएनए टेस्ट कराने के लिए भेज दिया है। बच्ची अब तीन माह की है। युवती के पिता ने अपनी शिकायत में कहा है कि बेटी के गर्भवती होने का पता चलने पर जब उसने उससे पूछताछ की तो पता चला कि पादरी प्रीतम मसीह ने उससे जबरन शारीरिक संबंध बनाए हैं। युवती के पिता की शिकायत पर पुलिस ने पादरी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 506 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। थाना धर्मकोट के सहायक उप निरीक्षक सरदार लखविंदर सिंह ने बताया कि पादरी प्रीतम मसीह और तीन महीने की बच्ची के रक्त के नमूने को डीएनए टेस्ट के लिए चंडीगढ़ प्रयोगशाला में भिजवा दिया गया है। रपट आने के बाद मामले की पुष्टि हो सकेगी। दूसरी ओर पादरी प्रीतम मसीह ने एक बार फिर अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया है।
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