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…यह है भारतीय नववर्ष

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Mar 31, 2012, 12:00 am IST
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विविध

दिंनाक: 31 Mar 2012 16:14:37

विविध

विक्रमी संवत 2069 के शुभारम्भ पर देशभर में अनेक आयोजन

विक्रमी संवत 2069 के शुभारम्भ पर गत 23 मार्च को देशभर में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। भारतीय नववर्ष की जानकारी जन-जन को हो, इस उद्देश्य से आयोजित भारतीय नववर्ष स्वागत कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में आम लोगों ने भी भागीदारी की।

दिल्ली में रा.स्व.संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, संस्कार भारती, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा, आर्य समाज इत्यादि संगठनों ने अनेक कार्यक्रम आयोजित किए। कहीं प्रात: कालीन यज्ञ में वैदिक मंत्रों के साथ आहुतियां देकर प्रभु से विश्व कल्याण की कामना की गई तो कहीं युवकों ने बधाई पत्र बांटे। विहिप कार्यकर्ताओं ने लाखों की संख्या में ईमेल, एस.एम.एस. व अन्य माध्यमों का उपयोग मित्रों तथा सगे-संबंधियों को बधाई देने के लिए किया।

कोलकाता में “भारतीय नववर्ष उद्यापन समिति” के तत्वावधान में भारतीय नववर्ष स्वागत कार्यक्रम धूमधाम से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री विनय झा ने कहा कि भारतीय कालगणना विशुद्ध एवं वैज्ञानिक है। आज का विज्ञान सूर्य, चंद्र, पृथ्वी एवं सभी गृह नक्षत्रों के बारे में जो कह रहा है, वह हमारे पूर्वजों को पहले से पता था। अन्य सभी वक्ताओं ने उपस्थित गण्यमान्य नागरिकों को भारतीय नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए हिन्दू जीवन मूल्यों और विरासत को संजोए रखने की बात कही। इस अवसर पर अनेक प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी सम्पन्न हुए।

उत्तराखण्ड के रुद्रपुर में रा.स्व.संघ द्वारा पथ संचलन निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया। संचलन के बाद आयोजित संघ समागम को संबोधित करते हुए रा.स्व.संघ के अ.भा. कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार ने समाज से नफरत भुलाकर भाईचारा बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समृद्ध भारत के निर्माण एवं समाज में समरसता के लिए यह जरूरी है। श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि पृथ्वी व मानव के जन्म को वर्ष प्रतिपदा के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन 197 करोड़ वर्ष पूर्व कालगणना की शुरुआत हुई थी। श्री राम, श्री कृष्ण, युधिष्ठर व महाराज विक्रमादित्य का राजतिलक भी वर्ष प्रतिपदा को ही हुआ था। ऐसा ही एक कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में भी संघ द्वारा सम्पन्न हुआ। बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में पथ संचलन में भाग लिया।

पथ संचलन के अलावा इलाहाबाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से आयोजित “हिन्दू नववर्ष की वैज्ञानिकता” विषयक गोष्ठी में धर्मपाल शोध पीठ, भोपाल के निदेशक डा. रामेश्वर दयाल मिश्र “पंकज” ने भारतीय नवसंवत्सर को पूर्णतया वैज्ञानिक बताया और कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वह दिन है जिस दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। उन्हांेने कहा कि भारत में अन्य शक, जैन, बौद्ध और तमिल संवत भी प्रचलित हैं, किन्तु सर्वाधिक स्वीकार्य विक्रमी संवत ही है। भारत में प्रौद्योगिकी एवं वैज्ञानिक परिषद ने 1955 में अपनी रपट में विक्रमी संवत को ही आजादी के बाद स्वीकार किया था, किन्तु नेहरू जी ने पाश्चात्य ग्रेगोरियन कैलेंडर को मान्यता प्रदान की जो पाश्चात्य अंधानुकरण का प्रतीक है। काशी में नववर्ष चेतना समिति, सेवाभारती, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं ललित कला समिति के संयुक्त तत्वावधान में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में बड़ी संख्या में लोगों ने रक्तदान किया। शिविर का उद्घाटन डा. यू.एस. द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर डा. द्विवेदी ने कहा कि आज के युग में रक्तदान ही महादान है। रक्तदान के माध्यम से अनेक लोगों के प्राण बचाये जा सकते हैं। द प्रतिनिधि

देश का सबसे बड़ा युवा छात्र संगठन है अभाविप

-कन्हैया, सह प्रांत प्रचारक, मेरठ प्रांत, रा.स्व.संघ

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तत्वावधान में गत 23 मार्च को मेरठ में शहीद दिवस मनाया गया। इसमें बड़ी संख्या में छात्र तथा युवाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रा.स्व.संघ के मेरठ प्रांत के सह प्रांत प्रचारक श्री कन्हैया, मुख्य अतिथि श्री राजीव सिजैरिया व डा. अनुराग त्यागी द्वारा भारतमाता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात अपने संबोधन में श्री कन्हैया ने कहा कि अभाविप देश का सबसे बड़ा युवा छात्र संगठन है। जब-जब देश में समस्याएं उत्पन्न हुईं तो इसी तरुणाई के प्रयत्नों से समाधान हुआ। उन्होंने कहा कि देश को आजादी भी इसी युवा तरुणाई के प्रयत्नों से मिली। शहीद दिवस के उपलक्ष्य में ही अभाविप की जम्मू-कश्मीर इकाई द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें 22 छात्रों ने स्वयं प्रेरणा से रक्तदान किया। द प्रतिनिधि

रा.स्व.संघ का “शिशु संगम”

अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा दी

रा.स्व.संघ के तत्वावधान में गत 25 मार्च को दिल्ली के द्वारका में “शिशु संगम” का आयोजन किया गया। संघ के द्वारका जिला द्वारा आयोजित शिशु संगम में 400 से अधिक शिशुओं ने भाग लिया। संगम में शिशुओं के लिए विभिन्न प्रकार के मनोरंजनात्मक खेलों यथा- लंबी कूद, वीरता दौड़, फल दौड़ आदि का आयोजन किया गया, जिसमें सबने बढ़-चढ़कर भाग लिया। खेलों के अलावा यहां चित्रकला प्रतियोगिता भी सम्पन्न हुई। जिसमें शिशुओं ने स्वामी विवेकानंद, भगत सिंह, डा. हेडगेवार आदि के मनमोहक चित्र बनाए। मंचीय कार्यक्रम की अध्यक्षता एयर वाइस मार्शल (से.नि.) सर्वजीवन कुमार जिंदल ने की। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित विभाग संघचालक श्री ओमप्रकाश पाहुजा ने शिशुओं को अनेक प्रेरक कथाओं के माध्यम से एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर दिल्ली के निवर्तमान संघचालक श्री रमेश प्रकाश तथा जिला संघचालक डा. बलराम पाणी भी उपस्थित थे। द प्रतिनिधि

कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र शुरू

हरिद्वार के घनौरी में गत दिनों विश्व हिन्दू परिषद के धर्म प्रसार विभाग द्वारा कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र का शुभारम्भ किया गया। केन्द्र का उद्घाटन विहिप के केन्द्रीय मंत्री श्री अशोक तिवारी ने किया। कार्यक्रम में विहिप कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय गण्यमान्य नागरिक भी उपस्थित थे। इस अवसर पर संबोधित करते हुए श्री अशोक तिवारी ने कहा कि हिन्दू समाज के सर्वांगीण विकास के लिए परिषद विभिन्न आयामों के माध्यम से कार्य कर रही है। यह कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र भी इसी कड़ी का हिस्सा है। उन्होंने गण्यमान्य लोगों से विहिप के विकास कार्यों में सहयोग करने की अपील की। द प्रतिनिधि

अर्चक-पुरोहित सम्मेलन

विश्व हिन्दू परिषद, पूर्व आंध्र प्रांत के तत्वावधान में गत दिनों पश्चिम गोदावरी विभाग में एक दिवसीय अर्चक-पुरोहित सम्मेलन सम्पन्न हुआ। इसमें 25 गांवों के 50 अर्चक-पुरोहितों ने भाग लिया। सम्मेलन को विश्व हिन्दू परिशद, पूर्व आंध्र प्रांत के कार्याध्यक्ष श्री वेंकटेश्वरलु, श्री श्री शिवानंद सरस्वती एवं प्रांत अर्चक-पुरोहित प्रमुख श्री पी. रामाराव ने संबोधित किया। श्री श्री शिवानंद सरस्वती ने कहा कि मंदिर की पवित्रता और हिन्दू समाज को चैतन्य रखने में अर्चक-पुरोहित की मुख्य भूमिका रहती है। इसलिए आपके ठीक प्रकार से कर्तव्य पालन से हिन्दू धर्म सुरक्षित रह सकता है। द प्रतिनिधि

317 ने लिया स्वास्थ्य लाभ

सेवा भारती चिकित्सालय, उदयपुर में गत दिनों चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न रोगों के कुल 317 रोगियों ने स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया। इस तरह के शिविरों का आयोजन चिकित्सालय द्वारा समय-समय पर किया जाता रहता है। शिविर का उद्घाटन बिग्रेडियर (से.नि.) डा. सी.पी. जोशी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। यहां कमर दर्द, घुटनों का दर्द, दांतों की समस्या, आंख, नाक, कान, गला आदि के रोगियों की जांच की गई। चिकित्सालय के प्रबंध प्रमुख श्री यशवंत पालीवाल ने बताया कि रोग परामर्श व चिकित्सा के लिए डा. सी.पी. जोशी, डा. गगनदीप गंभीर, डा. मनसुख बोल्या, डा. बी.एल. सिरोया, डा. बी.एल. कुमावत, डा. श्यामा कुमावत, डा. सुधीर वर्मा, डा. आशुतोष पण्ड्या, डा. एल.एन. श्रीमाली, डा. महेन्द्र प्रकाश जैन, डा. अरुण सामर, डा. हेरम्ब नागदा आदि विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अपनी सेवाएं दीं। द प्रतिनिधि

जल के व्यवसायीकरण का विरोध

नई दिल्ली में पानी की समस्या पर “जलाधिकार” का सम्मेलन

विश्व जल दिवस के अवसर पर गत दिनों नई दिल्ली में सामाजिक संस्था “जलाधिकार” के तत्वावधान में पानी की समस्या पर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में देश के प्रबुद्ध लोगों ने भाग लिया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए “जलाधिकार” के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि सृष्टि की रचना के साथ ही प्रगति ने हमें निर्बाध रूप से हवा, पानी व प्रकाश प्रचुरता में उपलब्ध कराया है। प्राणी मात्र के लिए प्रकृति प्रदत्त पंचतत्व अमूल्य हैं। सृष्टि रचना में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। लेकिन सरकार ने प्रकृति के नियमों की अवहेलना करते हुए इसके निजीकरण व व्यसायीकरण का मन बना लिया है। ऐसा प्रस्तावित “राष्ट्रीय जल नीति-2012” से लगता है। सरकार की यह नीति आम आदमी के हित में नहीं है। अत: हम जल के बाजारीकरण का पुरजोर विरोध करते हैं।

लगभग सभी वक्ताओं का मानना था कि देश में पानी की कमी नहीं है, लेकिन इसके संरक्षण एवं रखरखाव के लिये पारम्परिक तरीके- तालाब, बावड़ियों आदि को पुनर्जीवित कर शहरों के अंधाधुंध विकास पर नियन्त्रण करते हुए ग्रामीण विकास की नीति को अपनाते हुए इसके संरक्षण, संवर्धन की नीति बनाई जाए। सम्मेलन में प्रस्ताव पारित कर मांग की गई कि सरकार प्रकृति के नियमानुसार प्राणी मात्र को स्वच्छ व पीने योग्य पानी नि:शुल्क उपलब्ध कराये, क्योंकि यह सरकार का मूलभूत दायित्व है। कार्यक्रम का संचालन “जलाधिकार” के राष्ट्रीय महामन्त्री श्री कैलाश गोदुका ने किया। सम्मेलन का उद्घाटन जैन मुनि आचार्य डा. लोकेश ने किया। शहरी विकास मंत्रालय के पूर्व सचिव डा. हरजीत आनन्द ने उद्घाटन उद्बोधन दिया। सम्मेलन में प्रो. एम.पी. शर्मा (निदेशक, रॉकलैन्ड अस्पताल), श्री सुनील अंबेकर (राष्ट्रीय संगठन मंत्री, अखिल भारतीय विद्यार्थी) आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। द प्रतिनिधि 

“सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” थोप नहीं पाएगी सरकार

-डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जनता पार्टी 

“साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” कभी पास नहीं हो सकता। और यदि हो भी जाता है तो इसे सर्वोच्च न्यायालय जाकर खारिज करा दिया जायेगा। लेकिन फिर भी देश के हिन्दुओं को एकत्रित होकर इसका विरोध करना पड़ेगा, नहीं तो सरकार अध्यादेश लाकर थोड़े समय में ही बहुसंख्यक हिन्दू समाज को कमजोर कर देगी। उक्त विचार जनता पाटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने गत 21 मार्च को नई दिल्ली में सम्पन्न हुए एक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। सामाजिक संस्था “समर्थ” द्वारा “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” विषय पर आयोजित सम्मेलन में देश के अनेक प्रख्यात बुद्धिजीवियों ने विचार व्यक्त किए। सम्मेलन में मीडिया सहयोगी की भूमिका बहुभाषी संवाद समिति हिन्दुस्थान समाचार ने निभाई। 

डा. स्वामी ने आगे कहा कि बात यहीं खत्म नहीं हो जाती, जब तक हिन्दू अपने विराट स्वरूप में नहीं आता तब तक ऐसी समस्याएं रोज खड़ी होती रहेंगी। सारी समस्याओं की जड़ यह है कि हिन्दू एक नहीं है, एक तरह से नहीं सोचता। वह कुंभ में एकत्रित तो होता है, लेकिन उसका हिन्दुत्व व्यक्तिगत है, राष्ट्रीय भावना वहां नदारद रहती है। वह सशक्त तभी होगा, जब वह अपनी लोकतांत्रिक ताकत यानी वोट भी एक जगह करेगा।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि ये सब केवल कुछ कट्टरवादियों की देन है। मैं इस कट्टरवाद के समर्थन में नहीं हूं। उन्होंने कहा कि मैं पाकिस्तान को भारत से अलग नहीं मानता और जो दीवारें अभी इन दोनों के बीच टिकी हैं वह भी एक दिन ध्वस्त हो जाएंगी।

पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम. रामा जायस ने कहा कि 1960 में राजस्थान सरकार ने ऐसा ही विधेयक पास किया था, जिसमें कुछ गांवों के लोगों पर सांप्रदायिक हिंसा के चलते अतिरिक्त पुलिस बल तैनाती को लेकर एक कर लगाया था। हालांकि इसमें सरकार ने दलितों और मुसलमानों को छूट दी थी, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने भेदभाव करने वाला बताकर खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” भारत के संघीय ढांचे और “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना के विरुद्ध है। सम्मेलन को उत्तर प्रदेश में “मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं” जैसा फैसला देने से चर्चा में आए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस.एन. श्रीवास्तव, पूर्व राजदूत श्री ओ.पी. गुप्ता, गुप्तचर विभाग से सेवा निवृत श्री आर.एन.पी. सिंह, प्रसिद्ध लेखक श्री आनंद शंकर पांड्या आदि ने भी संबोधित किया। द प्रतिनिधि

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