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कन्याकुमारी में संघ का प्रांत सांघिक
-मोहनराव भागवत, सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि संघ, स्वामी विवेकानंद के सपनों को साकार करने का काम कर रहा है। वे गत 12 फरवरी को संघ के दक्षिण तमिलनाडु प्रांत के तत्वावधान में कन्याकुमारी में सम्पन्न हुए प्रांत सांघिक को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में 15,906 स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में सम्मिलित हुए तथा करीब 52,000 नागरिक इस विशाल आयोजन के साक्षी बने। इस अवसर पर बड़ी संख्या में संत-महात्मा भी उपस्थित थे।
सांघिक की अध्यक्षता पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रामालिंगम ने की। कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु स्वागत समिति का गठन किया गया, जिसके अध्यक्ष प्रसिद्ध उद्योगपति श्री वी.वी.डी. रविन्द्रन थे। स्वागत उद्बोधन स्वागत समिति के सचिव तथा संघ के कन्याकुमारी विभाग संघचालक डा. श्रीनिवास कन्नन ने दिया। कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने विभिन्न प्रकार के शारीरिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन भी किया, जिनकी उपस्थित गण्यमान्य नागरिकों ने हृदय से सराहना की।
श्री भागवत ने उद्बोधन के प्रारम्भ में कहा कि हम यहां स्वामी विवेकानंद के 150वें जयंती वर्ष के उद्घाटन समारोह में एकत्रित हुए हैं। हम स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती देशभर में सिर्फ दिखावे या स्वार्थ के लिए नहीं मना रहे, अपितु उस जीवन को अपने जीवन में उतारने के उद्देश्य से मना रहे हैं। श्री भागवत ने कहा कि देश के विकास के संबंध में स्वामी जी कहा करते थे “भारत का विकास भारतीयता की राह पर ही संभव है”। स्वामी जी ने सम्पूर्ण भारत का भ्रमण कर पाया कि यहां संगठन की आवश्यकता है।
श्री भागवत ने कहा कि संघ संस्थापक डा. हेडगेवार ने कोलकाता में शिक्षा प्राप्त कर देश की स्वतंत्रता के लिए विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया। वे दो बार जेल भी गए। डा. हेडगेवार ने महसूस किया कि देश को संगठित, विश्वसनीय तथा शक्तिशाली युवाओं की आवश्यकता है, जो कुछ भी कर सकने के लिए तत्पर हों। इस विषय पर उन्होंने उस समय की महान विभूतियों- गांधी जी, वीर सावरकर, मालवीय जी आदि से भी चर्चा की। इसके बाद उन्होंने 1925 में संघ की स्थापना की। डा. जी ने 1940 में अपनी आंखों से संघ को सही दिशा में बढ़ते हुए देखा था।
श्री भागवत ने कहा कि संघ की शाखा बौद्धिक, मानसिक और शारीरिक प्रशिक्षण देने का स्थान है, जोकि हम और हमारा राष्ट्र एक है का भाव जगाता है। भगवाध्वज हमारे भीतर हिन्दू धर्म के दर्शन का बोध कराता है। इसी के चलते स्वयंसेवक किसी भी प्राकृतिक तथा अप्राकृतिक आपदा के समय सहायता के लिए सबसे पहले पहुंचते हैं। यही स्वामी विवेकानंद का स्वप्न था, जिसे संघ पूर्ण करने में संलग्न है। उन्होंने कहा कि हम हिन्दू संगठन, हिन्दू समाज तथा संस्कृति के उन्नयन के लिए कर रहे हैं। भारत तभी बढ़ेगा, जब हिन्दू धर्म रहेगा और विश्व तभी रहेगा, जब भारत बढ़ेगा। इस अवसर पर उन्होंने सेविका समिति के कार्यों की भी चर्चा की। द प्रतिनिधि
अमरीका में
“सूर्य नमस्कार यज्ञ”
स्वस्थ शरीर के लिए योगासन और सूर्य नमस्कार के महत्व को अब भारत ही नहीं, अपितु विदेशों में भी जाना जाने लगा है। यह बात विगत दिनों सम्पूर्ण अमरीका में 15 दिन तक चले “योगाथोन” नामक कार्यक्रम ने सिद्ध कर दी है। कार्यक्रम का आयोजन हिन्दू स्वयंसेवक संघ, अमरीका द्वारा “सूर्य नमस्कार यज्ञ” योजना के अंतर्गत 10 लाख सूर्य नमस्कार पूर्ण करने के लक्ष्य को लेकर किया गया था।
“सूर्य नमस्कार यज्ञ” योजना हिन्दू स्वयंसेवक संघ का राष्ट्रीय अभियान है, जिसका उद्देश्य लोगों में योगासन के प्रति जागरूकता पैदा करना तथा इसके लाभों को बताना है। इस अभियान की शुरुआत 2006 में की गई थी, तब से इस अभियान में अमरीका के योग केन्द्र, सामुदायिक संगठन, विद्यालय-कालेज सहभागी हो रहे हैं।
इस वर्ष के कार्यक्रम में अमरीका के अनेक शहरों के हजारों लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम के एक आयोजक श्री विकास देशपांडे के अनुसार बर्कलै, कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क सहित कुल 204 शहरों में कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 11,538 लोगों ने भाग लिया तथा 1,003,250 सूर्य नमस्कार किए। 21 शहरों के महापौर और कोलोराडो के राज्यपाल श्री जॉन हिकिनलूपर ने इस आयोजन की सराहना की।
योजना के राष्ट्रीय संयोजक श्री प्रवीण धीर और श्री श्याम गोखले ने कहा कि “सूर्य नमस्कार यज्ञ” में भाग लेने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रतिभागियों ने अपने घरों, सामुदायिक भवनों तथा सार्वजनिक स्थानों पर सूर्य नमस्कार किए। शुगर लैंड के टाउन प्लाजा पर करीब 300 लोगों ने सामूहिक सूर्य नमस्कार किए।
शुगर लैंड के महापौर श्री जेम्स ए थॉमसन ने सूर्य नमस्कार अभियान के लाभों से संबंधित एक घोषणा पत्र जारी किया, जिसे श्री हरीश जाजू ने पढ़कर सुनाया तथा हिन्दू स्वयंसेवक संघ के उपाध्यक्ष श्री रमेश भुटाडा को सौंपा।द प्रतिनिधि
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