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कानपुर (उ.प्र.) में गत दिनों सम्पन्न हुए हिन्दू जागरण मंच के कार्यक्रम को संबोधित करते हुये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ.भा. कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि विदेशियों से प्रेम करने वालों को देश छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में बंगलादेशी घुसपैठियों की बढ़ती संख्या वास्तव में बंगलादेश का भारत में ग्रेटर बंगलादेश बनाने का सपना है। ठीक इसी प्रकार पाकिस्तान और चीन भी हमारे भूभागों पर नजर गढ़ाये बैठे हैं। इन देशों ने हमारा हजारों वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र पहले ही हड़प रखा है। यह हम कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं?
श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द आदि महापुरुषों ने बहुत पहले ही हमें सचेत किया था कि यदि हम नहीं जागे तो भविष्य में चीन हमें गुलाम बना सकता है। ऐसा होने पर आजाद होने के लिए हमें कम से कम 1000 वर्षों तक संघर्ष करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चीन के सस्ते उत्पाद भारत में बेरोजगारी बढ़ा रहे हैं। विदेशी उत्पादों के कारण हमारे 6 करोड़ भारतवासी बेरोजगार हो गये हैं। यदि हम दूसरे देशों के पीछे भागना छोड़ दें तो हमें महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। विश्व की वर्तमान महाशक्ति माने जाने वाले अमरीका के लगभग 40 मित्र देश हैं, चीन का कोई भी मित्र देश नहीं है जबकि भारत के 100 से अधिक मित्र देश हैं।
श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि हमें भारत की आजादी में अपनी जान की बाजी लगाने वाले क्रांतिकारियों को अपने समक्ष आदर्श के रूप में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हम आज स्वदेशी के प्रयोग का संकल्प कर लें तो 10 साल बाद हम अमरीका से आगे हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि कभी कांग्रेस ने विदेशी माल की होली जलाई थी, लेकिन आज वही कांग्रेस विदेशी सामान को भारत में लाने की व्यवस्था कर रही है।
श्री इन्द्रेश कुमार के उद्बोधन से पूर्व चीन से युद्ध के 50 वर्ष पूर्ण होने पर शहीदों को श्रद्धाञ्जलि स्वरूप हिन्दू जागरण मंच द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पर तैयार किए गए विशेषांक का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सुबोध चोपड़ा ने की, विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री विजय बहादुर सिंह उपस्थित थे जबकि मुख्य अतिथि थे श्री अनिल द्विवेदी। इस अवसर पर रा.स्व.संघ के कानपुर प्रान्त प्रचारक श्री आनन्द, सह प्रान्त कार्यवाह श्री ज्ञानेन्द सचान सहित बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन वन्देमातरम् के साथ हुआ। विसंके
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