इस्रायल-गाजा संघर्षविराम सेजम गई मुरसी की कुर्सी?
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जम गई मुरसी की कुर्सी?
मध्य पूर्व में भीषण उबाल लाने वाले गाजा पट्टी पर इस्रायल के हमले में 22 नवम्बर की रात को घोषित संघर्षविराम से इलाके में राहत तो महसूस की जा रही है, लेकिन यह कोई नहीं बता सकता कि गोलों की धमाधम और लपटों से घिरे शहरों का मंजर कब और कितनी जल्दी लौट आएगा। बताते हैं, इजिप्ट के नए राष्ट्रपति मुरसी की सक्रिय दखल से इस्रायल और फिलिस्तीनी उग्रवादी गुट हमास के बीच भारी तनाव के आठ दिन बाद कुछ विराम आना संभव हुआ है। लेकिन इस्रायली फौजें गाजा पट्टी से सटी सरहद पर अब भी किसी भी पल हरकत को तैयार बैठी हैं और गाजा की तरफ से इस्रायली शहर पर कब्जा करने की किसी भी संभावित कोशिश की हवा निकालने की पूरी तैयारी है। आठ दिन से अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित ठिकानों पर भागे दक्षिणी इस्रायल के लोग धीरे-धीरे लौट रहे हैं, लेकिन गाजा सरहद से 50 मील के दायरे के तमाम स्कूल अब भी बंद हैं। बीते हफ्ते में दक्षिणी इस्रायल पर गाजा की तरफ से 1500 राकेट दागे गए थे। उधर फिलिस्तीन में हजारों लोगों ने सड़क पर संघर्षविराम के समर्थन में प्रदर्शन किए जबकि हमास के नेताओं ने हिंसक तनाव में अपनी जीत के दावे किए। हालांकि इस्रायली रेडियो ने कहा कि संघर्षविराम की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद गाजा की तरफ से दर्जनभर राकेट दागे गए थे, पर इस्रायली फौजियों ने जवाब में गोले नहीं दागे। इस्रायल का दावा है कि उसने हमले से अपना मकसद पूरा कर लिया है, जबकि गाजा की हथियारबंद अल कासम ब्रिगेड का कहना है कि संघर्षविराम की पेशकश इस्रायल की तरफ से ही आई थी।
लेकिन इस पूरे प्रकरण में मुरसी का कद एकदम से बढ़ गया बताते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि अगर उनकी पहल पर हुए संघर्षविराम का असर देर तक रहता है तो मध्य पूर्व में इजिप्ट की नई इस्लामवादी सरकार का भाव बढ़ जाएगा। उधर कम्बोडिया गए अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा ने 21 नवम्बर की देर रात राष्ट्रपति मुरसी से फोन पर लंबी बात की और इस्रायल-गाजा तनाव को खत्म करने के रास्ते तलाशे। शायद ओबामा भी मुरसी के बढ़ते कद को पहचान रहे हैं और मध्य पूर्वी देशों के बीच इजिप्ट की दखल पर आंखें जमाए हुए हैं। l
'सहमति' से सहमता नेपाल
अप्रैल–मई 2013 में चुनाव की घोषणा, पर भट्टराई पर इस्तीफे का दबाव बढ़ा
चीन की सीधी शह पर चहकते माओवादियों की बदौलत भारत का पड़ोसी नेपाल फिर चुनाव की राह पर है। बड़ी मुश्किल से वहां पिछले चुनाव कराए गए थे, संविधान सभा बनी थी, नया संविधान गढ़ने की तमाम उम्मीदें बंधी थीं, जनता को लगा था कि हिचकोले खाता देश शायद सरपट दौड़ को तैयार होगा। पर माओवादियों के इतने धड़े हैं, जो न खुद सीधे चलते हैं, न किसी और को चलने देते हैं। लिहाजा अब फिर से नई संविधान सभा के लिए चुनाव-चर्चा जोरों पर है। माओवादी सरकार ने मध्य अप्रैल से मध्य मई 2013 के बीच चुनाव कराने की घोषणा की है। 20 नवम्बर को चुनाव कार्यक्रम घोषित करते हुए सरकार में सूचना मंत्री राजकिशोर यादव ने कहा कि ठीक-ठीक तारीख 'सभी दलों से सलाह' करके तय की जाएगी। मुसीबत तो यही है कि जहां 'सभी दलों से सलाह' वाला जुमला आता है वहीं कुछ तय होता हो तो रुक जाता है। नया संविधान बनाने पर 'सभी दलों से सलाह' करना रास नहीं आया और नवगठित सभा ही भंग करने की नौबत आ गई। मई में उस पर ताले भी पड़ गए। तब 27 मई को कहा गया था कि 22 नवम्बर को चुनाव होंगे। लेकिन 'सभी दलों की सलाह' ने ऐसे रोड़े अटकाए कि वह चुनाव कार्यक्रम धरा रह गया। उधर खबर है कि राष्ट्रपति रामबरन यादव तमाम दलों का बाकायदा आह्वान करके एक राष्ट्रीय सरकार का गठन करने की तैयारी में हैं। लेकिन माओवादी सरकार ने शायद राष्ट्रपति की उसी इच्छा को भांपकर 2013 में चुनाव कराने की घोषणा करके वैसी किसी सरकार के बनने के रास्ते में नया रोड़ा अटकाने की कोशिश की है, ऐसा कुछ विश्लेषकों का मानना है।
इस बीच 22 नवम्बर को काठमाण्डू में राजनीतिक सरगर्मियां तब और तेज हो गईं जब प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई ने कैबिनेट की आपात बैठक के बाद टेलीविजन पर जनता को सीधा संदेश प्रसारित करते हुए कहा कि अगर राजनीतिक दल राष्ट्रीय एजेंडे पर 'सहमति' बना लें तो वे 'किसी भी त्याग' के लिए तैयार हैं। यह सही है कि भट्टराई पर कुर्सी छोड़ने का भारी दबाव है, क्योंकि कई प्रमुख राजनीतिक दलों और जन संगठनों ने खुलेआम कहा है कि अगर भट्टराई कुर्सी से नहीं हटते तो एक बड़ा जनांदोलन छेड़ दिया जाएगा।
धरती पर सुनीता
अंतरिक्ष में चार महीने रहकर तमाम वैज्ञानिक अनुसंधानों को सही से निपटाकर भारतीय मूल की अमरीकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अपने दो साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ 19 नवम्बर को सकुशल धरती पर लौट आईं। वे वहां अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्द्र में रहकर अनुसंधानों में लगी थीं। सुनीता का यान मध्य कजाकिस्तान के खुले मैदान में उतरा। सुनीता अपने दो साथियों के साथ 15 जुलाई 2012 को कजाकिस्तान के बैकानूर अंतरिक्ष केन्द्र से इस सफर पर रवाना हुई थीं। 47 साल की सुनीता अब तक दो लंबी अवधि के अभियानों में कुल 322 दिन अंतरिक्ष में बिताकर एक रिकार्ड बना चुकी हैं। अंतरिक्ष में उनसे ज्यादा चहलकदमी अन्य किसी महिला अंतरिक्ष यात्री ने नहीं की है। घंटों में बताएं तो 50 घंटे 40 मिनट। अंतरिक्ष में सुनीता द्वारा किए गए अनुसंधान अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नए सोपान गढ़ेंगे, ऐसा माना जा रहा है। अभी पिछले दिनों सुनीता ने अंतरिक्ष से ही भारतवासियों को दीपावली की बधाई दी थी
उत्तर मियामी में कश्मीरी हिन्दू विरासत दिवस
फ्लोरिडा (अमरीका) के उत्तर मियामी शहर में 17 नवम्बर का दिन कश्मीरी हिन्दू विरासत दिवस के रूप में मनाया गया। दो दशक पहले अपनी धरती से विस्थापित होने को मजबूर कर दिए गए हिन्दुओं की जीवटता के प्रति सम्मान के तौर पर यह दिन उस शहर के प्रशासन की तरफ से इस रूप में मनाया गया था। शहर के महापौर आंद्रे पियरे ने खुद इस संबंध में घोषणा जारी की थी। उनकी घोषणा में कुछ यूं लिखा था- 'एक शानदार विविधता संजोए उत्तरी मियामी शहर के रहने वाले हम लोगों को खुशी है कि हम उस उत्सव का हिस्सा बने हैं जो कश्मीरी हिन्दू संस्कृति की झलक पेश करता है।' घोषणा में उल्लेख किया गया था कि आतंकी कार्रवाई के चलते 500,000 कश्मीरी हिन्दुओं को विस्थापित होना पड़ा था और उनमें से कई अमरीका में आ गए। आज 22 साल बाद भी ज्यादातर कश्मीरी हिन्दू भय के कारण अपनी जन्मभूमि को नहीं लौटे हैं। लेकिन उन्होंने अपनी पुरातन संस्कृति, कला और खान-पान को बनाए और संजोए रखा ½èþ*' +ɱÉÉäEò गोस्वामी
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