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हर बच्चे की शारीरिक, मानसिक पात्रता दूसरों से अलग होती है। हम बच्चों को देश का भविष्य मानते हैं। पर उन्हें एक ही व्यवस्था के अंतर्गत शिक्षा देकर एक समान बनाने की कोशिश करते जा रहे हैं। समान शिक्षा का सबसे बड़ा दोष यही है कि उससे बच्चों की क्षमताओं का विकास नहीं हो पाता है। जिसकी क्षमता कम हो उसे शायद इस पद्धति से लाभ हो सकता है, पर जिसकी क्षमता अधिक हो उसका इस शिक्षा पद्धति में नुकसान ही होता है। इस शिक्षा पद्धति में बच्चों की प्रतिभा, उनकी खूबियां अछूती रह जाती हैं। उन्हें प्राप्त नैसर्गिक गुणों से वे बच्चे वंचित रह जाते हैं।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए बंगलूरु स्थित हिन्दू सेवा प्रतिष्ठान ने एक अनोखा प्रकल्प शुरू किया है, जिसका नाम है 'सेवा किरण'। इस प्रकल्प में हर बच्चे पर विशेष ध्यान देकर उनका शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास किया जाता है।
यह प्रकल्प खासकर झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। यहां इन बच्चों के लिए 9 केन्द्र शुरू किये गये हैं, जिनमें पहली से सातवीं कक्षा तक के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाया जाता है। हर केन्द्र में एक प्रशिक्षित शिक्षक 25 से 30 बच्चों को पढ़ाता है। इन बच्चों की स्कूली पढ़ाई के अलावा यहां उन्हें उत्तम चरित्र निर्माण के संस्कार भी दिए जाते हैं। साथ ही उन्हें उनकी पसंद के अनुसार संगीत, नृत्य, चित्रकला आदि का भी ज्ञान दिया जाता है। उन्हें योग, आसन आदि शारीरिक व्यायाम के तरीके भी सिखाए जाते हैं। हर शनिवार को इन सभी 9 केन्द्रों में पढ़ने वाले बच्चों को इकट्ठा कर किसी नजदीकी मैदान में ले जाया जाता है। जहां वे तरह-तरह के खेल खेलते हैं। हर पन्द्रह दिन में एक बार सभी केन्द्रों में शिक्षक इकट्ठा होकर बच्चों की प्रगति पर चर्चा करते हैं और अगली योजना निश्चित करते हैं। इस प्रकार हर बच्चे पर स्वतंत्र रूप से ध्यान दिये जाने के कारण उनकी प्रगति काफी तेजी से होती देखी गयी है। इससे इन बच्चों के पालक भी खुश हैं और इस प्रकल्प को अच्छा प्रतिसाद भी मिल रहा है। हिन्दू सेवा प्रतिष्ठान पूरी लगन से नयी पीढ़ी को गढ़ने का काम कर रही है। न्यूज भारती
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