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पाठकीय

by
Sep 28, 2011, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 28 Sep 2011 15:32:46

 भ्रष्टाचार के खिलाफ जनक्रांति

 समाजसेवी अण्णा हजारे के अनशन पर केन्द्रित आवरण कथा व्जागा भारत, झुकी सरकारव् बताती है कि यदि संकल्प शुभ हो तो उसके सामने कोई टिक नहीं सकता है। अण्णा हजारे अपने लिए नहीं, बल्कि सभी देशवासियों के लिए सरकार से दो-चार हाथ कर रहे हैं। उनका सहयोग और समर्थन करना हर भारतीय का पुनीत कर्तव्य है।

 -श्वेता

बी-507, पाकेट-4, एम.टी.एन.एल. अपार्टमेन्ट, सेक्टर-3, रोहिणी, दिल्ली-85

 

द आज हर भारतीय भ्रष्टाचार से इतना तंग आ चुका है कि वह अब इसे बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। यही वजह रही कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध बिगुल फूंकने वाले अण्णा हजारे के साथ लगभग पूरा भारत खड़ा दिखाई दिया। जनमानस में राजनेताओं के प्रति अविश्वास की भावना पैदा हो रही है।

 

-कृष्ण वोहरा

641, जेल परिसर, सिरसा (हरियाणा)

 द अण्णा के अनशन से कुछ नेता इतने घबरा गए हैं कि वे उन पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं। ऐसे नेताओं को समझ लेना चाहिए कि अण्णा को बदनाम करने के लिए जितनी चालें चली जाएंगी वे उतने ही ताकतवर होते जाएंगे। किसी पर जानबूझकर आधारहीन आरोप लगाना ठीक नहीं है।

-दिनेश भारद्वाज

जौरा, जिला-मुरैना (म.प्र.)

 

द जनलोकपाल विधेयक पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का रूख कभी स्पष्ट नहीं रहा। दरअसल वे कभी नहीं चाहेंगे कि प्रधानमंत्री पद को जनलोकपाल के दायरे में लाया जाए। जितने भी घोटाले हो रहे हैं उनमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रधानमंत्री कार्यालय भी शामिल रहा है। विपक्ष एकजुट होकर इस सरकार को घेरे तभी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और कालाधन भी वापस आएगा।

 

-ईश्वर दास नासा

316, एच.बी.सी. सोनीपत (हरि.)

 

द अण्णा हजारे ने एक जबरदस्त जनआंदोलन चला कर सरकार को हिला दिया और कई भ्रम तोड़ दिए। जनलोकपाल के मुद्दे पर कुछ नेता अण्णा को बार-बार चुनाव लड़ कर आने के लिए ललकारते रहे, लेकिन अण्णा ने दिखा दिया कि जब सही नेतृत्व समाज को जगा देता है तो चुनाव बेमानी हो जाते हैं। स्वयं चुने हुए प्रतिनिधियों ने क्या किया? धृतराष्ट्र की तरह बैठे-बैठे महंगाई और भ्रष्टाचार का नंगा नाच देखते रहे। इन्होंने तो चुनाव जीत लेने को भ्रष्टाचार का लाइसेंस मान लिया है।

 

-अरुण मित्र

324, राम नगर, दिल्ली-110051

 

द सम्पादकीय व्विनाशकाले विपरीत बुद्धिव् केन्द्र सरकार के लिए एक सामयिक चेतावनी है। कांग्रेस गांधी जी के आदर्शों को बिल्कुल भुला चुकी है तथा उनके चित्रों को दीवार पर टांग कर और नोटों पर छाप कर ही संतुष्ट है जिनके जरिए उसने रिश्वत की असीम दुकानदारी चला रखी है। जिस तरह ऊपर से नीचे तक सम्पूर्ण सरकारी अमला देश को लूटने में लगा है यह उसी का परिणाम है कि आज अण्णा हजारे के नेतृत्व में देश के हर कोने की जनता भ्रष्टाचार के विरुद्ध ताल ठोंककर सड़कों पर उमड़ पड़ी है।

 

-आर.सी. गुप्ता

द्वितीय ए-201, नेहरू नगर,

गाजियाबाद-201001 (उ.प्र.)

 

 

द भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन और तेज होता जा रहा है। भ्रष्टाचारी, चाहे कोई भी हो, समझ ले कि उसके पाप का घड़ा भर चुका है और कभी भी वह घड़ा फूट सकता है।

 

-सत्यपाल बंसल

ए-47, गुरुनानक कालोनी, संगरूर (पंजाब)

 

 द भ्रष्टाचार के खिलाफ जनक्रांति यूं ही खड़ी नहीं हुई है। भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए शुरू की गईं योजनाएं भी भ्रष्टाचारियों की चपेट में हैं। ऊपर से सरकार ऐसी नीतियां बना रही है कि इन योजनाओं से गरीबों को कोई लाभ नहीं हो रहा है।

 

-उमेदु लाल

ग्राम-पटूडी पट्टी धारमण्डल, पो.- धारकोट जिला-टिहरी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)

 

 

द अण्णा हजारे देश में एक सशक्त लोकपाल कानून के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। देश को वर्तमान में ऐसे कानून की आवश्यकता भी है। लेकिन क्या हम इस कानून से भ्रष्टाचार के अलावा देश की अन्य समस्याओं, जैसे- महंगाई, आतंकवाद, नक्सलवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद व बेरोजगारी से देश को निजात दिला सकते हैं? संभव भी हो सकता है, लेकिन इसके लिए देश को एक सशक्त प्रधानमंत्री की आवश्यकता है। इस पर विचार करना चाहिए कि प्रत्यक्ष चुनाव से देश को एक सशक्त प्रधानमंत्री कैसे मिले।

 

-उदय कमल मिश्र

समीप गांधी विद्यालय, सीधी-486661 (म.प्र.)

 

 

द अण्णा के अनशन स्थल पर व्भारत माता की जयव् और व्वन्देमातरम्व् की गूंज कुछ कट्टरवादियों को नहीं अच्छी लगी। यह मानसिकता देश को कहां ले जाएगी? तुष्टीकरण और भड़काऊ राजनीति करने वालों से उन लोगों को सतर्क रहना होगा, जो भारत को केवल जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि मां मानते हैं।

 

-सूर्यप्रताप सिंह व्सोनगराव्

कांडरवासा, रतलाम-457222 (म.प्र.)

 

द क्या भारत में भ्रष्टाचार और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाना अपराध है? जो लोग सोनिया पार्टी की करतूतों को उजागर कर रहे हैं, उनके खिलाफ जनान्दोलन कर रहे हैं, उन्हें फर्जी मामलों में फंसाया जा रहा है। क्या यही आजादी है? अण्णा लोगों को वास्तविक आजादी दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।

 

-राममोहन चंद्रवंशी

अभिलाषा निवास

विट्ठल नगर, टिमरनी, हरदा-461228 (म.प्र.)

 

द रामलीला मैदान ही नहीं, पूरे भारत में अण्णा का साथ देने के लिए हर वर्ग, हर मजहब के लोग सड़कों पर उतरे। किन्तु दु:ख होता है कि कुछ मुस्लिम स्वयंभू नेता इस आन्दोलन को कमजोर करने में लगे रहे। उन्होंने मुस्लिमों से कहा कि वे अण्णा का साथ न दें। पर मुस्लिम समाज ने उन नेताओं को चिढ़ाते हुए अण्णा के आन्दोलन का समर्थन किया।

 

-बी.एल. सचदेवा

263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-110023

 

 द जिस जनलोकपाल विधेयक के लिए 74 साल का एक वृद्ध 12 दिन तक भूखा बैठा रहा, उस विधेयक को हर आदमी को पढ़ना चाहिए। सरकार द्वारा तैयार विधेयक को भी देखना चाहिए। फिर आप कह सकते हैं कि भारत के लोगों के लिए कौन-सा विधेयक ठीक है।

 

-सी.एल. कपूर

473, महंतपुरी, मथुरा (उ.प्र.)

 

द अण्णा के आन्दोलन से यह विश्वास हो गया कि भारत का भविष्य पूरी तरह सुरक्षित है। इस आन्दोलन में जिस जोश के साथ युवाओं ने भाग लिया वह भी चकित कर देने वाला है। इसका अर्थ है कि यदि जन-सामान्य को यह विश्वास हो जाए कि नेतृत्व अच्छा है, तो वह उसका साथ देने के लिए सड़कों पर उतर आता है।

 

-बी.आर. ठाकुर

सी-115, संगम नगर, इन्दौर-452006 (म.प्र.)

 

शर्मनाक व्यवहार

 

स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या को लेकर उड़ीसा सरकार ने जांच में जिन तथ्यों की उपेक्षा की है, शर्मनाक है। उच्च न्यायालय ने इस कांड की पुन: जांच कर आरोप पत्र दाखिल करने का आदेश देकर इस कांड से जुड़े दोषी लोगों को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। मतान्तरण को रोकने के लिए स्वामी लक्ष्मणानंद जिस प्रकार खुल कर कार्य कर रहे थे वह चर्च के लिए असहनीय हो गया था। उन्हें षड्यंत्रपूर्वक मारा गया। आक्रोशित लोगों का शिकार जब कुछ लोग हुए तो व्भूचालव् आ गया। इस व्भूचालव् में स्वामी जी की हत्या गौण हो गई।

 

-मनोहर मंजुल

पिपल्या-बुजुर्ग, पश्चिम निमाड़-451225 (म.प्र.)

 

 घृणित पृष्ठों की असलियत

 

श्री देवेन्द्र स्वरूप का आलेख व्वंशवाद नेहरू ने बोया- इन्दिरा ने सींचाव् स्वाधीन भारत के कालिमापूर्ण इतिहास के सर्वाधिक घृणित पृष्ठों की असलियत, हमारे सामने उजागर करता है। और जहां तक- भारत के गृहमंत्री की अंतरात्मा (संपादकीय में) की बात है, उसका तो मात्र एक ही उत्तर-भला, मुरदों में भी कहीं अंतरात्मा होती है।

 

-शैवाल सत्यार्थी

ग्वालियर (म.प्र.)

 

 अन्यायपूर्ण विधेयक

 

साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक-2011 पूर्ण रूप से मजहबी, पक्षपातपूर्ण, हिन्दू-विरोधी और अन्यायपूर्ण है। जिन लोगों ने यह विधेयक तैयार किया है, उनकी मंशा ठीक नहीं लगती है। इस विधेयक को कानून का रूप किसी भी सूरत में नहीं लेने देना है। नहीं तो हिन्दू अपने ही देश में दोयम दर्जे के नागरिक बन कर रह जाएंगे। हिन्दुओं पर अन्याय करने वालों को कानूनी संरक्षण प्राप्त हो जाएगा।

 

-राधाकृष्ण आ. भागिया

ए-4, न्यू गिरि विहार, निम्बकर सोसायटी मुलुण्ड

कालोनी, मुलुण्ड पश्चिम, मुम्बई-400082

 

 सत्य की जीत

 

न्यायालय ने हैं दिये, साफ-साफ संकेत

कुछ लोगों का पर नहीं, भरा अभी तक पेट।

भरा अभी तक पेट, सत्य की जीत हुई है

शांत भाव से मोदी ने यह बात कही है।

कह व्प्रशांतव् जो झूठ ओढ़ते और बिछाते

नग्न हो गये उनके सारे काले खाते।।

-प्रशांत

 

 भेदिया अग्निवेश

 

तथाकथित और स्वयंभू समाजसेवी अग्निवेश प्रारंभ से ही संदिग्ध रहे हैं। दक्षिण भारत से हरियाणा की यात्रा के मध्य सामाजिकता की आड़ में राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए उन्होंने अनेक हथकण्डे अपनाए। उनकी भूमिका सदैव ही प्रश्नों के घेरे में रही है। बाद में वे अवसरवादिता के सहारे और पुराने वामपंथी होने के कारण कांग्रेस के प्रिय पात्र रहे हैं। अग्निवेश स्वयं ही कांग्रेस के औजार बने और औजार बने रहने में ही वे अपना हित देखते हैं। सत्ता के संरक्षण के कारण ही अग्निवेश ने मानवाधिकारवादी का मुखौटा भी लगा रखा है। इसी आधार पर वह कभी शबनम हाशमी के साथ, कभी कश्मीरी अलगाववादियों और नक्सलियों के साथ खड़े होते हैं। व्अफजल बचाओ कमेटीव् के भी सदस्य रहे हैं। वे आजमगढ़ भी खूब गए हैं, जहां आतंकवाद को खाद-पानी मिलता रहा है। बहुत पहले कुछ सजग व्यक्तियों ने सरकार को और कुछ दिन पूर्व अण्णा की टोली को भी सतर्क किया था कि अग्निवेश पर भरोसा आत्मघाती हो सकता है, और वही हुआ।

 

-सत्यदेव गुप्त

एम.आई.जी. फ्लैट्स, पोस्ट आफिस रोड

उत्तरकाशी (उत्तराखण्ड)

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